Saturday, September 21, 2024

जालोर : 9वीं पास किसान सालाना अनार की खेती कर कमा रहा 19 लाख रुपए

जालोर : 9वीं पास किसान सालाना अनार की खेती कर कमा रहा 19 लाख रुपए

Digital News Guru Rajasthan Desk: जालोर के 27 साल के किसान राणाराम ने गरीबी का ऐसा दौर देखा कि सुबह-शाम की रोटी भी मुश्किल से मिलती थी। पिता परंपरागत खेती करते थे, लेकिन मुनाफे की जगह घाटा हो रहा था। खेती पर मौसम की मार पड़ती तो पिता-पुत्र मजदूरी करते। आर्थिक तंगी के चलते राणाराम 10वीं से आगे पढ़ नहीं सके।

उन्होंने घरों में बिजली की फिटिंग का काम शुरू किया, लेकिन यह इनकम भी रेगुलर नहीं थी। आखिरकार राणाराम ने ढाई लाख का लोन लिया और अनार की खेती करना शुरू किया। पूरी जानकारी और बेहतर मुनाफे के चलते उन्हें लाखों का फायदा होने लगा।

जालोर शहर से करीब 35 किलोमीटर दूर है उम्मेदाबाद का कुआंबेर गांव। गांव में युवा किसान राणाराम मेघवाल का 17 बीघा का अनार फार्म है। कुल 28 बीघा जमीन में से 11 बीघा पर राणाराम जीरे की खेती करता है। सिर्फ अनार से सालाना इनकम 15 लाख के करीब है। जीरा-अरंडी से 4 लाख सालाना आय होती है।

सालाना 19 लाख की कमाई करने वाले राणाराम ने बताया- मैं 2002 में 10वीं क्लास में सप्लीमेंट्री रहा। मैंने घर की माली हालत देखते हुए पढ़ाई छोड़ने का फैसला किया। इसके बाद पिता पोलाराम मेघवाल के साथ मजदूरी करने जाने लगा।

इससे भी पार नहीं पड़ी तो मैं और छोटा भाई दलाराम बिजली फिटिंग का काम करने लगे। घर-घर जाकर बिजली की फिटिंग करते थे। बड़ा परिवार और आमदनी कम होने के कारण घर की आर्थिक स्थिति दिनों दिन बिगड़ती गई। मैं घर का बड़ा बेटा था, इसलिए मुझे चिंता सताती थी।

कृषि अधिकारी की सलाह काम आई

उन्होंने कहा- हमारे इलाके में उस वक्त कुछ किसान अनार की खेती से कमाई कर रहे थे। एक किसान की सलाह पर मैं कृषि विज्ञान केंद्र के कैंप में गया। वहां कृषि अधिकारी आनंद कुमार शर्मा से बात हुई। उन्होंने कहा कि अगर तुम्हारे पास खेत हैं तो अनार की खेती कर सकते हो।

मैंने पिता से अनार की खेती को लेकर बात की तो उन्होंने बताया कि इसमें काफी पैसा खर्च होता है। फल भी 4 से 5 साल बाद आता है। खेत ब्लॉक हो जाएंगे। तब तक घर कैसे चलेगा।

2016 में मैंने बैंक से ढाई लाख रुपए लोन लिया और कृषि वैज्ञानिकों के बताए अनुसार नासिक (महाराष्ट्र) के जलगांव से 40 रुपए प्रति पौधे के हिसाब से 1050 पौधे मंगवाए।

जलगांव से ऑनलाइन मंगाए पौधे

जलगांव से ऑनलाइन पेमेंट कर जैन कंपनी से सिंदूरी किस्म के अनार के पौधे मिल गए। सिंदूरी किस्म अनार की सबसे अच्छी किस्मों में गिना जाता है। सिंदूरी अनार में रोग बहुत कम लगता है। अनार के दानों का रंग लाल और शाइनिंग बहुत अच्छी होती है। यह स्वाद में भी मीठा होता है।

इलाके में अनार के पौधों की नासिक से डिलीवरी होती रहती है। इसलिए एक गाड़ी में मेरे सिंदूरी पौधे भी कंपनी ने घर तक भिजवा दिए। शुरू में 15 बीघा में पौधे लगाए। इसके बाद लगातार पौधों की देखभाल की। पांच साल बाद अनार की खेप तैयार हो गई।

