Monday, February 24, 2025

क्या आप जानते हैं लाल किले का दूसरा नाम ? जानिए कुछ रोचक कहानियां 370 साल पुराने लाल किले की…

क्या आप जानते हैं लाल किले का दूसरा नाम ? जानिए कुछ रोचक कहानियां 370 साल पुराने लाल किले की…

Digital News Guru Delhi Desk: दिल्ली का लाल किला 17वीं सदी से 21वीं सदी का साक्षी है देश की एक बुजुर्ग इमारत में से एक है जिसकी जवानी और रौनक वापस लाने की कोशिश हो रही है। यूनेस्को ने 2007 मे इसे विश्व विरासत की सूची में शामिल किया। हाल ही में सरकार की ‘एडॉप्ट ए हेरिटेज’ स्कीम के तहत डालमिया ग्रुप ने पांच साल के कॉन्ट्रेक्ट पर इसे गोद लिया है। यहां जमी हजारों क्विंटल और कई फीट धूल हटाने और इसे संवारने के लिए डालमिया ग्रुप हर साल करीब 5 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है।

लाल किले का इतिहास भी इसी की तरह भव्य और अनूठा है। मुगल काल में इसे किला-ए-मुबारक के नाम से जाना जाता था। लाल किला मुगल बादशाह शाहजहां की नई राजधानी, शाहजहांनाबाद का महल था। यह दिल्ली शहर की सातवीं मुस्लिम नगरी थी। जिस मुगल साम्राज्‍य की नींव मुगल बादशाह बाबर ने 16वीं सदी में रखी थी, उसका अंत भी इसके दीवान-ए-खास से अंतिम सम्राट बहादुरशाह जफर की रुखसती के साथ हुआ। लाल किले की प्राचीर से ही पहली बार प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने घोषणा की थी कि, अब भारत एक स्‍वतंत्र देश है।

देश की आजादी के 76 साल के सफर के साथ -साथ जानते हैं लाल किला इतना खास क्यों है…

कहानी 370 साल पुराने उस लाल किले की जो आज भी बहुत कुछ देख रहा है

1-चीन के रेशम और तुर्की के मखमल से हुई थी उद्घाटन पर इसकी सजावट

शाहजहां जो कि मुगल शासक थे इन्होंने 11 वर्ष तक आगरा के शासन करने के बाद यह निश्चित किया कि राजधानी को दिल्ली लाया जाए और यहां 1618 में लाल किले की नींव रखी गई। यहां अपने शासन की प्रतिष्ठा बढ़ाने के साथ ही नए-नए निर्माण कराने की महत्वकांक्षा को नए मौके देने के लिए 1647 में इसके उद्घाटन के बाद महल के मुख्‍य कक्ष भारी पर्दों से सजाए गए और चीन के रेशम और टर्की के मखमल से इसकी सजावट की गई।

2-शाही बैंड दिन में पांच बार बजाया जाता था

यह किला लगभग डेढ़ मील के दायरे में अनियमित अष्टभुजाकार आकर ने बना हुआ है और इसके प्रवेश द्वार दो हैं (लाहौर और दिल्ली गेट) लाहौर गेट से दर्शन छत्ता चौक पहुंचते हैं ।जो एक समय शाही बाजार हुआ करता था और इसमें दरबारी जौहरी, लघु चित्र बनाने वाले चित्रकार, कालीनों के निर्माता, रेशम के बुनकर और विशेष प्रकार के दस्‍तकारों के परिवार रहा करते थे। शाही बाजार से एक सड़क नवाबखाने की ओर जाती है, जहां दिन में पांच बार शाही बैंड बजाया जाता था।

शाही बैंड हाउस मुख्य हाल में प्रवेश का संकेत भी बताता है और शाही परिवार के अलावा अन्य किसी भी अतिथि को यहां पर झुककर जाना होता है।

3- वास्तुकला से समृद्ध कई इमारते हैं यहां

लाल किले में बहुत सी प्रमुख इमारतें हैं जिसमें दीवान के आम, दीवाने खास के शिव मोती मस्जिद, हीरा महल, खास महल रंग महल और हयात बख्श भाग के साथ-साथ 15 प्रमुख स्थल भी है ।खास वास्तुकला को दर्शाती यह इमारतें दर्शकों को बहुत ही आकर्षित करती हैं।

लाल किला का निर्माण कार्य निर्माण कार्य उस्‍ताद अहमद और उस्‍ताद हामिद ने किया था। इस किले में करीब 200 साल तक मुगल परिवार के वंशज रहे।

4- जनता की तकलीफें सुनने के लिए बना था दीवान-ए-आम

लाल किले का दीवाने ए आम सार्वजनिक अपेक्षा ग्रह है जहां मुगल शासक दरबार लगाकर लोगों की परेशानियां और तकलीफ में सुनते थे तथा विशेष अतिथियों तथा विदेशियों से मुलाकात करते थे ।दीवाने ए आम की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि इसकी पिछली दीवार में लता मंडप बना हुआ है।
जहां बादशाह समृद्ध पच्‍चीकारी और संगमरमर के बने मंच पर बैठते थे। इस मंच के पीछे इटालियन पिएट्रा ड्यूरा कार्य के उत्‍कृष्‍ट नमूने बने हुए हैं।

