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Vikram Sarabhai birth anniversary : अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की शुरुआत और भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्र, विक्रम साराभाई के महान कार्यों के कारण लोग उन्हें कहते है ISRO का जनक !
विक्रम साराभाई (Vikram Sarabhai) का जन्म 12 अगस्त 1919 को अहमदाबाद, भारत में हुआ था। उनका पूरा नाम विक्रम अंबालाल साराभाई था और उनके पिता अंबालाल साराभाई गुजरात के एक बड़े व्यवसायी थे। विक्रम अंबालाल साराभाई एक प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक थे जिन्होंने अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में बहुत काम किया।
उन्होंने अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की शुरुआत की और भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्र भी शुरू किया। उनके महान कार्यों के कारण लोग उन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक कहते हैं। 1966 में उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार मिला और 1972 में उन्हें पद्म विभूषण पुरस्कार मिला। विक्रम साराभाई का निधन 30 दिसंबर साल 1971 को कोवलम मे हो गया था।
विक्रम साराभाई (Vikram Sarabhai):
विक्रम साराभाई (Vikram Sarabhai) एक प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक थे जिनका जन्म 12 अगस्त, 1919 को अहमदाबाद, भारत में हुआ था। उन्हें भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान और परमाणु ऊर्जा में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है। विक्रम साराभाई का पूरा नाम विक्रम अंबालाल साराभाई था और उनके पिता अंबालाल साराभाई एक सफल गुजराती उद्योगपति थे।
डॉ. विक्रम अंबालाल साराभाई ने भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम को शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस क्षेत्र में उनके अग्रणी कार्य के कारण उन्हें अक्सर ” भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक ” कहा जाता है। उन्होंने भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के विकास की भी पहल की।
अपने करियर के दौरान, विक्रम साराभाई को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए कई सम्मान मिले। 1966 में उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया और 1972 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
विक्रम साराभाई (Vikram Sarabhai) की प्रारम्भिक शिक्षा:
विक्रम साराभाई (Vikram Sarabhai) की शैक्षणिक यात्रा प्रभावशाली रही। उन्होंने दुनिया के कुछ बेहतरीन संस्थानों में अध्ययन किया। सबसे पहले, वे इंग्लैंड में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय गए। वहाँ, उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान का अध्ययन किया, जिसमें भौतिकी भी शामिल थी। इससे उन्हें विज्ञान में एक मजबूत आधार बनाने में मदद मिली।
उसके बाद, वे संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में दाखिला लिया। MIT में, उन्होंने आगे की पढ़ाई की और कॉस्मिक किरणों के क्षेत्र में डॉक्टरेट (Ph.D.) की उपाधि प्राप्त की। कॉस्मिक किरणें अंतरिक्ष से आने वाले उच्च-ऊर्जा कण हैं, और उनका अध्ययन करना विज्ञान में एक बड़ी बात थी।
विक्रम साराभाई (Vikram Sarabhai) के द्वारा स्थापित संगठन:
विक्रम साराभाई एक प्रतिभाशाली वैज्ञानिक थे जिन्होंने भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कई महत्वपूर्ण संगठनों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो):
विक्रम साराभाई को अक्सर भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक कहा जाता है। उन्होंने इसरो की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जो भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण प्रयासों के लिए जिम्मेदार है। इसरो ने चंद्रयान और मंगलयान सहित कई उपग्रह और मिशन लॉन्च किए हैं।
भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL):
