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कैफी आजमी बर्थडे स्पेशल:
मशहूर शायर कैफी आजमी ने जब 11 साल की उम्र में अपनी पहली गजल लिखी तो उनके पिता को जरा सा भी यकीन नहीं हुआ था । इसके बाद उन्होंने कई खूबसूरत, गजल, शेर और फिल्मी गीत लिखे। उनके जन्मदिन के बारे में जानें उनसे जुड़ी कुछ बातें।
उर्दू और हिंदी के मशहूर शायर और हिंदी फिल्म लिरिसिस्ट कैफी आजमी का आज 14 जनवरी को जन्मदिन होता है। वह हमारे बीच नहीं लेकिन वह जो रचनाएं छोड़कर गए हैं वे हमेशा लोगों के दिलों में गूंजती रहेंगी। बता दें कि उनका असली नाम अख्तर हुसैन रिजवी था। कैफी का जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में हुआ था।
कैफी आजमी ने अपनी पर्शियन और उर्दू की पढ़ाई भारत छोड़ो आंदोलन के टाइम 1942 में छोड़ दी थी। इस दौरान उन्होंने कवि के रूप में काफी पॉप्युलैरिटी पा ली। कैफी प्रोग्रेसिव राइटर थे। उन्होंने शौकत आजमी से शादी की थी जिनकी बेटी बॉलिवुड और थिअटर ऐक्ट्रेस शबाना आजमी हैं।
कैफी आजमी बहुत छोटी उम्र से ही लिख रहे गजल :
कैफी आजमी ने 11 साल की उम्र में ही अपनी पहली गजल इतना तो जिंदगी में किसी के खलल पड़े लिखी थी। उन्होंने किसी तरह खुद को मुशायरे में खुद को इन्वाइट करवाया था। वहां उन्होंने कुछ गजलें सुनाईं जिनकी काफी तारीफ हुई। वहां ज्यादातर लोगों को यहां तक कि उनके पिता को भी यही लगा कि उन्होंने अपने बड़े भाई की गजल पढ़ी है।
इसके लिए उनके पिता ने उनका टेस्ट भी लिया और उन्हें कुछ लाइनें देकर गजल लिखने को कहा। आजमी ने उनको गजल लिखकर दिखा दी। यह गजल पूरे देश में छा गई।
कैफी आजमी ने फिल्मों भी किया काम :
कैफी आजमी ने फिल्मों में लिरिसिस्ट, राइटर और अभिनेता के तौर पर काम किया है। उन्होंने बुजदिल फिल्म के लिए अपने पहले लिरिक्स लिखे थे। राइटर के तौर पर उनका सबसे ज्यादा काबिलेतारीफ काम चेतन आनंद की फिल्म हीर रांझा में था। इस फिल्म सारे डायलॉग्स शायरी के रूप में थे।
कैफी आजमी को मिले हुए अवॉर्ड्स:
कैफी आजमी को भारत का सबसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड पद्मश्री मिला था। इसके अलावा कैफ़ी आज़मी को उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी अवॉर्ड, और ‘आवारा सजदे’ रचना के लिए साहित्य अकादमी अवॉर्ड फॉर उर्दू, महाराष्ट्र उर्दू अकादमी का स्पेशल अवॉर्ड, सोवियत लैंड नेहरू अवॉर्ड, ऐफ्रो-एशियन राइटर असोसिएशन की तरफ से लोटस अवॉर्ड और राष्ट्रीय एकता के लिए राष्ट्रपति अवॉर्ड भी मिला 1998 में उन्हें महाराष्ट्र सरकार ने ज्ञानेश्वर अवॉर्ड दिया, वहीं उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए साहित्य अकादमी फेलोशिप भी मिली थी।
2000 में उन्हें दिल्ली सरकार और दिल्ली उर्दू अकादमी की तरफ से पहला मिलेनियम अवॉर्ड मिला था। साथ ही शांतिनिकेतन की विश्व भारती यूनिवर्सिटी की तरफ से डॉक्टरेट की उपाधि मिली थी।
कैफी आजमी के कुछ प्रमुख फिल्मी गीत :
1.तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो –
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो
आँखों में नमी हँसी लबों पर क्या हाल है क्या दिखा रहे हो
बन जाएँगे ज़हर पीते पीते ये अश्क जो पीते जा रहे हो
जिन ज़ख़्मों को वक़्त भर चला है तुम क्यूँ उन्हें छेड़े जा रहे हो
रेखाओं का खेल है मुक़द्दर रेखाओं से मात खा रहे हो
2.वक्त ने किया क्या हसीं सितम… (कागज के फूल)
3.इक जुर्म करके हमने चाहा था मुस्कुराना… (शमा)
4.जीत ही लेंगे बाजी हम तुम… (शोला और शबनम)
5.राह बनी खुद मंजिल… (कोहरा)
6.सारा मोरा कजरा चुराया तूने… (दो दिल)
7.बहारों…मेरा जीवन भी संवारो… (आखिरी ख़त)
8.धीरे-धीरे मचल ए दिल-ए-बेकरार… (अनुपमा)
9.या दिल की सुनो दुनिया वालों… (अनुपमा)
10.मिलो न तुम तो हम घबराए… (हीर–रांझा)
11.ये दुनिया ये महफिल… (हीर-रांझा)
12.जरा सी आहट होती है तो दिल पूछता है… (हकीकत)
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