Saturday, September 21, 2024

Madhavrao scindia birthday special : अपनी माँ के कहने पर राजनीति मे आये थे माधव राव सिंधिया, अटल बिहारी वाजपेयी को हराया था चुनाव!

DIGITAL NEWS GURU POLTICAL DESK :- 

Madhavrao scindia birthday special : अपनी माँ के कहने पर राजनीति मे आये थे माधव राव सिंधिया, अटल बिहारी वाजपेयी को हराया था चुनाव!

भारतीय राजनीति के करिश्माई नेताओं की अगर फ़ेहरिस्त बनाई जाए तो माधवराव सिंधिया (Madhavrao scindia) उसमें से एक होंगे। क्रिकेट, गोल्फ, घुड़सवारी के शौक़ीन माधवराव सिंधिया (Madhavrao scindia) ने सामान्य व्यक्ति जैसा जीवन व्यतीत किया था। उनका जन्म 10 मार्च, साल 1945 को मुंबई में हुआ था। सिंधिया ग्वालियर के राजघराने की राजमाता विजयाराजे सिंधिया और जीवाजी राव सिंधिया के पुत्र थे। राजमाता विजया राजे सिंधिया ही थीं जिसके कारण माधवराव जनसंघ में गए थे। राजनीति में आने के बाद माधवराव ने एक राजनेता के रूप में देश के लिए कई बड़े फैसले किए। रेल मंत्री रहते हुए ही माधव राव ने सर्वप्रथम बुलेट ट्रेन का कंसेप्ट लाया था।

1971 में विजयाराजे सिंधिया के पुत्र माधवराव सिंधिया (Madhavrao scindia) ने अपनी मां की छत्रछाया में राजनीति का ककहरा पढ़ना शुरू किया और उन्होंने तब पहला चुनाव जनसंघ से लड़ा। 1971 के इस चुनाव में माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस के ‘डी. के. जाधव’ को एक लाख 41 हज़ार 90 मतों से हरा दिया था।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को हराकर चर्चा में आ गए थे माधवराव सिंधिया (Madhavrao scindia):

सिंधिया परिवार ने अपनी राजनैतिक पारी जनसंघ के साथ शुरू की थी। लेकिन बाद में विजया राजे बीजेपी के साथ रह गईं और उनके पुत्र माधवराव सिंधिया कांग्रेस से जुड़ गए। माधवराव सिंधिया (Madhavrao scindia) के कांग्रेस में जाने के बाद ग्वालियर उस समय चर्चा में आया था जब 1984 के आम चुनाव में उन्होंने बीजेपी के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी को हराया था। वह चुनाव चर्चा का विषय इसलिए बना था कि जनसंघ और बीजेपी का गढ़ माने जाने वाला ग्वालियर सिंधिया के गढ़ के रूप में सामने आया था। तभी से यह परंपरा चल रही है।

आखिर हार के बाद क्यों हंसने लगे थे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी:

1984 में अटल बिहारी वाजपेयी अपना चुनाव हार गए थे। इस हार के बाद अटल बिहारी वाजपेयी हंसने लगे थे। जब उसने हंसने का कारण पूछा गया था तो उन्होंने कहा कि था कि यहां से चुनाव लड़कर मैंने मां बेटे की लड़ाई को महल तक सीमित रहने दिया। उसे सड़क में नहीं आने दिया। उन्होंने कहा था कि अगर मैं इस सीट से चुनाव नहीं लड़ता तो माधवराव सिंधिया (Madhavrao scindia) के खिलाफ राजमाता चुनाव लड़ जाती और मैं यही नहीं चाहता था। 2005 में जब अटल बिहारी ग्वालियर दौरे पर पहुंचे थे तो उनसे इस हार का कारण पूछा गया था। जिसके जवाब में उन्होंने कहा था कि ग्वालियर में मेरी एक हार पर एक इतिहास छिपा हुआ है जो सिर्फ मैं जानता हूं।

 

कांग्रेस से अलग होकर भी जीते थे माधवराव सिंधिया (Madhavrao scindia):

माधवराव सिंधिया (Madhavrao scindia) ने 1984 के बाद 1998 तक सभी चुनाव ग्वालियर से ही लड़े और जीते। 1996 में तो कांग्रेस से अलग होकर भी वह भारी बहुमत से जीते थे। जबकि राजमाता गुना से लगातार बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर जीतती रही। राजमाता की मौत के बाद माधवराव ने ग्वालियर छोड़कर गुना से चुनाव लड़ा था।

 

माधवराव सिंधिया (Madhavrao scindia) का प्लेन क्रैश में हो गया था निधन:

30 सितंबर साल 2001 कांग्रेस के महान नेता माधवराव सिंधिया (Madhavrao scindia) अपने प्राइवेट प्लेन से उत्तरप्रदेश के मैनपुरी में एक सभा को संबोधित करने के लिए जा रहे थे। तभी रास्ते में ही भैंसरोली के पास उनका सेना सी-90 एयरक्राफ्ट क्रैश हो गया था। इस हादसे में सिंधिया समेत प्लेन में सवार सभी लोगों की मौत हो गई थी।उस समय देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उनका पार्थिव शरीर लाने के लिए एक विशेष विमान को भेजा था।

YOU MAY ALSO READ :- Parthiv patel birthday special: पार्थिव पटेल ने सबसे कम उम्र मे किया था अपना इंटरनेशनल डेब्यू,एक प्रैंक के चक्कर मे पार्थिव को करनी पड़ी थी उठक-बैठक!

आपका वोट

Sorry, there are no polls available at the moment.
Advertisements
Latest news
- Advertisement -

You cannot copy content of this page