Sunday, September 22, 2024

क्यों खाश है उदयपुर की नटराज की थाली, स्वाद के दीवानों के दिल में रखती है खास जगह !

क्यों खाश है उदयपुर की नटराज की थाली, स्वाद के दीवानों के दिल में रखती है खास जगह !

Digital News Guru Rajasthan Desk: विश्व के 25 बेहतरीन शहरों में दूसरे नंबर पर शुमार उदयपुर की सुन्दरता की झलक पाने के लिए टूरिस्ट दूर दूर से ,देश-विदेश से आते हैं। यह शहर जितना खूबसूरत लगता है, उतने यहां के जायके भी मशहूर हैं।

65 साल से यहां की एक थाली ने स्वाद के दीवानों के दिल में खास जगह बनाई है, ये है “नटराज की थाली“। अरबपति बिजनेसमैन की रसोई में खाना बनाने वाले एक शख्स ने इस थाली की शुरुआत की थी।

आज कार्तिक आर्यन जैसे कई बॉलीवुड सितारे इनकी थाली में परोसे जाने वाले 19 खास जायकों का स्वाद चख चुके हैं। शहर के 5 स्टार होटलों में रुकने वाले मेहमान भी पता पूछकर नटराज की थाली खाने पहुंच जाते हैं।

तो चलिए इस कड़ी में आपको भी लेकर चलते हैं उदयपुर के नटराट रेस्टोरेंट पर और बताते हैं आखिर क्यों यह थाली लोगों की जुबान पर रहती है….

उदयपुर का 65 साल पुराना स्वाद 

  • उदयपुर शहर में नटराज की दो ब्रांच है। पहली ब्रांच बापू बाजार स्थित नटराज रेस्टोरेंट के नाम से है और दूसरी रेलवे स्टेशन स्थित नटराज डायनिंग हॉल एंड रेस्टोरेंट के नाम से है।
  • उदयपुर में सबसे ज्यादा सैलानी गुजरात से आते हैं। जगजाहिर है कि गुजरातियों को खाने में मीठा पसंद है, तो वहीं राजस्थानियों को तीखा। दोनों की पसंद के जायके का एक ही ठिकाना है, उदयपुर का नटराज होटल।
  • रेस्टोरेंट के मालिक रविन्द्र श्रीमाली बताते हैं कि उदयपुर में देशभर से आने वाले टूरिस्ट भले ही फाइव स्टार होटल्स में ठहरते हैं, लेकिन खाना नटराज में खाने के लिए आते हैं। हमने रेस्टोरेंट की टैग लाइन ‘घर से दूर घर जैसा स्वाद’ रखी है।

कभी किसी तरह की मार्केटिंग नहीं की

पिता भूरालालजी कहते थे कि कस्टमर अगर आपके खाने से संतुष्ट है तो वह अन्य लोगों को यहां के खाने के बारे में जरूर बताएगा। वही सबसे बड़ी मार्केटिंग है कि बॉलीवुड के सितारे भी यहां के खाने की तारीफ करते हैं।

कार्तिक आर्यन सहित कई बॉलीवुड सितारे इस जायके के मुरीद

बॉलीवुड की कई हस्तियां यहां के जायके के मुरीद हैं। नटराज रेस्टोरेंट पर बॉलीवुड एक्टर कार्तिक आर्यन, फिल्म डायरेक्टर इम्तियाज अली, एक्टर अन्नू कपूर, शाहीन आहूजा, विशाल शेखर और रोनित रॉय आदि इस रेस्टोरेंट पर खाना खाने आ चुके हैं। इम्तियाज अली को यहां की कढ़ी खिचड़ी बहुत पसंद आई थी। डिस्कवरी चैनल के एंथनी बोर्डन भी नटराज की स्पेशल थाली का स्वाद चख चुके हैं।

नटराज के मयंक श्रीमाली बताते हैं कि पहले जहां रेस्टोरेंट पर सबसे ज्यादा गुजराती टूरिस्ट आते थे। अब कुछ सालों में रुझान बदला है।

दिल्ली, जयपुर, कोलकाता, मुंबई जैसे बड़े शहरों से कई टूरिस्ट जब भी उदयपुर आते हैं, नटराज रेस्टोरेंट का खाना खाने जरूर आते हैं। इन बड़े शहरों से कई टूरिस्ट फैमिली तो ऐसी हैं जो बीते एक दशक में जब भी उदयपुर आए हैं, नटराज का खाना खाने जरूर आते हैं।

कभी बिजनेसमैन के घर बनाते थे खाना, फिर खोला रेस्टोरेंट

नटराज रेस्टोरेंट के रविन्द्र श्रीमाली बताते हैं कि मेरे पिताजी भूरालालजी कलकत्ता में बड़े बिजनेसमैन घराने में खाना बनाते थे। उनके मन में ये विचार आया था कि उदयपुर में एक शुद्ध देशी घर जैसा खाना उपलब्ध कराने के लिए रेस्टोरेंट खोला जाए। उन्होंने वर्ष 1958 में लक्ष्मी भोजनालय के नाम से किराए की जगह लेकर इसकी शुरुआत की थी।

65 साल पहले भूरालाल श्रीमाली ने रेंट पर जगह ली और लक्ष्मी भोजनालय खोला। यहां उन्होंने महज 1 रुपए में थाली बेचने की शुरुआत की थी। फिर वर्ष 1970 में उन्होंने बापू बाजार के पास खुद की जगह खरीदी। वे भगवान शिव भक्त थे, इसलिए शिव के अवतार नटराज नाम से रेस्टोरेंट का नाम रखा।

