Saturday, September 21, 2024

Sarojni naidu birthday special: पहली महिला राज्यपाल थीं सरोजिनी नायडू, और क्यों मनाया जाता इनके जन्मदिन पर महिला दिवस

DIGITAL NEWS GURU NATIONAL DESK :-

सरोजिनी नायडू जन्मदिन विशेष (Sarojni naidu birthday special):

आज के दिन को भारत में स्वर कोकिला सरोजिनी नायडू (Sarojni naidu) का जन्मदिन मनाया जाता है। भारत में महिलाओं की सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए भारत में हमेशा आज के दिन यानी 13 फरवरी को राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।

सरोजिनी नायडू (Sarojni naidu) का शुरूआती जीवन:

सरोजिनी नायडू (Sarojni naidu) का जन्म आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में एक बंगाली परिवार में 13 फरवरी साल 1879 को हुआ था.इनकी माता-पिता की इनको मिलाकर कुल 8 संतानें थी जिसमें सरोजिनी नायडू ही उनकी सबसे बड़ी संतान थी इसलिए सरोजनी ने हमेशा अपने छोटे भाई बहनों को सही मार्गदर्शन दिखाया।

सरोजिनी नायडू (Sarojni naidu) के पिता जी का नाम अघोरनाथ चट्टोपाध्याय था इनके पिता जी हैदराबाद में एक कॉलेज के एडमिन होने के साथ-साथ वैज्ञानिक और डॉक्टर भी थे परंतु इनके पिता जी ने अपनी नौकरी को छोड़कर देश की आजादी में हिस्सेदारी निभाने का फैसला लिया था। इसीलिए उन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस हैदराबाद ज्वाइन कर ली थी और स्वतंत्रता की लड़ाई में कूद पड़े थे।सरोजिनी नायडू की मां का नाम भरत सुंदरी देवी था जोकि एक लेखिका थी और अपनी कविताओं को बंगाली भाषा में लिखा करती थी.

सरोजिनी नायडू (Sarojni naidu) बचपन से ही पढ़ने में बहुत होशियार रही थी.और बहुत कम उम्र में ही उन्हें उर्दू तेलुगु इंग्लिश बंगाली बहुत ही भाषाओं का ज्ञान प्राप्त हो गया था और महज 12 साल की उम्र में ही इन्होंने मद्रास यूनिवर्सिटी से मैट्रिक की परीक्षा मैं पूरे मद्रास में टॉप किया था। सरोजनी नायडू ने लंदन के किंग कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और आगे की पढ़ाई कैंब्रिज यूनिवर्सिटी फिर तो कॉलेज से की थी।कॉलेज में पढ़ते समय भी उनकी रूचि कम नहीं हुई वह कविताएं लिखती रहती थी

सरोजिनी नायडू (Sarojni naidu) का वैवाहिक जीवन:

सरोजिनी नायडू (Sarojni naidu) साल 1898 में भारत वापस लौट आई थी लेकिन कॉलेज की पढ़ाई करते वक्त उनके साथी डॉक्टर गोविंदराजुलू नायडू से इनकी मुलाकात हो गयी थी और यह लोग एक दूसरे के साथ काफी समय बिताया करते थे और जैसे ही कॉलेज की पढ़ाई खत्म हुई थी। यह एक दूसरे के और करीब आ चुके थे सरोजनी नायडू ने अपनी पढ़ाई मात्र 19 साल की उम्र में ही खत्म कर ली थी।

इसके बाद साल 1897 में इन्होंने अपनी पसंद से इंटर कास्ट में शादी कर लिया थी उस समय किसी अन्य जाति से शादी करना समाज में किसी गुनाह से कम नहीं होता था।फिर भी इनकी पिता ने किसी के बारे में सोचे बिना अपनी बेटी की फैसले को मान लिया था सरोजनी अपने दांपत्य जीवन में काफी खुश थी इस शादी से उनके 4 बच्चे हुए थे।

उनकी बड़ी बेटी पद्मजा सरोजिनी जी की ही पूरी परछाई थी जो कि अपनी मां की तरह ही कवियत्री और एक राजनीतिक भी रही थी. साल 1961 में पद्म जाने राजनीति में अपना पहला कदम रखा और पश्चिम बंगाल की गवर्नर भी बन गई थी।

 

सरोजिनी नायडू (Sarojni naidu) का राजनीतिक करियर:

सरोजिनी नायडू (Sarojni naidu) अपनी कार्यों से और कविताओं के माध्यम से काफी ज्यादा लोकप्रिय हो गयी थी इसलिए उन्होंने साल 1925 में यह फैसला लिया कि वह कानपुर से इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष के पद के लिए खड़ी होंगी और उसके बाद सरोजनी जी को जीत भी हासिल हुई थी।

वह भारत की ऐसी पहली महिला बन गई थी जिसे इंडियन नेशनल कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुना गया था साल 1928 में जब सरोजनी जी अमेरिका से वापस लौटकर भारत लौट कर आयी तो उन्होंने गांधी जी की बातों को लोगों तक पहुंचाने का काम शुरू कर दिया था।

साल 1930 में जब महात्मा गांधी नमक कानून तोड़ा सत्याग्रह कर रहे थे इस सत्याग्रह मे सरोजनी ने अपनी एक अहम भूमिका निभाई थी और जब इस आंदोलन के तहत महात्मा गांधी को गिरफ्तार कर लिया गया था तब इनकी जगह सरोजिनी ने इस आंदोलन की पूरी कमान संभाली थी.

सरोजिनी नायडू (Sarojni naidu) को मिलने वाले पुरस्कार:

सरोजिनी नायडू (Sarojni naidu) इंडियन नेशनल कांग्रेस अध्यक्ष पद पर काम करने वाली पहली महिला बनी थी और साथ ही वह एक प्रदेश की गवर्नर भी रही थी ।
सरोजिनी नायडू को साल 1928 में हिंद केसरी पदक से भी सम्मानित किया गया था।
सरोजिनी नायडू को द गोल्डन थ्रेसोल्ड द ब्रोकन विंग्स स द वर्ल्ड ऑफ टाइम सोंग्स ऑफ इंडिया आदि अवार्ड से भी नवाजा गया था।

सरोजिनी नायडू (Sarojni naidu) के जन्मदिन को राष्ट्रीय महिला दिवस के तौर पर क्यों मनाया जाता है?

 

सरोजिनी नायडू (Sarojni naidu) ने महिलाओं के विकास में काफी महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उन्होंने भारतीय समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ भी अपनी आवाज उठाई थी। सभीमहिलाओं को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। सरोजिनी नायडू के कार्यों और महिलाओं के अधिकारों के लिए उनकी भूमिका को देखते हुए 13 फरवरी 2014 को भारत में राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत की गई थी।

सरोजिनी नायडू (Sarojni naidu) की मृत्यु:

2 मार्च 1949 को अपने ही कार्यालय में जब वह काम कर रही थी तो अचानक से उन्हें अटैक आ गया। जिसके कारण उनकी मौत हो गई थी।

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