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आईए जानते हैं “सूर्य रथ सप्तमी” पूजा की विधि विधान, क्या हैं हिंदू धर्म में सूर्य पूजा के महत्व !:
हिंदू धर्म में सूर्य पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। माना जाता है कि जो व्यक्ति प्रतिदिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देता है उसे सुख-समृद्धि के साथ-साथ करियर में भी तरक्की देखने को मिलती है। ऐसे में आइए जानते हैं रथ सप्तमी के कुछ ऐसे उपाय जो व्यक्ति को जीवन के कई क्षेत्रों में लाभ पहुचा सकते हैं।
हिंदू धर्म में सूर्य देव को माना जाता है पूजनीय।
रथ सप्तमी को कहा जाता है अचला सप्तमी।
सूर्य देव की कृपा से प्राप्त होती है
सुख-समृद्धि।
माघ माह में शुक्ल पक्ष सप्तमी को रथ सप्तमी या अचला सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी तिथि पर सूर्य देव की पहली किरण धरती पर पड़ी थी। ऐसे में सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए इस तिथि को सबसे उत्तम माना जाता है
कब मनाई जा रही सूर्य रथ सप्तमी ?:
हिंदू पंचांग के अनुसार, शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 15 फरवरी सुबह 10 बजकर 12 मिनट से शुरू हो गई थी ,जबकि तिथि का समापन आज के दिन 16 फरवरी शुक्रवार सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर था । उदयातिथि की मान्यता के रथ सप्तमी शुक्रवार को मनाई जाएगी ।
सूर्य नारायण को अर्घ्य:
सप्तमी तिथि सूर्यदेव को अतिप्रिय है। इस दिन प्रातःकाल नहाकर उगते हुए सूर्य को जल देने के लिए तांबे के लोटे में जल, लाल चन्दन, चावल,लाल फूल और कुश डालकर प्रसन्न मन से सूर्य की ओर मुख करके कलश को छाती के बीचों-बीच लाकर सूर्य मंत्र का जप करते हुए जल की धारा धीरे-धीरे प्रवाहित कर भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर लाल पुष्प अर्पित करने चाहिए।
आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ:
वाल्मीकि रामायण के मुताबिक़ “आदित्य हृदय स्तोत्र” अगस्त्य ऋषि द्वारा प्रभु श्री राम को युद्ध में रावण पर विजय प्राप्त करने हेतु मिला था। इस दिन मुख्य रूप से आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना जीवन के अनेक कष्टों का एकमात्र निवारण है।
इसके नियमित पाठ से मानसिक कष्ट, हृदय रोग, तनाव, शत्रु कष्ट और असफलताओं पर सफलता प्राप्त की जा सकती है। इस स्तोत्र में सूर्य देव की निष्ठापूर्वक और भक्ति भाव से उपासना करनी चाहिए और उनसे विजयी मार्ग पर ले जाने का अनुरोध करे।आदित्य हृदय स्तोत्र सभी प्रकार के पापों , कष्टों से मुक्ति कराने वाला, सर्व कल्याणकारी, आयु, उर्जा और प्रतिष्ठा बढाने वाला अति मंगलकारी विजय स्तोत्र है।
सूर्यदेव के निमित्त व्रत:
शास्त्रों के अनुसार इस दिन सूर्य भगवान के निमित्त व्रत करने से हर तरह की शारीरिक पीड़ा से मुक्ति मिलती है। शास्त्रों में लिखा है कि सूर्य का व्रत करने से काया और शरीर निरोगी तो होती ही है, साथ ही साथ अशुभ फल व पाप भी शुभ फल मे बदल जाते हैं व पाप से मुक्ति मिलती हैं।
यदि आप सूर्य पूजा के दिन व्रत के साथ साथ कथा भी सुनते हैं ,तो ऐसे में आपकी मनुष्य जीवन की सारी मनोकामनाएं जल्द ही पूर्ण हो जाएगी । साथ ही धन-यश और उत्तम व निरोगी अच्छे स्वास्थ्य व तेजस्वी ज्ञान की प्राप्ति भी होती है। व्रत में नमक का उपयोग बिल्कुल न करें।
दान करें:
इस दिन सूर्य से संबंधित चीजें जैसे तांबे का बर्तन, पीले या लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, माणिक्य, लाल चंदन आदि का दान करें। अपनी श्रद्धानुसार इन चीजों में से किसी भी चीज का दान किया जा सकता है। इससे कुंडली में सूर्य के दोष दूर हो जाते हैं एवं धन,ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
सूर्य गायत्री मंत्र का जप करें:
•(“ऊँ” आदित्याय विदमहे प्रभाकराय धीमहितन्न: सूर्य प्रचोदयात्।)
•”ऊँ” (सप्ततुरंगाय विद्महे सहस्त्रकिरणाय धीमहि तन्नो रवि: प्रचोदयात्।)
सूर्य गायत्री मंत्र के जाप करने से आत्मशुद्धि, आत्म-सम्मान, मन की शांति मिलती है। व्यक्ति पर आने वाले संकट टल जाते हैं।
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