जरनैल सिंह भिंडरेवाले (Jarnail Singh Bhindranwale):
आज हम आप सब लोगों को एक ऐसे खतरनाक इंसान जरनैल सिंह भिंडरेवाले (Jarnail Singh Bhindranwale): की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने एक समय मे पूरे देश में तहलका मचा दिया था.
पंजाब में दहशत का दूसरा नाम जरनैल सिंह भिंडरेवाले (Jarnail Singh Bhindranwale) था:
जरनैल सिंह भिंडरेवाले (Jarnail Singh Bhindranwale) को पंजाब में दहशत का दूसरा नाम कहा जाने लगा था. सिख धर्म की एक संस्था दमदमी टकसाल से जुड़ने के बाद जरनैल सिंह अपने नाम के पीछे भिंडरेवाले लगाने लगा था इसके बाद से ही लोग उसे भिंडरेवाले के नाम से जानने लगे थे. करीब 30 साल की उम्र में जरनैल सिंह को इस संस्था का अध्यक्ष भी चुन लिया गया था. यहीं से भिंडरेवाले ने एक अलग देश बनाने की मुहिम को हवा देना शुरू कर दिया था.पंजाब में लगातार हिंसक झड़प होने लगीं, जिसमें भिंडरेवाले के भड़काऊ भाषणों का हमेशा अहम रोल रहा था.
पंजाब में लगाया गया था राष्ट्रपति शासन:
साल 1981 में पंजाब केसरी के संपादक लाला जगत नारायण की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. ऐसा भी कहा जाता था कि भिंडरेवाले ने ही इस हत्याकांड की पूरी साजिश रची थी. हालांकि तब उसे गिरफ्तार नहीं किया गया था.इसके दो साल बाद साल 1983 में पंजाब के डीआईजी की भी हत्या करवा दी गई थी.
इसके बाद ही एक दिन एक बस में घुसकर कुछ बंदूकधारियों ने कई हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिया था. पंजाब में हिंसा आग की तरह फैल रही थी, जिसे देखते हुए पंजाब सरकार को बर्खास्त कर तुरंत राष्ट्रपति शासन लगा दिया था तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ये सख्त फैसला लिया था.
तब तक जरनैल सिंह भिंडरेवाले (Jarnail Singh Bhindranwale) धीरे से स्वर्ण मंदिर में घुस चुका था और उसे अपना ठिकाना भी घोषित कर दिया था. यहां उसके सैकड़ों बंदूकधारी लड़ाके भी उसके साथ वही मौजूद रहते थे. यहां अकाल तख्त पर बैठकर वो पूरे पंजाब में दहशत फैलाने का काम करने लगा था. इसके बाद इंदिरा गांधी ने इस पूरे चैप्टर को ही खत्म करने का फैसला कर दिया था.
ऑपरेशन ब्लू स्टार करी शुरुआत:
जून साल 1984 में इंदिरा गांधी सरकार ने ऑपरेशन ब्लू स्टार को चलाने का फैसला किया था . इस ऑपरेशन का पूरा मकसद था कि स्वर्ण मंदिर को भिंडरेवाला और उसके समर्थकों से आजाद कराना . इस बड़े ऑपरेशन से पहले ही पंजाब में पूरी तरह से कर्फ्यू लगा दिया गया था. तथा सभी रेलगाड़ियां भी चलाने से रोक दी गईं थी. 4 जून को ये ऑपरेशन शुरू कर दिया गया था.और भारतीय सेना के सभी कमांडो गोल्डन टेंपल में घुस गए.
इसके बाद सेना की बख्तरबंद गाड़ियां और टैंकों ने भी स्वर्ण मंदिर पर चढ़ाई करनी शुरू कर दी थी. करीब तीन दिन तक चले इस ऑपरेशन में भिंडरेवाले के कई समर्थक मारे गए थे और 6 जून साल 1984 को आखिरकार भिंडरेवाले भी मारा गया था. इस पूरे ऑपरेशन में करीब 80 से ज्यादा जवान भी शहीद हो गए थे वहीं करीब 500 चरमपंथियों को भी मार गिराया गया था.
ऑपरेशन ब्लू स्टार को लेकर इंदिरा सरकार की खूब आलोचना भी हुई थी.कई नेताओं के इस्तीफे हो गए थे.और जमकर विरोध शुरू हो गया था. इसी ऑपरेशन को इंदिरा गांधी की हत्या की एक वजह भी माना जाता है. इस ऑपरेशन के करीब चार महीने बाद ही इंदिरा गांधी को उनके दो सिख बॉडीगार्ड्स ने गोलियों से छलनी कर दिया था और मौत के घाट उतार दिया था. इसके अलावा पूरे ऑपरेशन को लीड करने वाले जनरल एएस वैद्य की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
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