राणाराम ने बताया- फरवरी-मार्च का महीना अनार की पौध लगाने के लिए बेहतर है। इसके अलावा अनार जून-जुलाई में भी लगाया जा सकता है। फरवरी-मार्च में पौधों के पनपने तक सिंचाई करनी होती है। जबकि जून-जुलाई में पौधा बारिश में जड़ जमा लेता है। अनार के लिए बूंद-बूंद सिंचाई अच्छी रहती है।

पहले से की पौध लगाने की तैयारी

पौधे लगाने से दो महीने पहले ही 2 फीट गहरे गड्ढे खोदकर तैयार रखे थे। धूप से मिट्टी के किटाणु मर जाते हैं। इसके बाद गड्ढों में गोबर खाद डालकर पैक किया। इसके 15 दिन बाद पौधे लगाए। चार-पांच साल में अनार के झाड़ तैयार हो गए और फल आ गए।

धीरे-धीरे आमदनी होना शुरू हो गई। इसके बाद 150 पौधे और मंगवाए और दो बीघा जमीन पर लगा दिए। अब कुल 17 बीघा में 1200 पौधे हैं। अनार की खेती में सफलता को देखते हुए बाकी बची हुई जमीन पर भी गड्ढे खुदवाकर अनार के और पौधे लगाने का प्लान कर रहा हूं।

साल में दो बार लेते हैं उपज

राणाराम ने मीडिया को बताया कि एक साल में 2 बार अनार की उपज लेता हूं। जून-जुलाई व फरवरी-मार्च में अनार की तुड़ाई करता हूं। दो बार अनार बहुत कम किसान ले पाते हैं। एक साल में पौधों पर तीन बार जून-जुलाई, सितंबर-अक्टूबर और फरवरी-मार्च में फूल लगते हैं। किसान दवा का छिड़काव कर फूल गिरा देते हैं। ऐसे में इलाके के बाकी किसान साल में अनार की एक ही अनार लेते हैं। लेकिन राणाराम साल में दो बार अनार लेते हैं।

जीवाणा मंडी में इस बार भेजे 10 ट्रॉली अनार

अनार की पैकिंग खेत में ही कराकर जालोर की जीवाणा अनार मंडी में भेजता हूं। जीवाणा अनार मंडी में वर्तमान में 45 से 50 रुपए प्रति किलो के भाव से अनार बिक रहे हैं। इस बार 10 ट्रैक्टर ट्रॉली में अनार भरकर जीवाणा मंडी पहुंचाया है। सीजन की पहली खेप में कई बार 90 से 95 रुपए प्रति किलो के भाव भी मिल जाते हैं। जीवाणा मंडी में ग्रेडिंग के हिसाब से किसानों को अनार का भाव मिलता है। सबसे बड़ी साइज के अनार 145 से 150 रुपए तक भी बिक रहा है। अनार तुड़ाई, दवा और सिंचाई में 3 लाख रुपए तक खर्च आ जाता है।

अनार की पहली खेप में अच्छी ग्रेड आती है। विदेश सप्लाई होने के लिए एक अनार का 300 से 350 ग्राम का होना जरूरी है। बीते शनिवार (11 फरवरी) को एक नंबर ग्रेडिंग रही है। यानी मेरे खेत के अनार 400 से 550 ग्राम तक मिले हैं। 400-500 ग्राम के अनार थोक में 80 रुपए प्रति किलो और इससे ज्यादा वजनी अनार थोक में 100 से 105 रुपए प्रति किलो तक बिके हैं। यह खेप विदेश तक जाती है।

देश की सबसे बड़ी अनार मंडी 

जीवाणा में देश की सबसे बड़ी अनार मंडी है। जहां जालोर के अलावा सांचौर, सिरोही और बाड़मेर से भी अनार आते हैं। यहां से भारत के हर कोने तक अनार पहुंचते हैं। इसके अलावा यहां का अनार बांग्लादेश, दुबई और इंडोनेशिया सहित कई देशों में जाता है। बाहर के व्यापारी अनार की खरीदारी करने जीवाणा मंडी तक भी पहुंचते हैं। जीवाणा अनार मंडी से प्रतिदिन 2000 टन अनार बिकता है। जिसमें 700 टन अनार विदेशों में जाता है।

