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क्या आप जानते है इंडिया गेट के तल पर एक अन्य स्मारक अमर जवान ज्योति के बारे में? आइए जानते हैं इंडिया गेट का इतिहास!
दिलवालों की दिल्ली की जब भी कोई बात होती है तो लोगों के दिमाग मे जो सबसे पहले जो चित्र आता है वो होता है इंडिया गेट का। इस इंडिया गेट को देखने लोग काफी दूर-दूर से आते हैं, लेकिन लोगों के मन मे सवाल ये भी उठता हैं कि ये किसने बनाया था और किसने इस द्वार की नींव रखी गयी थी। 12 फरवरी साल 1931 को इंडिया गेट बनकर तैयार हो गया था।
आइए जानते है इसके इतिहास के बारे में…
इंडिया गेट दिल्ली का ही नहीं अपितु भारत का महत्वपूर्ण स्मारक है। इंडिया गेट को 80,000 से अधिक भारतीय सैनिकों की याद में निर्मित किया गया था जिन्होंने प्रथम विश्वयुद्ध में वीरगति पाई थी। यह स्मारक 42 मीटर ऊंची आर्च से सज्जित है और इसे प्रसिद्ध वास्तुकार एडविन ल्यूटियन्स ने डिज़ाइन किया था। इंडिया गेट को पहले अखिल भारतीय युद्ध स्मृति के नाम से जाना जाता था। इंडिया गेट की डिज़ाइन इसके फ्रांसीसी प्रतिरूप स्मारक आर्क- डी-ट्रायोम्फ के समान है।
भौगोलिक स्थिति
यमुना नदी के किनारे दिलवालों की दिल्ली शहर बसा हुआ है ये भारत की राजधानी भी है जो प्राचीन और काफी गतिशील इतिहास के साथ दिल्ली चमकदार आधुनिक शहर माना जाता है। इंडिया गेट दिल्ली के राजपथ पर स्थित है। इस दिल्ली शहर में एक साथ दो अनोखे अनुभव होते रहते है ।
नई दिल्ली जो है वो अपनी चौड़ी सड़कों और ऊंची इमारतों के साथ एक समकालीन शहर होने का पूरा अनुभव कराती है। जबकि पुरानी दिल्ली की सड़कों पर चलते हुए आप एक पुराने युग का नज़ारा ले सकते हैं, जहाँ तंग गलियां और पुरानी हवेलियाँ दिखाई देती हैं। दिल्ली में हज़ारों पुराने ऐतिहासिक स्मारक और धार्मिक महत्व के स्थान हैं। इंडिया गेट प्रथम विश्वयुद्ध और अफ़ग़ान युद्ध में मारे गए भारतीय जवानों की याद में 1931 में बनकर तैयार हुआ।यह इमारत लाल पथरो से बनाया गया है जो काफी विशाल ढांचे के मंचकी तरह वहाँ पर खड़ी है।
इसके आर्च के ऊपर दोनों ओर ‘इंडिया’ लिखा हुआ है। इंडिया गेट जिन भी भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया था उन सभी के नाम इस इमारत पर लिखें हुए हैं। इंडिया गेट को सन् 1921 में ड्यूक ऑफ़ कनॉट ने बनवाया था और इसे कुछ समय बाद तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। इंडिया गेट दिल्ली सबसे महत्त्वपूर्ण इमारत है। दिल्ली आने वाले पर्यटक यहाँ अवश्य ही आते हैं।
अमर जवान ज्योति
इंडिया गेट के तल पर ही एक अन्य स्मारक भी है जिसका नाम अमर जवान ज्योति है, जिसे स्वतंत्रता के बाद ही जोड़ा गया था। यहाँ पर निरंतर एक ज्वाला जलती ही रहती है जो उन सभी भारतीय सैनिकों की याद में है जिन्होंने अपने राष्ट्र की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था।अमर जवान ज्योति की स्थापना सन् 1971 के भारत-पाक युद्ध में भाग लेने वाले सैनिकों की याद में करी गई थी।
बोट क्लब
इंडिया गेट के आस पास हरे भरे मैदान है इसके साथ ही, बच्चों का उद्यान और प्रसिद्ध बोट क्लब इसे एक उपयुक्त पिकनिक स्थल बना देता हैं। इंडिया गेट के फव्वारे के पास बहती शाम की ठण्डी हवा ढेर सारे दर्शकों को यहाँ आकर्षित हमेशा करती है। शाम के समय इंडिया गेट के चारों ओर लगी रोशनियों से इसे प्रकाशमान कर दिया जाता है जिससे एक भव्य दृश्य बन जाता है। स्मारक के पास खड़े होकर राष्ट्रपति भवन का नज़ारा लिया जा सकता है।
सुंदरतापूर्वक रोशनी से भरे हुए इस स्मारक के पीछे काला होता आकाश इसे एक यादगार पृष्ठभूमि प्रदान करता है। दिन के प्रकाश में भी इंडिया गेट और राष्ट्रपति भवन के बीच एक मनोहारी दृश्य दिखाई देता है।जनवरी को इंडिया गेट गणतंत्र दिवस की परेड का गवाह बनता है। जहाँ आधुनिकतम रक्षा प्रौद्योगिकी के उन्नयन का प्रदर्शन किया जाता है। यहाँ पर हर साल आयोजित की जाने वाली परेड भारत देश की रंगीन और विविध सांस्कृतिक विरासत की झलक भी दिखाता है, जिसमें देश भर से आए हुए सभी कलाकार इस अवसर पर अपनी कला का खूब प्रदर्शन करते हैं।