आज ये इतना फेमस है कि जिस जगह ये है वह जगह नटराज गली के नाम से जानी जाती है। यहां की थाली का स्वाद देश और दुनिया के लोगों को खूब भा रहा है।

राजस्थानी और गुजराती थाली, 19 तरह की डिश

रेस्टोरेंट के देवेंद्र श्रीमाली ने बताया कि उदयपुर शहर में नटराज की दोनों ब्रांच बापू बाजार और रेलवे स्टेशन स्थित नटराज डायनिंग हॉल एंड रेस्टोरेंट पर दो तरह की थाली राजस्थानी और गुजराती मिलती है।

सूरजपोल चौराहा वाली ब्रांच सबसे पहले वर्ष 1958 में शुरू हुई थी। जहां आज 230 रुपए की थाली है और उसमें 12 तरह की डिश परोसी जाती है। इसमें 2 तरह की दाल, 2 तरह की कढ़ी, स्टार्टर, स्वीट, चावल, खिचड़ी, पापड़, दही और तवा रोटी होती है।

वहीं, रेलवे स्टेशन स्थित नटराज डायनिंग हॉल में थाली का रेट 300 रुपए की थाली है जहां 19 तरह की डिश परोसी जाती हैं। इसमें 4 तरह की सब्जी, 2 तरह की दाल, 2 तरह की करी, 2 स्टार्टर, तवा रोटी, पूड़ी, चावल, खिचड़ी, पापड़, सलाद, छाछ, नमकीन पूड़ी और स्वीट है। यहां हर डिश अनलिमिटेड है।

फुल न्यूट्रीशियन पैकेज की थाली रेस्टोरेंट मालिक जितेंद्र श्रीमाली बताते हैं कि दोनों ही थालियां फुल न्यूट्रीशियन पैकेज थाली है। जिसमें हरी सब्जी, तवा रोटी, दाल छोले, चना, मूंग), दही, छाछ, सलाद दिया जाता है। जो स्वास्थ्य के लिए भी पौष्टिक है।

त्योहार के समय स्पेशल स्वीट दी जाती है। इसमें गाजर हलवा, मूंग हलवा, घेवर, जलेबी और मालपुआ आदि परोसे जाते हैं। गुजराती थाली में विशेष तौर से भाखरी, ढोकला, हांडवा और राजस्थानी थाली में दाल-बाटी परोसी जाती है।

पिताजी भगवान राम की चौपाइयां गाते हुए परोसते थे खानाः श्रीमाली

रविन्द्र श्रीमाली बताते हैं कि मेरे पिता भूरालालजी ने जब रेस्टोरेंट खोला तब वे खुद ही खाना बनाते और खुद ही कस्टमर को परोसते थे।

खास बात ये थी कि वे भगवान राम की चौपाइयां गाते हुए कस्टमर को खाना परोसते थे। जो भी नया कस्टमर आता उससे खाने का फीडबैक भी लेते रहते थे। वही परंपरा आज भी कायम है। वे बताते हैं कि पिताजी भले ही अनपढ़ थे, लेकिन उन्हें 8 भाषाओं का ज्ञान था।

मालिक रसोई में रहकर बनवाते हैं खाना, इसलिए 65 साल से एक ही स्वाद बरकरार

जितेंद्र श्रीमाली बताते हैं इस रेस्टोरेंट की शुरुआत से लेकर आज तक यहां की थाली में एक ही तरह का स्वाद बरकरार है। इसकी खास वजह ये है कि खुद रेस्टोरेंट के मालिक रसोई में खड़े रहकर डिश तैयार करवाते हैं।

भूरालाल श्रीमाली खुद खाना बनाते थे। उनके बाद 50 साल तक एक कर्मचारी कानाराम ने जिम्मा संभाला। जयंत श्रीमाली बताते हैं कि अब हमारे पिता जितेंद्र श्रीमाली रसोई में खड़े होकर हमें बताते हैं कि खाना बनाते समय कितनी मात्रा में कौनसी चीज डालनी है।

मेवाड़ी मनुहार परंपरा को निभा रही तीसरी पीढ़ी

रेस्टोरेंट को अब तीसरी पीढ़ी चला रही है। हर कस्टमर को मेवाड़ी मनुहार परंपरा के तहत खाना परोसा जाता है। साथ ही उनसे खाने का फीडबैक लिया जाता है। रेस्टोरेंट मालिक खुद कस्टमर के बीच जाकर उनसे खाने की मनुहार करते हैं।

हर कस्टमर से अटैच रहते हैं

रेस्टोरेंट के जतिन श्रीमाली बताते हैं कि कस्टमर का फीडबैक ही हमारी यूएसपी है। उसे हमेशा मेंटेन रखना हमारा उद्देश्य है। राजकोट गुजरात से आई हेतल ने बताया कि यहां का खाना बहुत अच्छा लगा है, यहां हम 30 साल पहले भी यहां खाना खाकर गए तब भी यही टेस्ट था और आज भी यहां स्वाद बरकरार है। उदयपुर घूमने दिल्ली से आए कमल कुंद्रा ने बताया कि उनका यहां आना जाना लगा रहता है।

एक मित्र के जरिए हम यहां खाना खाने आए थे, तब से यहां के हाइजीन फूड और मेहमाननवाजी दिल में खास जगह बनाई है। उदयपुर की आंचल शेखावत के घर जब भी कोई मेहमान आता है, उन्हें वे यहीं लेकर आती हैं। यहां की थाली में बहुत सारी वेरायटी है और ऐसा स्वाद है कि मानो घर का खाना ही मिल रहा है।

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