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गुलाम नबी आजाद जन्मदिन विशेष (Gulam nabi azad birthday special):
गुलाम नबी आजाद (Gulam nabi azad) कांग्रेस पार्टी का एक बड़ा चेहरा माने जाते थे। इसका एक कारण यह था कि वह गांधी परिवार के विशेष करीबी लोगों मे से एक थे । मगर अचानक से इनके रिश्ते मे एक बदलाव आ गया था।
क्योंकि उन्होंने कांग्रेस पार्टी से त्यागपत्र दे दिया था और जम्मू-कश्मीर में स्वयं की एक नई पार्टी बना ली थी। वैसे तो इतना तय है कि गुलाम नबी आजाद (Gulam nabi azad) आज भले ही कांग्रेस के सदस्य नहीं रहे है, लेकिन इस सच्चाई से इनकार भी नहीं किया जा सकता है कि आज़ाद ने जम्मू कश्मीर के समर्थक मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में काफी अच्छी पकड़ बना रखी है और वहां के सभी मतदाता उन्हें अपना नेता भी मानने लगे है। इसलिए गुलाम नबी आजाद (Gulam nabi azad) कि राजनीति जम्मू-कश्मीर में एक महत्पूर्ण भूमिका निभाती है। और आजाद जम्मू-कश्मीर के एक वरिष्ठ नेता भी माने जाते हैं।
गुलाम नबी आजाद (Gulam nabi azad) का जन्म और परिवार:
गुलाम नबी आजाद (Gulam nabi azad) का जन्म 7 मार्च साल 1949 को जम्मू कश्मीर के डोडा जिले के खैरासा में हुआ था। आज़ाद जब पैदा हुए थे तो वो एक ऐसा समय था जब देश को नई आजादी मिल रही थी । और जम्मू कश्मीर भी देश का एक सिद्धांत अंग बन गया था।
गुलाम नबी आजाद (Gulam nabi azad) के पिता का नाम रहमतसयाब बट्ट और इनकी माँ का नाम बसा बट्ट था। गुलाम नबी आज़ाद की पत्नी का नाम शमीम देव आज़ाद है। वह कश्मीर की एक गायिका है । शमीम देव को पद्मश्री पुरस्कार भी मिल चुका है। गुलाम नबी आज़ाद की शादी दोनों लोगों की पारिवार कि सहमति से साल 1980 में हो गयी थी । आजाद और शमीम एक दूसरे को बहुत दिनों से जानते थे। एक इंटरव्यू में उनकी पत्नी ने कहा था कि गुलाम नबी आजाद भी एक अच्छे शायर हैं।गुलाम नबी आज़ाद का एक बेटा और एक बेटी है। इनके बेटे का नाम सद्दाम नबी आज़ाद है । और इनकी बेटी का नाम सोफिया नबी आज़ाद है।
गुलाम नबी आजाद (Gulam nabi azad) की शिक्षा:
गुलाम नबी आजाद (Gulam nabi azad) ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गाँव आस-पास के क्षेत्र से पूरी की। बाद में वे उच्च शिक्षा के लिए जम्मू चले गये और 1970 में गांधी मेमोरियल साइंस कॉलेज से विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और फिर इसके बाद 1973 में कश्मीर विश्वविद्यालय, श्रीनगर से जूलॉजी में एमएससी (स्नातकोत्तर) की डिग्री प्राप्त की।
बताया गया है कि गुलाम नबी आज़ाद के तुरंत बाद दिल्ली चले गए और फिर अपनी राजनीतिक राजनीति में चले गए। बाद में दिल्ली में उनकी राजनीतिक यात्रा की आधारशिला रखी गई और दिल्ली की राजनीति से ही वे आगे बढ़े।
गुलाम नबी आजाद (Gulam nabi azad) का राजनीतिक करियर:
गुलाम नबी आजाद (Gulam nabi azad) की राजनीतिक यात्रा की शुरुआत सत्र के दशक से हुई थी। वे केके में पढाई के दौरान ही कांग्रेस के संपर्क में आये थे। गुलाम नबी आज़ाद ने पहली बार 1973 में भलेसा में ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के सचिव के तौर पर काम किया। इसके बाद 1975 में जम्मू-कश्मीर प्रदेश में युवा कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया गया। बाद में वे दिल्ली आ गये। दिल्ली आने पर उन्हें 1980 में अखिल भारतीय युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। इस प्रकार गुलाम नबी आजाद हुए उस समय कांग्रेस पार्टी में शामिल होकर इतनी तेजी से आगे बढ़े कि उस दौर में एक सामान्य व्यक्ति के लिए आगे लगभग असंभव सा था।
गुलाम नबी आजाद (Gulam nabi azad) यही नहीं रिकॉर्ड, उसी साल यानी 1980 में कांग्रेस पार्टी ने जम्मू कश्मीर से नहीं बल्कि वहां से हजारो किमी दूर महाराष्ट्र के वासिम से उम्मीदवारी बनाई और गुलाम नबी आजाद को पहली बार जीत हासिल हुई। इस प्रकार अस्सी के दशक से गुलाम नबी आजाद देश की मुख्य धारा की राजनीति में प्रवेश कर चुके थे, जहां 1980 में 7वें लोकसभा में नोबेल अब वे अल्पसंख्यक बन गए थे। इसके बाद गुलामी नबी आजाद कॉन्स्टेंसी से आगे ही बढ़ती रहेगी। जीत के बाद 1982 में उन्हें केंद्र की इंदिरा सरकार में मंत्री बनाया गया और उन्हें कानून, न्याय और मामला कंपनी का मंत्रालय दिया गया।
1985 में वे दूसरी बार आठवें के लिए चुने गए। इसके बाद 1990 से 1996 तक महाराष्ट्र से राज्यव्यापी सदस्य बने रहे। उस समय वे केंद्र के नरसिम्हा सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. उस समय वे सासंद संसदीय और नागरिक उड्डयन मंत्री रहते थे। इसके बाद 1996 से 2002 तक वे जम्मू-कश्मीर से सागर के सदस्य रहे।
गुलाम नबी आज़ाद वर्ष 2005 में पहली बार जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री बने। लेकिन पीआईपी के समर्थन वापस लेने के कारण तीन साल में उनकी सरकार गिर गई और उन्हें 2008 में मुख्यमंत्री के पद से त्यागपत्र दे दिया गया। 26 अगस्त, 2022 को गुलाम नबी आज़ाद ने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक संस्था से त्यागपत्र दे दिया और सितंबर, 2022 में उन्होंने स्व की एक पार्टी बना ली जिसका नाम उन्होंने ‘पार्टी डेमोक्रेटिक आज़ाद पार्टी’ रखा। लेकिन 27 दिसंबर, 2022 को उन्होंने अपनी पार्टी का नाम मेमोरी ‘डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी’ कर दिया।
गुलाम नबी आजाद (Gulam nabi azad) की उपलब्धियाँ:
1973 – कांग्रेस पार्टी के संस्थापक की स्थापना
1975 – जम्मू-कश्मीर प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष नियुक्त किये गये
1980 – अखिल भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष नियुक्त किये गये
1980 – महाराष्ट्र के वासिम लोक सभा सदस्य के रूप में निर्वाचित
1985 – लोकसभा के लिए नामांकित व्यक्ति को चुना गया
1990-96 – महाराष्ट्र से राज्यसभा सदस्य रहे
1996-02 – जम्मू कश्मीर से सागर के सदस्य रहे
2 नवंबर, 2005 – पहली बार जम्मू कश्मीर का मुख्यमंत्री पद मिला (भूतपूर्व)
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