Saturday, September 21, 2024

क्या आपने कभी ‘रघुपति राघव राजा राम’ भजन का मूल गीत सुना है?

क्या आपने कभी ‘रघुपति राघव राजा राम’ भजन का मूल गीत सुना है?

Digital News Guru Delhi Desk: आज देश पूरा राम नाम में रम गया है। हर तरफ प्रभु राम का नाम गुंजायमान है। अयोध्या के राम मंदिर के गर्भ गृह में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई है। प्राण प्रतिष्ठा के वक्त भगवान राम की आराधना के लिए गाना बजाने वाला भजन वहां गुंजायमान था। ‘रघुपति राघव राजा राम‘ लोगों के बीच लोकप्रिय राम भजन है। इसे कई तरीकों से लोग मनाते हैं।

कुछ गायकों ने ये रैप भी बनाया है। इन सबमें सबसे लोकप्रिय है राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा गाया गया राम भजन। क्या आप जानते हैं कि रघुपति राघव राजा राम के दो अलग-अलग गीत हैं। पहला वो जो हम लगातार सुना रहे हैं, जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी अपनी प्रार्थना सभा में गए थे और एक वो जो थोड़ा अलग है जो इस भजन का मूल संस्करण है। आइए हम आपको इन दोनों भजनों के बारे में बताते हैं।

ये हैं राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी द्वारा गाया जाने वाला भजन

रघुपति राघव राजा राम

पतित पावन सीता राम

रघुपति राघव राजा राम

पतित पावन सीता राम

रघुपति राघव राजा राम

पतित पावन सीता राम

रघुपति राघव राजा राम

पतित पावन सीता राम

सीता राम सीता राम

भज प्रिये तु सीता राम

सीता राम सीता राम

भज प्यारे सीता माता

राम रघुपति राघव राजा राम

पतित पावन सीता राम

रघुपति राघव राजा राम

पतित पावन सीता राम

ईश्वर अल्लाह तेरो नाम

सबको सन्मति दे भगवान

ईश्वर अल्लाह तेरो नाम

सबको सन्मति दे भगवान

रघुपति राघव राजा राम

पतित पावन सीता राम

 

ये है भजन का ओरिजिनल लिरिक्स

रघुपति राघव राजाराम |

पतित पावन सिताराम ॥

सुन्दर विग्रह मेघश्याम |

गंगा तुलसी शालग्राम ॥

भद्रगिरिश्वर सिताराम |

भगत-जनप्रिय सिताराम ॥

जानकीरामना सिताराम |

जयजय राघव सिताराम ॥

रघुपति राघव राजाराम |

पतित पावन सिताराम ॥

रघुपति राघव राजाराम |

पतित पावन सिताराम ॥

रघुपति राघव राजा राम भजन किसके द्वारा लिखा गया है?

इस भजन को श्री लक्ष्मणचार्य द्वारा लिखा गया था। लेकिन ऐसा भी माना जाता है कि यह या तो तुलसीदास द्वारा लिखा गया था या फिर मराठी संत-कवि रामदास द्वारा 17वीं शताब्दी में गाई गई प्रार्थना पर आधारित था। रामधुन के कई संस्करण हैं और महात्मा गांधी ने जिस संस्करण का इस्तेमाल किया था उसमें “सार्वभौमिक स्वाद” था। इस भजन को सबसे पहले लेखक पंडित विष्णु दिगम्बर पलुस्कर ने 12मार्च1930को डांडी मार्च के समय में गाया गया था।

अल्लाह और राम को जोड़ने के लिए महात्मा गाँधी ने किया था भजन मे बदलाव 

चौंकने वाली बात यह भी है कि जिस भजन को लेकर महबूबा मुफ्ती ने सवाल उठाए हैं, उसमें राम के साथ अल्लाह का भी जिक्र है। महात्मा गाँधी ने इस भजन में बदलाव ही हिन्दू और मुस्लिम को एकजुट करने के लिए किया था।

यह भजन इतना चर्चित हुआ कि फिल्मों में भी इसका बहुत जगह इस्तेमाल किया गया. ‘लगे रहो मुन्ना भाई’ और ‘कुछ-कुछ होता है’ जैसी फिल्मों इसे इस्तेमाल किया गया। इसके अलावा 1982 में अफ्रोबीट बैंड के एल्बम ओसिबिसा- अनलेशेड लाइव का शुरुआती ट्रैक में भी इसे शामिल किया गया था।

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