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जानिए इस साल कब मनाई जाएगी गणेश चतुर्थी; साथ ही शुभ मुहूर्त और पूजा विधि!
हमारे सनातन धर्म में गणेश चतुर्थी का अपना अलग ही महत्व है। यह पर्व भगवान गणेश को समर्पित होता है। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूरे विधि विधान से पूजा पाठ की जाती है।धार्मिक भावनाओं के अनुसार,भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में आई सभी प्रकार के विघ्न एवं रोग, दुख ,बाधाएं सभी दूर हो जाते हैं। साथ ही जीवन में मंगल जीवन का आगमन होता है।
कब मनाई जाती है गणेश चतुर्थी ?
हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश का जन्मोत्स्व मनाया जाता है। यह उत्सव पूरे धूमधाम से ढोल नगाड़ों के साथ मनाया जाता है।इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही गणेश भगवान की मूर्ति की स्थापना यानी कि उनकी प्रतिमा की स्थापना के समय तक व्रत और उपवास रखा जाता है।
महाराष्ट्र और गुजरात समेत देश के सभी हिस्सों में गणेश उत्सव मनाया जाता है। महाराष्ट्र के तो हर घर में भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है। गणेश उत्सव 10 दिनों तक बनाया जाता है।
वहीं कुछ लोग अपने श्रद्धा और भक्ति के अनुसार या कह सकते हैं कि अपनी क्षमता के अनुसार, जब तक गणेश जी की अच्छी से सेवा और पूजा पाठ कर सकते हैं ,उन्हें अपने घर पर स्थापित करते हैं और पूरी विधि विधान पूर्वक उनकी पूजा पाठ करते हैं जैसे कुछ लोग पांच दिनों के लिए गणपति बाप्पा को घर लाते हैं। तो कुछ लोग 7 दिन के लिए ।वहीं, सार्वजनिक स्थानों पर दस दिनों तक गणेश भगवान की पूजा और सेवा की जाती है।
धार्मिक मत है कि भगवान गणेश की पूजा करने से उनके भक्तो की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है। आइए जानते हैं कि गणेश चतुर्थी की तिथि, शुभ मुहूर्त एवं योग कब से कब तक मनाईजाएगी।
गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 6 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानि कि 7 सितंबर को संध्याकाल 05 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि से गणना की जाती है। प्रदोष काल और निशा काल में होने वाली पूजा को छोड़कर सभी व्रत-त्योहार के लिए उदया तिथि शुभ माना गया है, इस प्रकार उदयातित के अनुसार गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को मनाई जाएगी
गणेश चतुर्थी के शुभ योग
गणेश चतुर्थी पर दुर्लभ ब्रह्म व इंद्र योग समेत कई मंगलकारी योग भी बन रहे हैं। ब्रह्म योग देर रात 11 बजकर 17 मिनट तक रहेगा और इसके बाद इंद्र योग का निर्माण हो बन रहा। गणेश चतुर्थीके के दिन भद्रावास का भी संयोग बन रहा है। गणेश चतुर्थी पर भद्रा पाताल में रहेंगी। साथ ही गणेश चतुर्थी पर सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का भी निर्माण हो रहा है। कुल मिलाकर कहें तो गणेश चतुर्थी पर कई दुर्लभ संयोग और मंगलकारी सयोंग बन रहे हैं।
गणेश चतुर्थी की पूजा
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहते हैं जिसका अर्थ होता है सभी दुखों को हरने वाले भगवान। हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले गणपति बप्पा की पूजा सबसे पहले करना शुभ माना गया है।गणेश चतुर्थी से 10 दिनों का गणेश उत्सव शुरू होता है जिसका समापन अनंत चतुर्दशी पर होता है।
इस साल अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर मंगलवार , यानि कि विश्वकर्मा पूजा के दिन हो रही हैं ।गणेश चतुर्थी की पूजा में प्राण प्रतिष्ठा की जाती है, उत्तरपूजा होती है और विसर्जन पूजा की जाती है। भक्त गणेश चतुर्थी के दिन घर पर बप्पा की मूर्ति लेकर आते हैं, पंडाल सजाते हैं, ऑफिस में भी मूर्ति रखी जाती है और भगवान गणेश की विशेष प्रकार से पूजा-अर्चना होती है ।
गणेश चतुर्थी के पूजन में उपयोग की जाने वाली सामग्री
गणेश चतुर्थी की पूजा में गणेश मूर्ती, लकड़ी की चौकी, केले का पौधा, लाल और पीले रंग का कपड़ा, नए वस्त्र, धूप, गीप, कपूर, मोदक, केले, सिंदूर, कलश, फल, फूल, अक्षत, अशोक के पत्ते, पंचामृत, पंचमेव, आम और सुपारी आदि को पूजा सामग्री में सम्मिलित किया जाता है। इस प्रकार गणेश जी की 10 दिनों की पूजा के साथ-साथ उनके भोग में भंडारा करवाया जाता है। भगवान गणेश के विसर्जन से पहले उनके नाम से खीर ,पूरी ,सब्जी ,बूंदी, हलवा कई प्रकार का प्रसाद बनवाकर भंडारा आयोजित किया जाता है।
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