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महाराणा प्रताप जी की पुण्यतिथि (Maharana Pratap Death Anniversary):
धर्म के लिए बलिदान देने वाले हिंदुस्तान के सबसे काबिल और निडर योद्धा महाराणा प्रताप जी की आज पुण्यतिथि है. इस वीर योद्धा महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 ईस्वी में राजस्थान के कुंभगढ़ में हुआ था. महाराणा प्रताप केवल राजस्थान का ही नहीं बल्कि पूरी भारत का वीर सपूत कहा जाता है. महान राजपूत राजा महाराणा प्रताप का निधन 19 जनवरी साल 1597 को हो गया था.
महाराणा प्रताप जी ने अपनी छोटी सी सेना के साथ अकबर को दे दी थी मात:
महाराणा प्रताप की वीरता से जुड़े किस्सों से हर कोई इंसान वाकिफ है. हल्दी घाटी की लड़ाई के बारे में उनके किस्से भी देशभर में काफी प्रचलित हैं. प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा में महाराणा प्रताप और मुगल शासक अकबर के बीच हुई लड़ाई के बारे में पढ़ाया जाता है.
मेवाड़ में अकबर की अधीनता किसी भी कीमत पर महाराणा प्रताप को स्वीकार नहीं थी. इसी को लेकर युद्ध हो गया. अपनी छोटी सी सेना से ही महाराणा प्रताप ने अकबर की महा विशाल सेना को मात दे डाली थी. और यह युद्ध जीत लिया था.
महाराणा प्रताप जी के बचपन में उनको सभी ‘कीका’ नाम लेकर पुकारा करते थे:
महाराणा प्रताप जी के पिता महाराणा उदय सिंह जी और माता जयवंत कंवर थीं. महाराणा प्रताप जी राणा सांगा जी के पौत्र थे. महाराणा प्रताप जी को बचपन में सभी लोग ‘कीका’ नाम लेकर पुकारा करते थे. राजपूताना राज्यों में मेवाड़ का अपना एक विशिष्ट स्थान है जिसमें इतिहास के कई महान लोग जैसे कि गौरव बाप्पा रावल जी, खुमाण प्रथम जी, महाराणा हम्मीर जी, महाराणा कुम्भा जी, महाराणा सांगा जी, उदय सिंह जी और वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जी ने जन्म लिया था.
महाराणा प्रताप जी ने मुगल के अस्सी हजार की सेना का सामना किया था :
मेवाड़ की वो शौर्य-भूमि धन्य है जहां वीरता और दृढ प्रण वाले राजा महाराणा प्रताप का जन्म हुआ.इन्होंने इतिहास में अपना नाम अमर कर दिया है . उन्होंने धर्म एवं स्वाधीनता के लिए अपना बलिदान दिया था. साल 1576 के हल्दीघाटी युद्ध में करीब बीस हजार हिन्दुओं को अपने साथ लेकर महाराणा प्रताप जी ने मुगल सरदार के अस्सी हजार की सेना का सामना अकेले किया था.
महाराणा प्रताप जी के पास एक उनका सबसे प्रिय घोड़ा था, जिसका नाम ‘चेतक’ था. इस युद्ध में चेतक की भी मृत्यु हो गयी थी . शत्रु सेना से घिर चुके महाराणा प्रताप जी को शक्ति सिंह जी ने बचाया था. यह युद्ध केवल एक दिन ही चला था लेकिन इसमें सत्रह हजार लोग मारे गए.
प्रताप को अपने जीवन में बहुत कठिन मुसीबतों का सामना करना पड़ा था.किन्तु वह स्वतंत्रता के लिए हमेशा संघर्ष करते रहते थे.भामाशाह जैसे भरोसेमंद पुरुषों की मदद से उन्होंने दोबारा युद्ध लड़ा था और युद्ध जीतने के बाद प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में अपना राज्य पुनः स्थापित कर लिया था.
उनका बलिदान अनुयायियों के बीच एक वीर योद्धा की तरह हुआ था. हल्दीघाटी का युद्ध अय्याश क्रूर हत्यारा अकबर और महाराणा प्रताप जी के बीच 18 जून,साल 1576 ई. को लड़ा गया था. हल्दीघाटी के युद्ध में न तो दरिंदा अकबर जीत सका और न ही महाराणा प्रताप जी हारे. मुगलों के पास सैन्य शक्ति बहुत अधिक थी .तो वही पर प्रताप जी के पास जुझारू शक्ति की कोई कमी नहीं थी
आपको बता दें हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप जी के पास सिर्फ 20000 सैनिक थे और अकबर के पास 85000 सैनिक :
इसके बावजूद महाराणा प्रताप जी ने हार नहीं मानी थी और स्वतंत्रता के लिए लगातार संघर्ष करते रहे. जब युद्ध के दौरान मुगल सेना उनके पीछे पड़ी थी तो चेतक ने महाराणा प्रताप जी को अपनी पीठ पर बैठाकर कई फीट लंबे नाले को पार कर दिया था. हम सभी को वीरता, स्वाभिमान, शौर्य की शिक्षा दे कर आज ही के दिन 19 जनवरी साल 1597 को वीर शिरोमणि राणा प्रताप जी अमरता को प्राप्त हो गए थे..
आज भी चित्तौड़ में चेतक महाराणा प्रताप के सबसे प्रिय घोड़ा की समाधि बनी हुई है. वीरता और शौर्य के उस अमर योद्धा महाराणा प्रताप जी को उनके पुण्यतिथि पर बारम्बार नमष्कार और वंदन करते हुए उनकी गौरवगाथा को हमेशा के लिए अमर रखने का संकल्प हम सब लेते है .. वीर शिरोमणि धर्मयोद्धा महाराणा प्रताप जी हमेशा अमर रहें .
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