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सयाजी शिन्दे जन्मदिन विशेष (SAYAJI SHINDE BIRTHDAY SPECIAL) :
सयाजी शिंदे का जन्म 13 जनवरी 1959 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के साखरवाड़ी नामक एक छोटे से गाँव में एक किसान परिवार मे हुआ था, वह एक अभिनेता है जिन्होंने तेलुगु, तमिल, मराठी, कन्नड़, मलयालम, अंग्रेजी, गुजराती, हिंदी, भोजपुरी फिल्मों और कई मराठी नाटकों में अभिनय किया है।
सयाजी ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1978 में मराठी एकांकी नाटकों से की थी। 1987 में ज़ुल्वा नामक मराठी नाटक में उनके अभिनय को काफी सराहा गया और तभी से उन्हें दिग्गज कलाकारों के बीच लोकप्रियता मिलनी शुरू हो गई। बाद में उन्होंने मराठी सिनेमा की ओर रुख किया और फिर अन्य भाषाओं में अभिनय करना शुरू कर दिया।
165 रुपये मे वॉचमैन की नौकरी करते थे सयाजी शिंदे :
सयाजी शिंदे की पहली नौकरी एक वॉचमैन यानी चौकीदार की थी, जो महाराष्ट्र गवर्मेंट इरिगेशन डिपार्टमेंट में लगी थी। सयाजी शिंदे पढ़ाई भी करते और फिर चौकदार की नौकरी भी करते। इसके लिए उन्हें महीने के सिर्फ 165 रुपये मिलते थे।
कुछ समय बाद सयाजी शिंदे को वहीं पर एक क्लर्क की नौकरी मिल गई और वह उसमें रम गए। सयाजी शिंदे को ड्रामा का भी शौक था, इसलिए शौकिया तौर पर नौकरी के साथ ड्रामा भी करना शुरू कर दिया। लेकिन सयाजी शिंदे ने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन एक्टिंग करेंगे।
सयाजी शिन्दे का बॉलीवुड मे करियर :
सयाजी शिन्दे ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1978 में मराठी एकांकी नाटकों में अभिनय से की। एक अभिनेता के रूप में उनकी पहली मराठी फिल्म 1995 में अबोली थी। उन्होंने कई मराठी नाटक किए, जिनमें सखाराम बाइंडर के रूप में उनकी भूमिका को काफी सराहा गया।
अन्य हिट मराठी नाटक ज़ुल्वा (1987), वन रूम किचन (1989) और अमच्या या घरत (1991) थे। इसके बाद उन्होंने कई मराठी फिल्मों में काम किया, जिनमें से उन्हें फिल्म गोश्ता छोटी डोंगारा इवाधी में कृषि मंत्री की भूमिका के लिए याद किया जाएगा। हिंदी अभिनेता मनोज बाजपेयी ने टाइम्स ऑफ इंडिया में सयाजी पर एक लेख देखा और उन्होंने राम गोपाल वर्मा को सयाजी के नाम की सिफारिश की।
वर्मा, जो उस समय फिल्म शूल बना रहे थे, ने तुरंत सयाजी को बच्चू यादव की भूमिका की पेशकश की और इस तरह सयाजी ने बॉलीवुड में प्रवेश किया। शूल ने सयाजी को अच्छी शुरुआत दी, हालाँकि, यह बाराती नामक एक तमिल फिल्म थी जिसने उनके करियर को आगे बढ़ाया।
उक्त फिल्म में सयाजी शिंदे को उनके अभिनय के लिए जबरदस्त सराहना मिली। तमिल न बोलने के बावजूद, सयाजी ने ज्ञान राजशेखरन द्वारा निर्देशित फिल्म में तमिलनाडु के कवि और लेखक सुब्रमण्यम भारती की भूमिका प्रभावी ढंग से निभाई और उनके प्रयासों के लिए उन्हें तमिलनाडु राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। बाद में उन्होंने अज़गी और धूल जैसी तमिल ब्लॉकबस्टर फिल्मों में भी काम किया।
सयाजी शिन्दे ने बॉलीवुड के अलावा साउथ और मराठी सिनेमा में कमाया नाम :
सयाजी शिंदे ने ‘शूल’, ‘खिलाड़ी 420’, ‘कुरुक्षेत्र’, ‘कर्ज’, , ‘ये मेरा इंडिया, ‘रोड’, ‘अंश’, ‘वास्तुशास्त्र’, ‘सरकार राज’ जैसी कई हिंदी फिल्में कीं। साल 2021 में वह सलमान खान स्टारर ‘अंतिम: द फाइनल ट्रुथ’ में हेड कॉन्स्टेबल के रोल में नजर आए थे।
सयाजी शिंदे ने तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम और भोजपुरी भाषा की ढेरों फिल्मों में काम किया। चूंकि सयाजी शिंदे किसान परिवार से रहे हैं, इसलिए वह हमेशा से पेड़ लगाने पर जोर देते आए हैं। वह अब तक 25 हजार से भी ज्यादा पेड़ लगा चुके हैं। वह एक फिल्म प्रोड्यूसर भी हैं। सयाजी शिंदे हाल ही मे साउथ की सुपर हिट फिल्म ‘गॉडफादर’ में चिरंजीवी के साथ नजर आए थे ।
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