Feroze Gandhi birth Anniversary: आज फिरोज गाँधी की जयंती पर जानते है उनसे जुड़ी कुछ बातों के बारे मे, आखिर कैसे मुलाकात हुई थी फिरोज और इंदिरा गाँधी की
आज हम बात कर रहे है फिरोज गांधी की, फिरोज भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति भी थे। फिरोज गाँधी एक पारसी राजनेता भी थे उसके साथ ही फिरोज एक पत्रकार भी हुआ करते थे।
इसके अलावा फिरोज लोकसभा के सांसद भी रह चुके थे । फिरोज ने राजनीति के गुण प्रयागराज से रह कर सीखा हुआ था। फिरोज गाँधी की आज जयंती है तो चलिए जानते है इनसे जुड़ी कुछ बातें…
जन्म और परिवार
फिरोज जहांगीर गांधी का जन्म मुंबई के पारसी परिवार में 12 सितंबर साल 1912 को हुआ था । साल 1920 में फिरोज के पिता की मृत्यु के बाद फिरोज गाँधी की मां रतिमाई के साथ मुंबई से प्रयागराज आ गए थे । प्रयागराज में वह अपनी मौसी शिरिन कमिसारीट के पास रहने लगने लगे थे। । साल 1930 में जब फिरोज गांधी ईसीसी में अपनी पढाई को पूरा कर रहे थे। तभी फिरोज गाँधी ने वानर सेना के साथ मिलकर अपने कॉलेज के बाहर एक बार प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था ।
फिरोज और इंदिरा की मुलाकात
इसी प्रदर्शन के दौरान ही पहली बार फिरोज गाँधी, इंदिरा गांधी और कमला नेहरु से मिले हुए थे । वहाँ पर अत्यधिक गर्मी के कारण कमला नेहरु बेहोश हो गईं थी । जिस पर फिरोज गाँधी ने उनकी काफी मदद की थी। इस प्रदर्शन के अगले दिन फिरोज ने पढ़ाई छोड़कर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जुड़ने की प्रेरणा ले ली थी। जिसके बाद वह अक्सर आनंद भवन जाते रहते थे, इस दौरान उनकी इंदिरा गांधी से नजदीकियां बढ़ने लगीं थी। जब साल 1933 में फिरोज ने कमला नेहरु के सामने इंदिरा से शादी करने की इच्छा जाहिर कर दी थी । जबकि उस दौरान इंदिरा की उम्र सिर्फ 16 साल थी।
शादी से खुश नहीं थे पं.नेहरू
इंदिरा और फिरोज की शादी से पंडित नेहरु खुश नहीं थे। पंडित नेहरु के इस रिश्ते से खुश न होने का कारण ये था कि फिरोज एक पारसी थे और इंदिरा गांधी कश्मीरी ब्राह्मण थी । वहीं दोनों की उम्र में भी काफी बड़ा एक अंतर था। हालांकि महात्मा गांधी के हस्तक्षेप के बाद पं.नेहरु की इजाजत के साथ 26 मार्च 1942 को आनंद भवन में शादी हुई थी। इंदिरा और फिरोज की शादी में महात्मा गांधी भी शामिल हुए थे।
जेल में थे फिरोज-इंदिरा
विवाह के बाद भारत छोड़ो आंदोलन के समय इंदिरा और फिरोज एक साथ जेल गए। इंदिरा और फिरोज को नैनी जेल में बंद किया गया था। वहीं अगले 5 सालों में राजीव और संजय गांधी का जन्म हुआ। देश की आजादी के बाद इंदिरा और फिरोज अपने दोनों बच्चों के साथ प्रयागराज में रहने लगे थे । उसके बाद उन्होंने पं. नेहरु द्वारा स्थापित नेशनल हेराल्ड के निदेशक के रूप में भी काम किया हुआ था ।
मृत्यु
बता दें कि साल 1952 और साल 1957 में फिरोज गांधी रायबरेली से चुनाव भी जीते हुए थे। लेकिन साल 1958 में एक बार दिल का दौरा पड़ने के कारण वह हमेशा बीमार रहने लगे थे। 08 सितंबर साल 1960 को फिरोज गांधी ने आखरी साँस ली थी । वहीं फिरोज गाँधी के अंतिम संस्कार के बाद उनकी अस्थियां मम्फोर्डगंज स्थित पारसी कब्रिस्तान में पारसी रीति से ही दफनाई भी गई हुई थी।