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Mahatma Gandhi birth anniversary : सादगीपूर्ण जीवनशैली ने महात्मा गांधी को किया था लोगों के बीच प्रसिद्ध, स्वतंत्रता आंदोलन में निभाई थी सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका
महात्मा गांधी भारत देश के सबसे प्रसिद्ध स्वतंत्रता कार्यकर्ता और एक आधिकारिक और सबसे ज्यादा शक्तिशाली राजनीतिक नेता भी थे । महात्मा गाँधी ने भारत के ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हुई थी। उन्हें देश का पिता भी माना जाता था।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि उन्होंने भारत के गरीब लोगों के जीवन को भी बेहतर बनाया। उनका जन्मदिन हर साल गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है।
महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में लगभग 20 वर्षों तक अन्याय और नस्लीय भेदभाव के खिलाफ अहिंसक तरीके से विरोध किया। उनकी सादगीपूर्ण जीवनशैली ने उन्हें भारत और बाहरी दुनिया में प्रशंसक दिलवाए हुए थे । वे बापू (पिता) के नाम से लोकप्रिय थे।
महात्मा गांधी का प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
मोहनदास करमचंद गाँधी आज ही के दिन यानी 2 अक्टूबर साल 1869 को गुजरात के पोरबंदर जिले के मध्यम परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम करमचंद गांधी तथा इनकी माता का नाम पुतलीबाई गाँधी था। महात्मा गाँधी ने मात्र 13 साल की उम्र में कस्तूरबा से शादी कर ली हुई थी । जो एक अरेंज मैरिज थी। उनके चार बेटे थे जिनके नाम हरिलाल, मणिलाल, रामदास और देवदास थे। उन्होंने 1944 में अपनी मृत्यु तक अपने पति के सभी प्रयासों का समर्थन किया।
उनके पिता पश्चिमी ब्रिटिश भारत (अब गुजरात राज्य) में एक छोटी सी रियासत की राजधानी पोरबंदर के दीवान या मुख्यमंत्री थे। महात्मा गांधी अपने पिता की चौथी पत्नी पुतलीबाई के पुत्र थे, जो एक संपन्न वैष्णव परिवार से ताल्लुक रखती थीं। आपको बता दें कि अपने शुरुआती दिनों में, वे श्रवण और हरिश्चंद्र की कहानियों से बहुत प्रभावित थे क्योंकि वे सत्य के महत्व को दर्शाती थीं।
महात्मा गांधी की शिक्षा
जब गांधी जी 9 साल के थे, तब वे राजकोट के एक स्थानीय स्कूल में गए और अंकगणित, इतिहास, भूगोल और भाषाओं की मूल बातें सीखीं। 11 साल की उम्र में, वे राजकोट के एक हाई स्कूल में गए। अपनी शादी की वजह से, कम से कम एक साल तक, उनकी पढ़ाई बाधित रही और बाद में उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की।
उन्होंने 1888 में गुजरात के भावनगर में सामलदास कॉलेज में दाखिला लिया। बाद में, उनके एक पारिवारिक मित्र मावजी दवे जोशी ने आगे की पढ़ाई यानी लंदन में कानून की पढ़ाई की। गांधी जी सामलदास कॉलेज में अपनी पढ़ाई से संतुष्ट नहीं थे और इसलिए वे लंदन के प्रस्ताव से उत्साहित हो गए और अपनी माँ और पत्नी को यह समझाने में कामयाब रहे कि वे मांसाहार, शराब या महिलाओं को नहीं छुएँगे।
लंदन के लिए रवाना
वर्ष 1888 में महात्मा गांधी कानून की पढ़ाई करने के लिए लंदन चले गए। वहां पहुंचने के 10 दिन बाद ही उन्होंने लंदन के चार लॉ कॉलेजों में से एक इनर टेम्पल में दाखिला ले लिया और कानून की पढ़ाई और प्रैक्टिस की। लंदन में वे एक शाकाहारी सोसाइटी में भी शामिल हुए और उनके कुछ शाकाहारी दोस्तों ने उन्हें भगवद गीता से परिचित कराया। बाद में भगवद गीता ने उनके जीवन पर गहरा प्रभाव डाला और उन्हें प्रभावित किया।
महात्मा गांधी की भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका
साल 1915 में महात्मा गांधी भारत लौट आये थे और महात्मा गाँधी ने गोपाल कृष्ण गोखले को अपना गुरु बनाकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गये थे ।
महात्मा गांधी की पहली सबसे बड़ी उपलब्धि साल 1918 में बिहार और गुजरात के चंपारण और इसके साथ खेड़ा आंदोलन का नेतृत्व भी करना था। इसके साथ ही महात्मा गाँधी ने स्वराज और भारत छोड़ो आंदोलन का भी नेतृत्व किया हुआ था ।
महात्मा गांधी का सत्याग्रह
गांधीजी ने अहिंसक कार्रवाई के अपने समग्र तरीके को सत्याग्रह के रूप में पहचाना। गांधीजी के सत्याग्रह ने स्वतंत्रता, समानता और सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष करने वाले नेल्सन मंडेला और मार्टिन लूथर जैसी प्रख्यात हस्तियों को प्रभावित किया। महात्मा गांधी का सत्याग्रह सच्चे सिद्धांतों और अहिंसा पर आधारित था।
महात्मा गांधी की मृत्यु
मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने की थी। गोडसे एक हिंदू राष्ट्रवादी और हिंदू महासभा का सदस्य था। उसने गांधी पर पाकिस्तान का पक्ष लेने का आरोप लगाया और अहिंसा के सिद्धांत का विरोधी था।
महात्मा गांधी के पुरस्कार
• साल 1930 में महात्मा गांधीजी को टाइम पत्रिका द्वारा मैन ऑफ द ईयर नामित किया गया हुआ था।
• 2011 में , टाइम पत्रिका ने गांधी को अब तक के शीर्ष 25 राजनीतिक प्रतीकों में से एक बताया।
• 1937 और 1948 के बीच महात्मा गाँधी को पांच बार नामांकित होने के बावजूद भी नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिल सका था ।
• भारत सरकार ने प्रतिष्ठित सामाजिक कार्यकर्ताओं, विश्व नेताओं और नागरिकों को वार्षिक गांधी शांति पुरस्कार देने की शुरुआत की। रंगभेद के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका के संघर्ष के नेता नेल्सन मंडेला को भी यह पुरस्कार दिया गया था।