जालोर के 27 साल के किसान राणाराम ने गरीबी का ऐसा दौर देखा कि सुबह-शाम की रोटी भी मुश्किल से मिलती थी। पिता परंपरागत खेती करते थे, लेकिन मुनाफे की जगह घाटा हो रहा था। खेती पर मौसम की मार पड़ती तो पिता-पुत्र मजदूरी करते। आर्थिक तंगी के चलते राणाराम 10वीं से आगे पढ़ नहीं सके।

उन्होंने घरों में बिजली की फिटिंग का काम शुरू किया, लेकिन यह इनकम भी रेगुलर नहीं थी। आखिरकार राणाराम ने ढाई लाख का लोन लिया और अनार की खेती करना शुरू किया। पूरी जानकारी और बेहतर मुनाफे के चलते उन्हें लाखों का फायदा होने लगा।

जालोर शहर से करीब 35 किलोमीटर दूर है उम्मेदाबाद का कुआंबेर गांव। गांव में युवा किसान राणाराम मेघवाल का 17 बीघा का अनार फार्म है। कुल 28 बीघा जमीन में से 11 बीघा पर राणाराम जीरे की खेती करता है। सिर्फ अनार से सालाना इनकम 15 लाख के करीब है। जीरा-अरंडी से 4 लाख सालाना आय होती है।

सालाना 19 लाख की कमाई करने वाले राणाराम ने बताया- मैं 2002 में 10वीं क्लास में सप्लीमेंट्री रहा। मैंने घर की माली हालत देखते हुए पढ़ाई छोड़ने का फैसला किया। इसके बाद पिता पोलाराम मेघवाल के साथ मजदूरी करने जाने लगा।

इससे भी पार नहीं पड़ी तो मैं और छोटा भाई दलाराम बिजली फिटिंग का काम करने लगे। घर-घर जाकर बिजली की फिटिंग करते थे। बड़ा परिवार और आमदनी कम होने के कारण घर की आर्थिक स्थिति दिनों दिन बिगड़ती गई। मैं घर का बड़ा बेटा था, इसलिए मुझे चिंता सताती थी।

कृषि अधिकारी की सलाह काम आई

उन्होंने कहा- हमारे इलाके में उस वक्त कुछ किसान अनार की खेती से कमाई कर रहे थे। एक किसान की सलाह पर मैं कृषि विज्ञान केंद्र के कैंप में गया। वहां कृषि अधिकारी आनंद कुमार शर्मा से बात हुई। उन्होंने कहा कि अगर तुम्हारे पास खेत हैं तो अनार की खेती कर सकते हो।

मैंने पिता से अनार की खेती को लेकर बात की तो उन्होंने बताया कि इसमें काफी पैसा खर्च होता है। फल भी 4 से 5 साल बाद आता है। खेत ब्लॉक हो जाएंगे। तब तक घर कैसे चलेगा।

2016 में मैंने बैंक से ढाई लाख रुपए लोन लिया और कृषि वैज्ञानिकों के बताए अनुसार नासिक (महाराष्ट्र) के जलगांव से 40 रुपए प्रति पौधे के हिसाब से 1050 पौधे मंगवाए।

जलगांव से ऑनलाइन मंगाए पौधे

जलगांव से ऑनलाइन पेमेंट कर जैन कंपनी से सिंदूरी किस्म के अनार के पौधे मिल गए। सिंदूरी किस्म अनार की सबसे अच्छी किस्मों में गिना जाता है। सिंदूरी अनार में रोग बहुत कम लगता है। अनार के दानों का रंग लाल और शाइनिंग बहुत अच्छी होती है। यह स्वाद में भी मीठा होता है।

इलाके में अनार के पौधों की नासिक से डिलीवरी होती रहती है। इसलिए एक गाड़ी में मेरे सिंदूरी पौधे भी कंपनी ने घर तक भिजवा दिए। शुरू में 15 बीघा में पौधे लगाए। इसके बाद लगातार पौधों की देखभाल की। पांच साल बाद अनार की खेप तैयार हो गई।