विक्रम साराभाई ने अहमदाबाद, भारत में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला की भी स्थापना की। यह संस्था अंतरिक्ष और ग्रह विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में वैज्ञानिक अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करती है।
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC):
केरल के तिरुवनंतपुरम में स्थित यह केंद्र अंतरिक्ष अनुसंधान और रॉकेट प्रक्षेपण के लिए समर्पित है। इसका नाम विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है और यह अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके काम को जारी रखता है।
विक्रम साराभाई मेमोरियल स्पेस साइंस प्रदर्शनी (VSMSE):
यह प्रदर्शनी अंतरिक्ष विज्ञान में विक्रम साराभाई के योगदान को श्रद्धांजलि के रूप में कार्य करती है। यह अंतरिक्ष अनुसंधान के विभिन्न पहलुओं को प्रदर्शित करती है और इसका उद्देश्य जनता को शिक्षित करना है।
विक्रम साराभाई सामुदायिक विज्ञान केंद्र (VASCSC):
यह केंद्र छात्रों और समुदाय के बीच वैज्ञानिक शिक्षा और जागरूकता को बढ़ावा देता है। यह युवा दिमागों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करता है।
विक्रम साराभाई फाउंडेशन:
यह फाउंडेशन विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और शिक्षा को समर्थन देने के लिए विक्रम साराभाई की स्मृति में स्थापित विभिन्न पहलों और छात्रवृत्तियों को संदर्भित करता है।
अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन:
विक्रम साराभाई (Vikram Sarabhai) ने मुख्य रूप से भारत में काम किया, लेकिन उनके योगदान और विचारों का अंतरिक्ष अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास पर वैश्विक प्रभाव पड़ा है। विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष संगठन इसरो के साथ सहयोग करते हैं और उनके काम से प्रेरणा लेते हैं।
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विक्रम साराभाई (Vikram Sarabhai) द्वारा कीये गए आविष्कार :
विक्रम साराभाई (Vikram Sarabhai) की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की शुरुआत करना था। 1947 में लंदन में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने भारत की नई सरकार को आश्वस्त किया कि भारत जैसे विकासशील देश के लिए अंतरिक्ष कार्यक्रम होना ज़रूरी है। उन्हें डॉ. होमी जहांगीर भाभा से समर्थन मिला , जिन्हें भारत के परमाणु विज्ञान कार्यक्रम के जनक के रूप में जाना जाता है। साथ मिलकर, उन्होंने अरब सागर तट पर तिरुवनंतपुरम के पास थुंबा में भारत का पहला रॉकेट लॉन्च स्टेशन स्थापित किया।
पहला रॉकेट 21 नवंबर, 1963 को सोडियम वाष्प लेकर उड़ा। यह एक बड़ी बात थी क्योंकि उन्हें सब कुछ शुरू से ही बनाना था – लॉन्च साइट, टीम, संचार और लॉन्च पैड। डॉ. विक्रम साराभाई ने नासा जैसे अन्य देशों के अंतरिक्ष संगठनों से भी बात की, और इसके परिणामस्वरूप 1975-76 में सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविज़न एक्सपेरिमेंट (SITE) की शुरुआत हुई।
वे विज्ञान शिक्षा में बहुत रुचि रखते थे और उन्होंने 1956 में अहमदाबाद में सामुदायिक विज्ञान केंद्र की स्थापना की, जिसे विक्रम साराभाई सामुदायिक विज्ञान केंद्र (VASCSC) के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने एक भारतीय उपग्रह बनाने और उसे प्रक्षेपित करने की परियोजना भी शुरू की।
विक्रम साराभाई (Vikram Sarabhai) की उपलब्धियां:
विक्रम साराभाई (Vikram Sarabhai) ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल कीं। वे भारत के एक प्रतिभाशाली वैज्ञानिक थे। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम शुरू करना था। इसका मतलब है कि उन्होंने भारत को अंतरिक्ष के बारे में जानने और अंतरिक्ष में उपग्रह भेजने में मदद की।
उन्होंने भारत को परमाणु ऊर्जा में भी मदद की। परमाणु ऊर्जा बिजली बनाने का एक खास तरीका है और विक्रम साराभाई ने भारत में इसे शुरू करने में बड़ी भूमिका निभाई। उनके द्वारा किए गए इन सभी अद्भुत कामों के कारण, लोग उन्हें ” भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक ” कहते हैं। यह एक बड़ी उपाधि है क्योंकि उन्होंने भारत को अंतरिक्ष और विज्ञान में अग्रणी बनाया।
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