आज बाबा खाटू श्याम का जन्मदिन, जाने कौन है बाबा खाटू श्याम और क्यों है इतने प्रसिद्ध।
Digital News Guru Birthday Special: बाबा खाटू श्याम का जन्मोत्सव कार्तिक शुक्ल पक्ष की देव उठनी एकादशी वाले दिन मनाया जाता है। सभी भक्त केक काटकर या जोत जलाकर या फिर अपनी समर्थ अनुसार बाबा का जन्मदिन मनाते है। इस बार बाबा खाटू श्याम का जन्मदिन 23 नवंबर दिन गुरुवार को पड़ रहा है।
कैसे मानते है भक्त बाबा का जन्मोत्सव
पंचाग के अनुसार बाबा खाटू श्याम का जन्मदिन देवउठनी एकादशी वाले दिन मनाया जाता है। इस बार 23 नवंबर को हम सब के प्यारे बाबा का जन्मदिन है। इसी दिन लोग तुलसी विवाह का आयोजन भी करते है। बाबा खाटू श्याम के जन्मदिन पर भक्त उनकी विधिवत पूजा करके उन्हे कई तरह के भोग लगाते है साथ ही वो लोग बाबा खाटू श्याम के सामने केक काट के उनका जन्मोत्सव बड़ी धूम धाम से मानते है।
खाटू नगरी मे कैसे मनाया जाता है बाबा खाटू श्याम का जन्मदिन
खाटू नगरी मे बड़ी धूम धाम से बाबा खाटू श्याम का जन्मोत्सव मनाया जाता है। श्री श्याम मन्दिर कमेटी के द्वारा 4 दिन पहले से ही बाबा श्याम के जन्मोत्सव की तैयारी शुरू हो जाती है। बाबा खाटू श्याम के जन्मदिन मे उन्हे सबसे पहले इत्र से स्नान करवाया जाता है। उसके बाद उनको नये वस्त्र पहना कर गुलाब, चंपा, चमेली, गेंदा आदि अनेक प्रकार के फूलों के गजरों से, सजाया जाता है।
साथ ही पूरे मन्दिर मे रंग बिरंगे गुबारे लगाए जाते है। साथ ही इस दिन यहाँ पर काफी बड़े मेले का आयोजन भी होता है। साथ ही बाबा के सामने केक काटकर बाबा खाटू श्याम को भोग लगाया जाता है। बाबा खाटू श्याम के जन्मोत्सव पर लाखों भक्त बाबा के दर्शन के लिए आते है।
कौन है बाबा खाटू श्याम
बाबा खाटू श्याम जी कलयुग मे श्री कृष्ण के अवतार है। बाबा खाटू श्याम महाभारत के भीम के पुत्र पुत्र घटोत्कच और घटोत्कच के पुत्र बर्बरिक थे। बर्बरीक को ही बाबा खाटू श्याम कहते हैं। इनकी माता का नाम हिडिम्बा है।
क्या है बाबा खाटू श्याम की कहानी
बर्बरीक दुनिया के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर है। बर्बरीक के तीन बाण काफी थे इन तीन बाणों से बर्बरीक और महाभारत का युद्ध जीत सकता था। इन तीन बाणों के बल पर कौरवों और पांडवों की पूरी की पूरी सेना को समाप्त कर सकते थे।
महाभारत के युद्ध मे जाकर बर्बरीक दोनों खेमों के बीच मे लगे पेड़ के पास जाकर खड़े हो कर बोले की मै उस पक्ष की तरफ से लडूंगा जो पक्ष हार रहा होगा। ये सुनकर वहाँ खड़े भगवान श्री कृष्ण चिंता मे पड़ गए।
