500 साल बाद बना दिवाली मे दुर्लभ संयोग। इस मुहूर्त मे पूजन करना होगा लाभदायक।
Digital News Guru Delhi Desk: इस साल दिवाली 12 नवंबर को मनाई जायेगी। हिंदू धर्म के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या को पूरे देश मे दिवाली का पर्व बड़े धूम धाम से मनाया जाता है।घरों मे दिवाली की तैयारी बहुत दिनों पहले से शुरू हो जाती है। दिवाली मे पूरे घर को रंग बिरंगी लाईट से सजाते है। साथ ही दिये भी जलाये जाते है। दिवाली का पर्व 5 दिन का होता है। धन तेरस से ये त्योहार शुरू हो जाता है। फिर नरक चतुर्दशी जिसको छोटी दिवाली कहते है वो मनाया जाता है। फिर उसके बाद दिवाली फिर गोवर्धन पूजा के बाद आखिरी दिन भाई दूज मनाया जाता है।
हिंदू पंचाग के अनुसार इस बार की दिवाली खास होने वाली है। क्यों की 500 साल बाद दिवाली वाले दिन सोमवती अमावस्या पड़ रही है साथ ही सब कार्य करने वाला सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। जिसके कारण ये दिवाली बहुत खास होने वाली है। ये योग मिलकर राज योग बनाते है।
दिवाली पर शुभ योग
दिवाली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। दिवाली मे लक्ष्मी जी और गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व है। दिवाली मे लक्ष्मी पूजन हमेशा प्रदोष काल मे करना चाहिए। इस बार दिवाली मे अमावस्या दोपहर को करीब 2 बजकर 30 मिनट से लग जायेगी। वैदिक शास्त्र के अनुसार दिवाली की शाम जब लक्ष्मी पूजन होगा तो 5 राज योग का निर्माण होगा। इसके साथ साथ शाम Sami ससमय आयुष्मान और महा लक्ष्मी योग भी बन रहा है। इसके साथ सोमवती अमावस्या भी पड़ रही है। ऐसे मे ये दिवाली सभी के लिए शुभ और मंगलकारी साबित होगी।
दिवाली पर पाँच राजयोग
इस दिवाली एक साथ पाँच राज योग देखने को मिलेंगे। ये पाँच राज योग है गजकेशरी, उभयचरी, हर्ष, कहाल, और दुर्धरा । ये पाँच राजयोग मिलकर शुक्र बुध और चंद्रमा का निर्माण करेंगे। वैदिक आचार्य के अनुसार गजकेसरी योग मान सम्मान दिलाता है। हर्ष योग धन वृद्धि और यश दिलाता है। जबकि कहाल उभयचारी और दुर्धरा योग शुभ और शांति लाता है। साथ ही इस दिवाली मे शनि अपनी राशि कुंभ मे रहकर महापुष्प राज योग का निर्माण करेगा।
12 नवंबर को दोपहर के बाद अमावस्या तिथि
इस साल बड़ी और छोटी दिवाली साथ मे मनाई जा रही है। पंचाग के अनुसार 12 को सुबह चौदस रहेगी। और दोपहर 2 बजे के बाद अमावस्या लग जायेगी। शास्त्रों के अनुसार दिवाली का पूजन हमेशा अमावस्या मे होता है इस लिए दिवाली की पूजा 12 नवंबर को जायेगी। अमावस्या की तिथि 13 नवंबर को 3 बजे तक रहेगी। 13 नवंबर को सोमवती अमावस्या की पूजा होगी।
सोमवती अमावस्या का महत्व
इस बार दिवाली मे सोमवती अमावस्या लग रही है दोपहर मे 2 बजे से l और दूसरे दिन 13 नवंबर को 3 बजे खत्म होगी। उदय तिथि की अमावस्या अच्छी मानी जाती है। इसलिए सोमवती अमावस्या 13 को मनाई जायेगी। सोमवार के दिन सोमवती अमावस्या पड़ना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन पीपल की पूजा की जाती है। साथ ही अगर हो सके तो सारा दिन व्रत रखा जा सकता है।
दिवाली मे लक्ष्मी गणेश की पूजा का शुभ मुहुर्त
- 12 नवंबर को लक्ष्मी पूजा मुहुर्त -शाम 5 बजकर 40 मिनट से शाम 7 बजकर 36 मिनट तक इस 1 घंटे 54 मिनट की अवधी मे माँ लक्ष्मी का पूजंन करना अति उत्तम रहेगा। इस दिन प्रदोष काल शाम 05:29 से रात 8:07 मिनट तक है।
- दिवाली महानिशीथ काल लगभग रात 12:40 से 02:00 बजे तक रहेगा। इसकी 52 मिनट की अवधी रहेगी। इस समय तांत्रिक पूजा की जाती है।
दिवाली शुभ चौघड़िया पूजा मुहूर्त
- दोपहर मे 1:26 से 2:47 तक
- शाम मे 5:29 से 10:26 तक
- रात्रि मे 1:44 से 3:33 तक शुभ मुहूर्त है।
दिवाली पूजा की सामग्री
दिवाली मे सभी लोग चाहते है की माँ लक्ष्मी की कृपा उनके उपर बरसे। इसीलिए लोग पूजा मे कोई कमी नही करना चाहते। आईए जानते है की दिवाली की पूजा मे कौन कौन सी सामग्री लगेगी।
1 -कमल मे विराजमान माता लक्ष्मी
2- गणेश जी और कुबेर जी
3 – लाल पुष्प, अक्षत, कमल का फूल, सिंदूर, रोली, चंदन,
4- पान का पत्ता, सुपारी, कमल गट्टा, कौड़िया
5- फल, मेवे, मिठाई, लड्डू
6 – कलश मिट्टी का, रुई, गंगाजल, दूध, दही, घी
7- चांदी का सिक्का, पीले रंग का कपड़ा, आम के पत्ते, दूर्वा आदि
दिवाली मे लक्ष्मी जी का पूजन मंत्र
- ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः
- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:
आप इन मंत्रों का जाप कर के माँ लक्ष्मी को खुश कर सकते है