5- मेहमानों की खातिरदारी के लिए जाना जाता था दीवान-ए-खास

दीवानी-ए-खास ख़ास निजी मेहमानों के लिए बना था। शाहजहां के सभी भवनों में से सबसे अधिक आकर्षक व सजावट वाला 90×60 फीट का दीवाने खास सफेद संगमरमर पत्थरों का बना हुआ मंडप है।

जिसके चारों ओर बारीक तराशे गए खम्‍भे हैं। बादशाह ने मंडप की सुंदरता से अभिभूत होकर कहा था कि यदि इस पृथ्वी पर कहीं स्वर्ग है तो वह यहीं पर है। फूलों से सजा दीवानी-ए-खास एक समय मशहूर मयूर सिंहासन के लिए भी पहचाना जाता था। जिसे सन् 1739 मे नादिर शाह द्वारा हड़प लिया गया था जिसकी कुल कीमत 6 मिलियन स्टर्लिंग थी।

6. लाल किला ब्रिटिश काल में छावनी के रूप में प्रयोग होता था

लाल किले की योजना, व्यवस्था एवं सौन्दर्य मुगल सृजनात्मकता का अहम बिन्दु है जो शाहजहां के काल में अपने चरम उत्कर्ष पर पहुंची। इस किले के निर्माण के बाद कई विकास कार्य शाहजहां ने करवाए। विकास के कई बड़े पहलू औरंगजेब एवं अंतिम मुगल शासकों द्वारा किए गए। इसमें कई बड़े बदलाव ब्रिटिश काल में 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद किये गये थे। ब्रिटिश काल में यह किला छावनी रूप में प्रयोग किया गया था और स्वतंत्रता के बाद भी इसके कई महत्वपूर्ण भाग सेना के नियंत्रण में 2003 तक रहे।

7. यमुना नदी का किनारा यह लाल किले और ताजमहल में एक समानता है जो दोनो मे देखने को मिलेगा

किले में बने हमाम के पश्चिम में मोती मस्जिद बनी है। ये औरंगजेब की निजी मस्जिद थी। तीन गुम्बद वाली ये मस्जिद तराशे हुए सफेद संगमरमर से बनी है। आगरा के ताजमहल और किले की तरह लाल किला भी यमुना नदी के किनारे पर बना है। इसी नदी का पानी किले को घेरकर आसपास बनी खाई को भरता था।

लाल किले के पूर्व-उत्तर की ओर एक पुराना किला भी है, जिसे सलीमगढ़ का किला भी कहते हैं। सलीमगढ़ का किला इस्लाम शाह सूरी ने 1546 में बनवाया था। कुछ मत ये भी हैं कि लालकोट का किला राजा पृथ्वीराज चौहान का बनवाया हुआ है। जो उनकी राजधानी हुआ करती थी। बाद में इस पर शाहजहां ने कब्जा करके इसमें हेरफेर करा दिया।

8- इसी किले में रखा गया था कोहिनूर हीरा

मुगल सल्तनत के पतन और 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों ने इस किले में आर्मी हेड क्वार्टर बना लिया। अंग्रेज यहां रखे सभी कीमती सामानों को लूटकर ले गए। यहां तक कि उन्होंने यहां बने ज्यादातर महलों, इमारतों और बगीचों को नष्ट कर दिया। दुनिया का सबसे बड़ा कोहिनूर हीरा भी एक वक्त पर इसी इमारत में रखा हुआ था। दरअसल शाहजहां जिस तख्त पर बैठा करते थे ये हीरा उसी में लगा हुआ था। ये सिंहासन सोने से बना था और उस पर बेहद कीमती पत्थर लगे हुए थे। कोहिनूर लगा ये तख्त दीवान-ए-खास में रखा रहता था।

9- इसलिए कहलाया यह लाल किला

लाल रंग के कारण इसे लाल किला कहा गया है। ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि लाल किले का असली रंग लाल है। इसी वजह से इसे ये नाम मिला है। लेकिन असलियत इससे अलग है। लाल किले को भले ही इसके वर्तमान रंग की वजह से लाल किला कहा जाता हो, लेकिन ये बनते वक्त ऐसा नहीं था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के मुताबिक इस इमारत के कई हिस्से चूना पत्थर से बनाए गए थे, जिसकी वजह से इसका रंग सफेद था। लेकिन वक्त के साथ जब वो खराब होकर गिरने लगे, तो अंग्रेजो ने उस पर लाल रंग करा दिया। इसी वजह से बाद में इसे ‘लाल किला’ कहा जाने लगा।

10- पर्यटन विभाग को 2003 में सौंपा गया

साल था 1947 ,जब भारत के आजाद होने पर ब्रिटिश सरकार ने यह परिसर भारतीय सेना के हवाले कर दिया था, तब से यहां सेना का कार्यालय बना हुआ था। 22 दिसम्बर 2003 को भारतीय सेना ने 56 वर्ष पुराने अपने कार्यालय को हटाकर लाल किला खाली किया और एक समारोह में पर्यटन विभाग को सौंप दिया।

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