राणाराम ने बताया- फरवरी-मार्च का महीना अनार की पौध लगाने के लिए बेहतर है। इसके अलावा अनार जून-जुलाई में भी लगाया जा सकता है। फरवरी-मार्च में पौधों के पनपने तक सिंचाई करनी होती है। जबकि जून-जुलाई में पौधा बारिश में जड़ जमा लेता है। अनार के लिए बूंद-बूंद सिंचाई अच्छी रहती है।

पहले से की पौध लगाने की तैयारी

पौधे लगाने से दो महीने पहले ही 2 फीट गहरे गड्ढे खोदकर तैयार रखे थे। धूप से मिट्टी के किटाणु मर जाते हैं। इसके बाद गड्ढों में गोबर खाद डालकर पैक किया। इसके 15 दिन बाद पौधे लगाए। चार-पांच साल में अनार के झाड़ तैयार हो गए और फल आ गए।

धीरे-धीरे आमदनी होना शुरू हो गई। इसके बाद 150 पौधे और मंगवाए और दो बीघा जमीन पर लगा दिए। अब कुल 17 बीघा में 1200 पौधे हैं। अनार की खेती में सफलता को देखते हुए बाकी बची हुई जमीन पर भी गड्ढे खुदवाकर अनार के और पौधे लगाने का प्लान कर रहा हूं।

साल में दो बार लेते हैं उपज

राणाराम ने बताया कि एक साल में 2 बार अनार की उपज लेता हूं। जून-जुलाई व फरवरी-मार्च में अनार की तुड़ाई करता हूं। दो बार अनार बहुत कम किसान ले पाते हैं। एक साल में पौधों पर तीन बार जून-जुलाई, सितंबर-अक्टूबर और फरवरी-मार्च में फूल लगते हैं। किसान दवा का छिड़काव कर फूल गिरा देते हैं। ऐसे में इलाके के बाकी किसान साल में अनार की एक ही अनार लेते हैं। लेकिन राणाराम साल में दो बार अनार लेते हैं।

जीवाणा मंडी में इस बार भेजे 10 ट्रॉली अनार

अनार की पैकिंग खेत में ही कराकर जालोर की जीवाणा अनार मंडी में भेजता हूं। जीवाणा अनार मंडी में वर्तमान में 45 से 50 रुपए प्रति किलो के भाव से अनार बिक रहे हैं। इस बार 10 ट्रैक्टर ट्रॉली में अनार भरकर जीवाणा मंडी पहुंचाया है। सीजन की पहली खेप में कई बार 90 से 95 रुपए प्रति किलो के भाव भी मिल जाते हैं। जीवाणा मंडी में ग्रेडिंग के हिसाब से किसानों को अनार का भाव मिलता है। सबसे बड़ी साइज के अनार 145 से 150 रुपए तक भी बिक रहा है। अनार तुड़ाई, दवा और सिंचाई में 3 लाख रुपए तक खर्च आ जाता है।

अनार की पहली खेप में अच्छी ग्रेड आती है। विदेश सप्लाई होने के लिए एक अनार का 300 से 350 ग्राम का होना जरूरी है। बीते शनिवार (11 फरवरी) को एक नंबर ग्रेडिंग रही है। यानी मेरे खेत के अनार 400 से 550 ग्राम तक मिले हैं। 400-500 ग्राम के अनार थोक में 80 रुपए प्रति किलो और इससे ज्यादा वजनी अनार थोक में 100 से 105 रुपए प्रति किलो तक बिके हैं। यह खेप विदेश तक जाती है।

देश की सबसे बड़ी अनार मंडी 

जीवाणा में देश की सबसे बड़ी अनार मंडी है। जहां जालोर के अलावा सांचौर, सिरोही और बाड़मेर से भी अनार आते हैं। यहां से भारत के हर कोने तक अनार पहुंचते हैं। इसके अलावा यहां का अनार बांग्लादेश, दुबई और इंडोनेशिया सहित कई देशों में जाता है। बाहर के व्यापारी अनार की खरीदारी करने जीवाणा मंडी तक भी पहुंचते हैं। जीवाणा अनार मंडी से प्रतिदिन 2000 टन अनार बिकता है। जिसमें 700 टन अनार विदेशों में जाता है।

यह भी पढे: जयपुर के हाईटेक रेलवे स्टेशन को दिया गया हेरिटेज लुक, 193 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया टर्मिनल स्टेशन ।

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