भारत में 37 फ़ीसदी आबादी का हेल्थ इंश्योरेंस नहीं, कमाई का दसवां हिस्सा हो रहा इलाज में खर्च!
Digital News Guru Health Desk: बढ़ते इलाज खर्च के बाद भी भारत में मेडिकल इंश्योरेंस कराना अब भी महंगा है। भारत में इलाज कराना बाकी एशियाई देशों के मुकाबले काफी महंगा है।
2023 की स्वास्थ्य रिपोर्ट इंश्योरटेक कंपनी प्लंप की ‘कॉरपोरेट इंडिया’ के अनुसार भारत में महंगाई का रेट 14 फीसदी तक पहुंच गया है ऐसे में देश की आम जनता पर निरंतर मेडिकल खर्चों का बोझ बढ़ता जा रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, आम भारतीय हेल्थ इंश्योरेंस ही नहीं बल्कि हेल्थ चेकअप कराने के मामले में भी पीछे है। लगभग 59 फीसदी लोग अपना सालाना हेल्थ चेकअप नहीं करवाते हैं वही 90 पैसे दे दो पैसे भी हैं जो अपनी सेहत पर बिल्कुल भी सही तरीके से ध्यान नहीं देते हैं।
आइए जानते हैं कि भारत में इलाज खर्च बढ़ने की वजह क्या है और हेल्थ इंश्योरेंस पर इसका क्या असर पड़ा है।
इलाज के नए-नए तरीके ईजाद, विदेशों के उपकरण महंगे
- मरीजों की जानलेवा बीमारियों के इलाज के नए-नए तरीके खोजने पर बड़ी मात्रा में निवेश किया जा रहा है, जिससे इलाज खर्च महंगा हो रहा है।
- कैंसर, ऑर्गन ट्रांसप्लांट्स जैसे इलाज इसीलिए काफी महंगे साबित हो रहे हैं। इसके लिए कई अस्पताल विदेशों से महंगे-महंगे उपकरण तक मंगा रहे हैं, जो इलाज काे और महंगा बनाते हैं।
विदेशियों द्वारा भारत आकर इलाज कराना
- भारत में विदेश के मुकाबले इलाज कराना ज्यादा सस्ता पड़ता है इसलिए कई देशों के लिए मेडिकल टूरिज्म का हब भारत बना हुआ है।
- विदेश के लोग इलाज पर जमकर पैसा खर्च करते हैं जिससे भारतीयों के इलाज पर वही खर्च महंगा हो जाता है।
कोराेना की मार बड़ा टर्निंग पॉइंट
- कोरोना महामारी हेल्थकेयर सेक्टर में बड़ा टर्निंग पॉइंट बनकर उभरी है। इस दौरान काफी मात्रा में कच्चा माल विदेशों से आयात किया गया।
- इससे देश में विदेश से आने वाले लोगों का आना जाना बढ़ गया है।
- इस वजह से डॉक्टरों, नर्सों, वेंटिलेटर्स और ऑक्सीजन सिलेंडर्स की मांग बढ़ गई। इससे आम आदमी के अस्पताल में भर्ती होने की लागत भी बढ़ी।
स्वास्थ्य सेवाओं की लागत बढ़ी
- मेडिसिन के क्षेत्र में नई-नई दवाओं का ईजाद हुआ। इससे कई गंभीर बीमारियों का इलाज संभव हो पाया, जो पहले नहीं थीं। साथ ही इलाज में लगे नए-नए उपकरण भी आए। इससे इलाज खर्च महंगा हुआ।
भारत की 37 फीसदी आबादी के पास कोई स्वास्थ्य बीमा नहीं
- फोर्ब्स के अनुसार, भारत में करीब 51 करोड़ आबादी के पास हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम्स हैं, जो देश की कुल आबादी का 37 फीसदी ही हैं।
- वहीं, नीति आयोग ने कम लागत वाले स्वास्थ्य बीमा की जरूरत का सुझाव देते हुए कहा है कि भारत की लगभग 30% या 42 करोड़ आबादी किसी भी स्वास्थ्य बीमा से वंचित है।
- 71% कर्मचारी अपने इलाज का खर्चा खुद ही ढोते हैं
- देश के 71% कर्मचारी मेडिकल बिल का भुगतान खुद करते हैं और केवल 15 फीसदी ही ऐसी कंपनियां है जो कर्मचारियों को हेल्थ इंश्योरेंस का कवर देती हैं।
युवाओं मे हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर जागरुकता है कम
कंपनियों द्वारा दी जाने वाली हेल्थ इंश्योरेंस सुविधा का फायदा 20 से 30 साल के युवा नहीं उठा पाते, क्योंकि उनके बीच जागरुकता की काफी कमी है। वहीं, 50 साल से ज्यादा उम्र के लोग हेल्थ इंश्योरेंस ज्यादा लेते हैं। वहीं, 42 फीसदी लोगों ने यह भी माना है कि कंपनी द्वारा प्रदान की जाने वाली हेल्थ इंश्योरेंस को कर्मचारियों के अनुकुल बनाने की जरूरत है।
भारतीयों की कमाई का 10% इलाज पर ही खर्च
- रिपोर्ट के अनुसार, बढ़ते मेडिकल खर्चों की वजह से 9 करोड़ से ज्यादा भारतीयों की जिंदगी पर असर पड़ा है। उनकी कमाई का करीब 10 फीसदी हिस्सा बीमारियाें के इलाज पर ही खर्च हो जाता है।
- पॉलिसी बाजार के एक डेटा के मुताबिक, संक्रामक बीमारियों के लिए इंश्योरेंस क्लेम 2018 में 24,569 रुपए था, जो 2022 में बढ़कर 64,135 रुपए हो गया।
- यह राशि मुंबई-दिल्ली जैसे मेट्रो शहरों में करीब 30 हजार रुपए से बढ़कर 80 हजार रुपए बैठती है। सबसे ज्यादा सांस से जुड़ी बीमारियों के इलाज पर इंश्योरेंस क्लेम किया गया।
मनोरोग, एड्स या कॉस्मेटिक सर्जरी हेल्थ इंश्योरेंस के दायरे में नहीं
इंश्योरेंस में कौन- कौन सी चीजें कवर नहीं होतीं
- मनोरोग संबंधित विसंगति, लिंग परिवर्तन सर्जरी कॉस्मेटिक सर्जरी, खुद को नुकसान पहुंचाने में लगी चोट और दातों का इलाज जैसे किसी भी मामले में स्टैंडर्ड हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के दायरे में नहीं आते हैं।
यदि आप हेल्थ इंश्योरेंस ले रहे हैं, तो आप यह जरूर देखें की उस इंश्योरेंस में क्या-क्या चीज कवर नहीं होती है।
साथ ही यह भी पूछे कि कौन- सी बीमारियां है जो एक नियमित समय सीमा के बाद कवर होती हैं। साथ ही वह कौन सी बीमारियां है जो कभी भी कवर नहीं होगी।
अब यह तो रही मेडिकल की महंगाई की बात अब हम चर्चा करते हैं अस्पतालों में इलाज का खर्च जो की बहुत ज्यादा बढ़ गया है । ऐसे में अगर आपके पास कोई भी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी नहीं है, तो बीमार होने पर आपकी जेब पूरी तरीके से खाली हो जाएगी। जरूरत के मुताबिक ही बीमा कवर खरीदें।
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