DIGITAL NEWS GURU MAHARASHTRA DESK :- महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग करते हुए 42 वर्षीय मनोज जरांगे पाटिल ने यू तो 2014 के बाद से कई आंदोलन किए हैं, जो ज्यादा चर्चा में तो नहीं रहे , जिसके चलते उनके ज्यादातर प्रदर्शनों की गूंज महाराष्ट्र के जालना जिले से बाहर नहीं जा पाई । मगर हाल ही में हुई उनकी भूख हड़ताल ने पूरे महाराष्ट्र की राजनीति मे में हलचल मचा दी है। देखते ही देखते महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन हिंसक रूप ले चुका है ।
इन्ही हिंसक प्रदर्शनों के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आंदोलनकारी नेता मनोज जरांगे से बातचीत की और उनको आश्वासन दिया कि मराठा समुदाय को कुनबी जाति की कैटेगरी में शामिल किया जाएगा । मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के आश्वासन के बाद मनोज जरांगे पाटिल ने आमरण अनशन खत्म कर दिया है।
कौन हैं मनोज जरांगे पाटिल?
42 वर्ष के मनोज जरांगे पाटिल मूलतया महाराष्ट्र के बीड जिले के ही रहने वाले हैं। मगर 20 साल पहले क्षेत्र मे सूखे की स्तिथि से त्रस्त होकर मनोज जरांगे के पिता जालना के अंकुश नगर की मोहिते बस्ती में आकर रहने गए थे। अपने पिता के 4 बेटों में सबसे छोटे मनोज जरांगे आज मराठा समाज का बड़ा नेता बन चुके हैं ।
मराठा समुदाय के आरक्षण के प्रबल समर्थक रहे मनोज जरांगे को हमने अक्सर उन प्रतिनिधिमंडलों के हिस्सा बनते देखा है , जिन्होंने आरक्षण की मांग के लिए महाराष्ट्र राज्य के विभिन्न नेताओं से मुलाकात की है। यू तो मनोज जरांगे ने मराठा आंदोलन की मुहिम 2011 से ही शुरू कर दि थी ।
इस वर्ष 2023 में ही अब तक इन्होंने कुल 30 से ज्यादा बार मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन कर चुके थे ।शुरू से ही मनोज जरांगे को मराठा आरक्षण आंदोलन का बड़ा चेहरा माना जाता है। मराठवाड़ा क्षेत्र में उनका बहुत सम्मान किया जाता है । 2016 से लेकर 2018 तक जालना में जितने भी मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन हुए थे, उनका नेतृत्व भी मनोज जरांगे ने ही किया था।
12वीं क्लास में रहते हुए छोड़ी पढ़ाई
मनोज जरांगे से जुड़े हुए लोग बताते है की वर्ष 2010 में मनोज जरांगे 12वीं क्लास में थे, तभी उन्होंने पढ़ाई छोड़ कर वो आंदोलन से जुड़ गए थे । वो बेहद की सामान्य घर से तालुक रखते है , उन्होंने अपने भरण पोषण के लिए एक होटल में भी काम किया है । बीते 12 वर्षों मनोज में जरांगे ने 30 से भी ज्यादा बार आरक्षण आंदोलन किया है। साल 2016 से 2018 तक भी उन्होंने जालना में आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व किया.
पूर्व मे विचारधारा के मतभेद के चलते छोड़ दी कांग्रेस:-
अपने शुरूवाती दिनों में मनोज जरांगे कांग्रेस के एक मामूली कार्यकर्ता थे। मगर राजनीति में भी हाथ आजमाते – आजमाते वो जालना जिले के युवा कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। मगर बाद मे कुछ विचारधारा के मतभेद के चलते जल्दी ही उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद में उन्होंने मराठा समुदाय के सशक्तीकरण के लिए ‘शिवबा संगठन’ नाम की एक संस्था बना ली।
आंदोलन के लिए बेची 2 एकड़ जमीन:-
मनोज जरांगे एक सामान्य परिवार से आते है जिसके चलते उनकी आर्थिक स्थिति भी इतनी कुछ खास नहीं थी। मनोज के परिवार में उनके माता-पिता, पत्नी, चार बच्चे और तीन भाई हैं। जब शिवबा संगठन चलाने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे, तब उन्होंने अपनी 2 एकड़ जमीन बेच दी थी और मनोज के नेतृत्व में ही साल 2021 में जालना के पिंपलगांव में तीन महीने तक तमाम लोगों ने आरक्षण के लिए धरना दिया था.
समर्पण के मुरीद हैं लोग:-
आज कल मराठा आरक्षण आंदोलन का ताजा केंद्र बन चुके अंतरवाली सराटी गांव के लोगों का कहना है कि समाज के प्रति मनोज जरांगे का नि:स्वार्थ भाव उनकी बड़ रही लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण है। और मुख्य बात ये है कि लोगों को उन पर भरोसा करने की सबसे अहम वजह ये है कि उन्हे पैसा नही चाहिए, उन्हें कुछ भी नही चाहिए. उन्हें तो बस समाज के हित के लिए काम करना है ।
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