अर्जुन और भगवान कृष्ण दोनों बर्बरीक के, समीप गए और बोले की तुम तो बहुत वीर हो तो हमको भी अपनी वीरता का कोई चमत्कार दिखाओ। भगवान कृष्ण बोले की तुम इस पेड़ के सारे पत्तों को एक ही बाण से छेद दो। बर्बरीक ने तुरंत ही अपने एक तीर को पेड़ की तरफ छोड़ दिया। जब तीर सभी पत्तों पर छेद कर रहा था उसी दौरान एक पत्ता पेड़ से गिरकर भगवान कृष्ण के पैर के पास आ गया। तब बर्बरीक ने कहा प्रभु आप अपना पैर हटा ले क्योंकि मैंने तीर को सिर्फ पत्तों को छेदने की आज्ञा दे रखी है आपके पैर को छेदने की नहीं।
भगवान कृष्ण ये देख हैरान रह गए भगवान कृष्ण ये बात जानते थे की बर्बरीक ने प्रतिज्ञा ली है की वो हारने वाले का साथ देगा।। और अगर बर्बरीक ने कौरव का साथ दिया तो फिर पांडवों के लिए संकट खड़ा हो जाएगा । ।
तभी भगवान कृष्ण ने एक ब्राह्मण का भेष बनाकर बर्बरीक के समीप गए और दान माँगने लगे। तो बर्बरीक बोले मांगो ब्राह्मण क्या चाहिए? ब्राह्मण रूपी कृष्ण ने कहा की मुझे तुम्हारा शीश चाहिए। ।
तो तुरंत ही बर्बरीक ने अपना शीश काटकर ब्राह्मण रूपी कृष्ण को दे दिया। बर्बरीक के इस बलिदान को देखकर भगवान कृष्ण अपने असली रूप आये और बर्बरीक को कलियुग में स्वयं के नाम से पूजित होने का वर दिया। आज बर्बरीक को बाबा खाटू श्याम के नाम से जाना जाता है। और जहां कृष्ण ने उसका शीश रखा था उस स्थान का नाम खाटू है।
देवउठनी एकादशी को ही क्यों मनाया जाता है बाबा श्याम का जन्मदिन
भगवान् श्री कृष्ण ने बर्बरीक के सिर को खाटू नगरी मे रख दिया था कहा जाता है की एक गाय प्रतिदिन आकर उस जगह पर दूध की धार बहाती थी। जब कई लोगों को इस बात की जानकारी हुई तो उस जगह की खुदाई करवाई गयी। खुदाई के दौरान ही बाबा खाटू श्याम का शीश प्रकट हुआ था।
जिसे ब्राह्मण को सौंप दिया गया था। कुछ दिन बाद खाटू नगरी के राजा को बाबा श्याम ने सपने मे भव्य मन्दिर बनाने के लिए कहा। उनके कहे अनुसार बाबा श्याम का विशाल मन्दिर बनवाया। और देवउठनी एकादशी वाले दिन बाबा श्याम के शीश को सुशोभित किया । तभी से बाबा खाटू श्याम का जन्मदिन देवउठनी एकादशी वाले मनाया जाने लगा।
जाने क्या है निशान। और बाबा को कैसे चढ़ाते है। और क्यों चढ़ाते है
बाबा खाटू श्याम मे कई लोग अपनी बहुत सी मन्नत माँगने आते है। बहुत से लोग मन्नत पूरी होने के बाद बाबा को निशान चढ़ाते है। हालाँकि अभी भी बहुत से ऐसे लोग है जिनको निशान के बारे मे ज्यादा कुछ नही पता है तो आइये हम आप को बताते है इसके बारे मे।
बाबा श्याम के ध्वज का रंग केसरिया, नारंगी और लाल होता है। इस पर बाबा श्याम और भगवान कृष्ण का चित्र बना होता है। साथ ही कुछ ध्वज मे इनका नाम और मंत्र भी लिखे होते है। इस ध्वज यानी निशान को लोग भगवान खाटू श्याम के मन्दिर मे जाके चढ़ाते है। कुछ लोग निशान मन्दिर के पास ही खरीदते है और कुछ लोग इसी निशान को रिंगस् से खरीदते है और रिंगस् से पैदल यात्रा करके बाबा को ये निशान चढ़ाते है। खाटू से रिंगस् की दूरी 17 किलोमीटर है।
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