Saturday, September 21, 2024

Dalai Lama birthday special : किसे कहते है दलाई लामा, तिब्बतियों के धर्मगुरु और 14वें दलाई लामा के जन्मदिन पर जाने उनसे जुड़ी  कुछ अनसुनी बातें !

DIGITAL NEWS GURU RELIGIOUS DESK :- 

Dalai Lama birthday special : किसे कहते है दलाई लामा, तिब्बतियों के धर्मगुरु और 14वें दलाई लामा के जन्मदिन पर जाने उनसे जुड़ी  कुछ अनसुनी बातें !

6 जुलाई, 1935 को तिब्बतियों के धर्मगुरु और 14वें दलाई लामा (Dalai Lama) का जन्मदिन है। वह 89 साल के हो जाएंगे। “मेरा शरीर तिब्बती है लेकिन मन से मैं एक भारतीय हूं”। तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा (Dalai Lama) को 64 साल पहले 31 मार्च, 1959 में तिब्बत से भागना पड़ा था। तब से वो भारत में ही रह रहे हैं।

आज 6 जुलाई को तिब्बतियों के सबसे बड़े धर्मगुरु इसके साथ ही तिब्बत के 14वें दलाई लामा (Dalai Lama) का आज जन्मदिन है। आइये उनके जन्मदिन के अवसर पर आपको बताते है दलाई लामा के उस सफर के बारे में जिसके कारण आज हम उन्हें इतना सम्मान देते है।

 

जब चीन ने तिब्बत पर किया हमला:

1950 के दशक की शुरुआत में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने तिब्बत पर आक्रमण करना शुरू किया।
साल 1951 में तिब्बत ने चीन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके बाद चीन का तिब्बत पर कब्जा हो गया था। आज भी उस जगह पर चीन का कब्जा है ।

 

आखिर किसे कहते है दलाई लामा (Dalai Lama):

  • दलाई लामा (Dalai Lama) उसको कहते है जो कि तिब्बत के सबसे बड़े धार्मिक नेता होते है।
  • लामा का मतलब तिब्बत पर एक गुरु के रूप मे जाना जाता है । ये गुरु अपने सभी लोगों को सही रास्ते पर चलने की प्रेरणा देते रहते हैं।
  • तिब्बत के वर्तमान दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो हैं, जो कि साल 1959 से भारत में रह रहे हैं। तेनजिन ग्यात्सो का आज जन्मदिन है । तेनजिन ग्यात्सो का जन्म 6 जुलाई साल 1935 को हुआ था । ये तिब्बत के 13वें दलाई लामा के अवतार भी माने जाते है । तेनजिन ग्यात्सो का जन्म पूर्वोत्तर तिब्बत के तकत्सेर में हुआ था।
  • ऐसा भी कहा जाता है कि साल 1937 में जब तिब्बत के सारे बड़े धर्मगुरुओं ने दलाई लामा को देखा था तो उन सभी को तेनजिन ग्यात्सो मे तिब्बत के 13वें दलाई लामा थुबतेन ग्यात्सो के अवतार नजर आए हुए थे।
  • मात्र15 साल की उम्र में उन्हें तिब्बत के राजनीतिक और आध्यात्मिक नेता की भूमिका निभाने का अवसर मिला था।
    अपनी आध्यात्मिक समझ को गहरा करते हुए उन्हें एक राष्ट्र पर शासन करने की चुनौतियों का भी सामना करना।

 

दलाई लामा (Dalai Lama) कब आये थे भारत ? :

दलाई लामा (Dalai Lama) तिब्बत की राजधानी ल्हासा 17 मार्च साल 1959 को पैदल ही भारत आने के लिए निकल पड़े थे। हिमालय के कठिन पहाड़ों को पार करते हुए सिर्फ 15 दिन के अंदर ही दलाई लामा भारत की सीमा पार कर चुके थे। 31 मार्च को वह भारतीय सीमा में दाखिल हुए और यहीं के होकर रह गए। इस कठिन यात्रा के दौरान दलाई लामा को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा। चीन की नजरों से बचने के लिए उन्हें केवल रात को ही सफर करना पड़ा था।

दलाई लामा भारत से ही चलाते है तिब्बत की निर्वासित सरकार:

दलाई लामा हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में रहते है और यही से तिब्बत की निर्वासित सरकार को चलाते है। इसका चुनाव भी होता है, जिसके लिए दुनियाभर के तिब्बती शरणार्थी वोट करते हैं। वोट डालने के लिए शरणार्थी तिब्बतियों को पहले रजिस्ट्रेशन कराना होता है।

तिब्बती लोग चुनाव के दौरान अपने सिकयोंग यानी राष्ट्रपति को चुनते हैं। भारत की तरह वहां की संसद का कार्यकाल 5 सालों का होता है। जानकारी के लिए बता दें कि चुनाव लड़ने और वोट डालने का अधिकार केवल उन तिब्बतियों को होता है जिनके पास ग्रीम बुक होती है। ये ग्रीन बुक ‘सेंट्रल तिब्बतन एडमिनिस्ट्रेशन’ द्वारा जारी की जाती है। ये वहाँ पर एक तरह का पहचान पत्र ही होता है

साल 1962 के युद्ध के पीछे थी चीन की कड़ी नाराजगी, दलाई लामा बने थे इस चीज का कारण:

साल 1959 के तिब्बती विद्रोह में भारत की कोई योजना नहीं थी लेकिन फिर भी चीन ने इसके लिए भारत को दोषी ठहराया।चीन ने ये भी आरोप लगाया था कि भारत ने एक योजना बनाई थी कि दलाई लामा तिब्बती क्षेत्र से कैसे भाग सकते हैं ।मार्च साल 1959 में दलाई लामा के तिब्बत से भागने और भारत द्वारा शरण दिलाए जाने का चीन ने कड़ा विरोध किया था। इसी का बदला लेने के लिए 20 अक्टूबर 1962 को चीन ने भारत पर हमला किया।

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