कानपुर: नवाबगंज पुलिस और मृतक के फुफेरे भाई ( वकील) ने किया दूसरे मृतक के परिवार के साथ मुआवजे के नाम पर खेल, जी हां डॉक्टर के नाबालिग बेटे को बचाने के लिए नवाबगंज पुलिस ने कार के अंदर बैठे 4 लोगो को 5 बना दिया।
क्या था पूरा मामला ?
बीते गुरुवार रात 9 बजे करीब गंगा बैराज के मैगी प्वाइंट पर उन्नाव की ओर से चली आ रही एक तेज रफ्तार पोलो कार 5 दुकानों सहित सागर, आशीष, रामजी और पवन को अपने साथ उड़ाती हुई चली गई। हादसे में सागर और आशीष ने दम तोड दिया तो वही रामजी और पवन ने कार आता देख वहा से हटकर अपनी जान बचाई जिसमे उन दोनो को भी मामूली चोटे आई।
मामले में नवाबगंज पुलिस ने चार नाबालिगों को हिरासत में लिया था और दो दिन बाद उन्हें थाने से ही छोड़ दिया था। आरोप है कि दो दिन में पुलिस ने इलाके के एक भूमाफिया और एक मृतक के रिश्तेदार वकील की मदद से लाखों का लेनदेन किया और मृतकों के परिजनों को आर्थिक मदद का झांसा देकर धोखे से हस्ताक्षर करा लिए। फिर मामले में कार किसी और को चलाता दिखा दिया। जिसका फायदा डॉक्टर के नाबालिग बेटे को मिला।
वहीं डिजिटल न्यूज गुरु की टीम ने जब चस्मदीद गवाह से बात की तो उन्होंने बताया कि हमने बहुत अच्छे से देखा कि कार से 4 बच्चे निकले, जिसमे ड्राइविंग सीट से भी नाबालिग बच्चा ही निकला था, जो की एक डॉक्टर का बेटा है जिसे बचाने के लिए नवाबगंज पुलिस ने मृतक आशीष के परिवार से लाखो का खेल कर डाला।
गुमराह कर कराए सिग्नेचर
उन्नाव निवासी मृतक आशीष के पिता शिवचरण के अनुसार घटनास्थल पर उनके परिवार से कोई भी मौजूद नहीं था। बीती 29 अक्टूबर को वकील ने उन्हें घटनास्थल पर बुलाया था। जिसपर वह बेटे राजकुमार के साथ घटनास्थल पर गए थे। वहीं पर वकील के साथ पूर्व प्रधान का बेटा और तीन अज्ञात लोग मौजूद थे। वकील ने उन्हें दो लाख रुपये आर्थिक मदद के नाम पर दिए और एक कागज पर हस्ताक्षर कराए।
पूछने पर वकील ने कहा कि यही वो पेपर है जिसकी मदद से 20 लाख रुपये मिलेंगे। रुपये देकर वकील शिवचरण को बाइक पर बिठाकर घर छोड़ गया और उसका बेटा पीछे से पहुंचा। आरोप है कि घर के बाहर वकील ( मृतक सागर का फुफेरा भाई आजाद) और मृतक सागर का बड़ा भाई विशाल ने कमिशन के नाम पर 10 हजार रूपए भी ले गए।
मृतक सागर के परिजनों को मिला 10 लाख का मुआवजा?
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मृतक सागर के परिजनों को 10 लाख की मदद मिली जो की सागर के फुफेरे भाई आजाद (वकील) द्वारा उन्हें दिलवाई गई!
नही मिला कोई मुआवजा
मृतक सागर के भाई ने बताया कि घटना स्थल पर सागर का कोई भी परिजन मौजूद नहीं था। घटनास्थल पर मौजूद लोगो ने और पुलिस ने उन्हें बताया कि गाड़ी चला रहा पांचवा शक्श फरार हो गया है। उन्हे कोई भी मदद या मुआवजा नहीं मिला है।
विशाल ( सागर का बड़ा भाई ) क्यों बोला झूठ?
विशाल ने हमे बताया कि उन्हें किसी भी तरह का मुआवजा नहीं मिला है लेकिन उनसे एक पर्चे पर सिग्नेचर कराया गया है जिसमे यह लिखा है कि दोनो मृतक के परिजनों को 20- 20 लाख की मदद का आश्वासन देते हुए 20 दिनो के अंदर मुआवजा देने का वादा किया गया है।
जब विशाल से पूछा गया कि क्या उन्हें कोई खबर है कि आशीष के परिजनों को कोई मुआवजा मिला है या नहीं तो विशाल ने साफ इंकार कर दिया। लेकिन जैसा की हमने पहले ही बताया कि आशीष के परिजनों ने बताया कि विशाल अपने फुफेरे भाई (वकील) आजाद के साथ कमीशन के 10 हजार रूपए लेने आया था।
विशाल और आशीष के परिजनों के बयान से यह साफ साबित होता है विशाल ने कुछ तो डिजिटल न्यूज़ गुरु की टीम से जरूर छुपाया है।
वही, मामला गर्माता देखकर नवाबगंज थाना प्रभारी रोहित तिवारी तीन दिन की छुट्टी पर चले गए हैं। एडीसीपी ने मामले से जुड़े तीन लोगों को नोटिस देकर बयान के लिये बुलाया है। इन्हीं बयानों के आधार पर पूरे प्रकरण की दिशा तय होगी।
हमारे पास तो पुलिस आई ही नहीं
जिस रात हादसा उस रात दुकान में आशीष सागर के साथ पवन उर्फ मोदी और रामजी भी थे। रामजी ने बताया कि हम चारों एक ही दुकान में खड़े होकर बात कर रहे थे तभी तेज रफ्तार कार आई और आशीष और सागर को कुचलती चली गई। मैंने और पवन ने कूद कर जान बचाई थी। हादसा होने के बाद हमने कार से चार लड़कों को उतरकर भागते देखा। जब पकड़ने की कोशिश की तो उनमें से एक ने कार से डंडा निकालकर मारने की कोशिश भी की थी। पुलिस चारों को ले गई थी। घटनास्थल में मौजूद रामजी मां बबली देवी और बहन सोनाली ने बताया कि वह दोनों बगल की दुकान पर थीं।
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