Saturday, September 21, 2024

भगवान गणपति और मोदक की कहानी! जानिए क्यों बप्पा को प्रिय है यह मिष्ठान?

DIGITAL NEWS GURU RELIGIOUS DESK:

भगवान गणपति और मोदक की कहानी! जानिए क्यों बप्पा को प्रिय है यह मिष्ठान?

पूरे देश में ढोल नगाड़ों के साथ पूरे उत्साह पूर्वक धूमधाम से जगह-जगह सिद्धिविनायक गणपति बप्पा विराजमान हो चुके हैं। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू हुआ ये उत्सव 10 दिन तक चलेगा। हर दिन ‘गणपति बप्पा मोरया’ के उद्घोष होंगे। लोग गणेश जी का बड़े ही भक्ति पूर्वक से पूजन पाठ करने में लगे हुए हैं इस बीच सभी लोग गणेश जी के मनपसंद लड्डू मोदक और कई तरीके का भोग उनके लिए बनाते हैं लेकिन गणेश जी को सबसे प्रिय मोदक लगते हैं इसलिए आज हम इस आर्टिकल में आपको बताएंगे कि आखिरकार गणेश जी को सबसे ज्यादा क्यों प्रिय हैं मोदक …..

भगवान गणेश ऐसे देवता हैं, जिनकी पूजा-अर्चना उनके बाल स्वरूप में होती है। उनका प्रिय भोग मोदक और उनकी सवारी मूषक उनकी छवि को और भी ज्यादा आकर्षक बनाते हैं।

 भगवान गणपति को मोदक का भोग क्यों चढ़ाया जाता है?

भगवान गणेश का मोदक बहुत ही अधिक पसंद है। इसलिए गणेश भगवान के लोगों में से एक मोदक को सबसे प्रिय माना जाता है। इसे लेकर धर्म-अध्यात्म में कई कहानियां प्रचलित हैं। इनमें से एक कहानी ये है कि एक बार ऋषि अत्रि की पत्नी देवी अनुसूया ने सभी देवताओं को भोजन पर आमंत्रित किया। वहां भगवान शिव अपने परिवार के साथ भोजन कर रहे थे। माता अनुसूया भगवान गणेश को लगातार भोजन परोसती रहीं, पर वह तृप्त ही नहीं हो रहे थे।

जब भोजन की आखिरी थाली बची तो माता अनुसूया ने उनकी थाली में भोजन की बजाय मोदक रख दिया। इसे खाते ही उन्हें जोर की डकार आ गई। यह संतुष्टि और तृप्ति का इशारा था। इसके तुरंत बाद भगवान शिव को 21 डकारें आई। यह देखकर माता पार्वती बहुत ही प्रभावित हुईं। उन्होंने कहा कि जो कोई भी भगवान गणेश को 21 मोदक का प्रसाद बनाकर चढ़ाएगा, उसे गणेश जी की कृपा सेसुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।

इससे संबंधित एक दूसरी कहानी यह भी है, कि एक बार भगवान भोलेनाथ विश्राम कर रहे थे। गणेश जी इसमें विघ्न की शंका से द्वार पर पहरा दे रहे थे। उसी दौरान परशुराम वहां पहुंचे और शिव जी से मिलने की इच्छा जताई। भगवान शिव को विश्राम करते देख गणेश जी ने उन्हें द्वार पर ही रोक दिया। इससे परशुराम बहुत क्रोधित हो गए और गणेश जी से युद्ध करने लगे। इस युद्ध में परशुराम के प्रहार से गणेश जी का एक दांत टूट गया। जिससे उन्हें खाने में तकलीफ हुई ,तो माता पार्वती ने उन्हें नरम मोदक बनाकर दिए। ये गणेश जी को बहुत पसंद आए। उसी समय से ही मोदक उनका प्रिय भोग बन गया है।

रामायण और महाभारत में भी मोदक का मिलता है जिक्र 

महाभारत में अनुशासन पर्व में मोदक को सबसे अच्छी मिठाई बताया गया है। जबकि रामायण के लंका कांड में इसका उल्लेख किया गया है। इसके अतिरिक्त अग्नि पुराण में भी इसका वर्णन किया गया है। हालांकि समय और स्थान के साथ इसे बनाने की विधि में परिवर्तन आते रहे हैं। आज भारत में 21 से भी अधिक तरह के मोदक बनाए जाते हैं।

भगवान गणेश के प्रिय मोदक के आकार का क्या मतलब है?

मोदक का आकार धन की पोटली की भांति होता है। इसलिए इसे धन और सुख समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसका आकार ऊपर की ओर इशारा करते हुए त्रिकोण सा नजर आता है। इसलिए इसे शिव और आध्यात्मिकता का प्रतीक भी माना जाता है।

मोदक तैयार करने की सामग्री और यह किस प्रकार से तैयार किया जाता है?

यदि आप घर पर ही मोदक बना रहे हैं तो हमें इसके लिए जरूरी सामग्री बाजार से लानी होगी ।सबसे पहले चावल का आटा, कद्दूकस किया हुआ नारियल, हरी इलायची, गुड़, नमक और घी जुटाना होगा।

सर्वप्रथम हमें स्टफिंग तैयार करनी होती है। इसके लिए किसे हुए नारियल को हल्की आंच में फ्राई करना होता है, फिर इसे ठंडा होने रख देते हैं। फिर गुड़ के पाउडर को पानी में उबाल लेते हैं, इसमें हरी इलायची मिलाते हैं। इसके बाद नारियल को मिलाकर अच्छे से पूरे मिश्रण को मिक्स कर लेते हैं। इससे मोदक बनाने की स्टफिंग तैयार हो जाती है।

अब बारी आती है उसका डफ बनाने की ।इसके लिए चावल का आटा लेकर उसमें पानी और नमक मिलाते हैं। इसे गूंथकर आधे घंटे तक अच्छे से फूलने के लिए छोड़ देते हैं। फिर आटे की छोटी लोई बनाकर उन्हें पूड़ी का आकार देते हैं। इसमें स्टफिंग भरकर मोदक का आकार प्रदान करते हैं।

उसके बाद इन्हें स्टीम यानी भाप में अच्छे से पका लेते हैं। बस भगवान गणेश के प्रिय मोदक भोग के लिए तैयार हैं। अब इस समय गणेश जी के प्रिय मोदक को बनाने के लिए कई प्रकार की विधियों का प्रयोग भी किया जाता है जैसे कि कुछ लोग मैदा और खोया से तो कुछ लोग मैदा और सूजी से और कुछ लोग इसे ड्राई फ्रूट्स और अन्य कई तरीकों से भी मोदक को बनाकर तैयार करते हैं।


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