Saturday, September 21, 2024

जानिए गुरुवार को भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने के नियम और जाने गुरुवार व्रत का उद्यापन कब करना रहता है शुभ !

DIGITAL NEWS GURU RELIGIOUS DESK :- 

जानिए गुरुवार को भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने के नियम और जाने गुरुवार व्रत का उद्यापन कब करना रहता है शुभ !

भगवान बृहस्पति यानि की भगवान विष्णु को समर्पित गुरुवार के दिन व्रत और पूजा करने से प्राप्त होती है सुख समृद्धि । मगर गुरुवार व्रत के कुछ नियम होते हैं जिन्हें आपके लिए जानना बेहद आवश्यक है। हिंदू धर्म में गुरुवार के व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने और व्रत रखने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती हैं। दरअसल, सप्ताह का गुरुवार का दिन प्रभु विष्णु नारायण और बृहस्पति देव को समर्पित है।

ऐसे में इस दिन उपवास और पूजा का महत्व और बढ़ जाता है। मान्यताओं के मुताबिक, गुरुवार का व्रत रखने से विष्णु जी के साथ माता लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा विवाह संबंधी परेशानियां भी दूर हो जाती हैं। तो यदि आप भी गुरुवार का व्रत करना चाहते हैं तो सबसे पहले इस व्रत से जुड़े कुछ नियमों के बारे में जानना आपके लिए लाभदायक सिद्ध होगा।

 कब से शुरू करें भगवान विष्णु के गुरुवार का व्रत :

पौष महीने में गुरुवार का व्रत शुरू नहीं करना चाहिए। गुरुवार का व्रत शुरू करने के लिए अनुराधा नक्षत्र और महीने के शुक्ल पक्ष की तिथि शुभ मानी जाती है। कहा जाता है कि इन तिथि में गुरुवार का व्रत शुरू करने से विष्णु जी और बृहस्पति देव की अपार कृपा मिलती है। वहीं जो जातक पहले से गुरुवार का व्रत करते आए हैं तो पौष के महीने में पूजा और व्रत कर सकते हैं।

कितने गुरुवार का व्रत रखना माना जाता है शुभ :

भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की दया दृष्टि और उनकी कृपा पाने के लिए आपको लगातार 16 गुरुवार का व्रत रखना होगा । कभी-कभी महिलाएं मासिक धर्म की वजह से व्रत नहीं रख सकती है। इसके अतिरिक्त बृहस्पतिवार (गुरुवार )का व्रत 1,3,5,7 और 9 साल या फिर आजीवन भी रख सकते हैं।

जानिए गुरुवार के व्रत की पूजा विधि :

गुरुवार के दिन सबसे पहले सूर्योदय के समय उठकर सभी कामों को पूरा करने के बाद पवित्र जल से स्नान करें और पीले रंग के वस्त्र धारण कर लें। भगवान विष्णु को पीले रंग के वस्त्र अधिक प्रिय है इसलिए इस दिन यदि आप पीले वस्त्र धारण करके इनका व्रत और पूजा करते हैं तो भगवान आपसे और अधिक खुश हो जाते हैं अब भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए इस शुभ व्रत का संकल्प लें और पूरे विधि विधान से भगवान बृहस्पति देव की पूजा करें।

जैसा कि आपको पता ही है कि भगवान को पीले रंग की वस्तुएं अधिक प्रिय है तो प्रभु बृहस्पति देव को पीले फूल, पीले चंदन के साथ ही पीले रंग का भोग लगाएं। आप चाहे तो भोग में चने की दाल और गुड़ का भी भोग लगा सकते हैं । अब इसके पश्चात धूप, दीप आदि जलाकर बृहस्पति देव के व्रत की कथा का पाठ कर ल करे और व्रत कथा संपूर्ण होने के बाद विधिवत तरीके से आरती करें और अपने भूल चूक के लिए माफी मांग लें।

अब मंदिर जाकर या कहीं पर भी जहां केले का पेड़ हो , वहां पर जाकर केले के पेड़ की जड़ में जल अर्पण करने के साथ में भोग लगाएं। फिर पूरे दिन फलाहार व्रत रखें और शाम को पीले रंग का भोजन भगवान बृहस्पति देव का नाम लेकर ग्रहण करें।

 कब करना शुभ रहता है व्रत उद्यापन :

यदि आप गुरुवार व्रत के शुरू करना चाहते हैं। तो पौष के महीने को छोड़कर आप किसी भी महीने में इस व्रत को शुरू कर सकते हैं। वैसे आपको बता दें की यदि आप जातक हैं मतलब कि पहले से इस व्रत को रखतें आ रहें हैं, तो आपको पौष माह से परहेज़ करने की ज़रूरत नहीं हैं। मगर गुरुवार व्रत का उद्यापन आपको पौष माह में नहीं करना हैं।

इसके लिए अनुराधा नक्षत्र और महीने की शुक्ल पक्ष की तिथि शुभ मानी जाती है। तो आप इस समय में गुरुवार के दिन प्रभु बृहस्पति देव के व्रत का उद्यापन कर सकते हैं।

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