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कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा केरल की वायनाड लोकसभा सीट से लड़ेगी चुनाव , राहुल गांधी ने यूपी की रायबरेली सीट बरकरार रखने का किया फैसला !
क्या प्रियंका गांधी केरल की वायनाड लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकती है ? ऐसे कयास बीते सोमवार 17 जून को राहुल गांधी ने केरल में वायनाड लोकसभा सीट छोड़ने के बाद से लगाए जा रहे है और इसका मुख्य कारण है उनकी पारिवारिक गढ़ रायबरेली की सीट, साथ ही उन्होने सालो से चली आ रही अटकलों पर विराम देते हुए , प्रियंका गांधी वाड्रा अंततः उस निर्वाचन क्षेत्र से चुनावी शुरुआत कर रही हैं जिसे राहुल गांधी छोड़ रहे हैं।
कांग्रेस की उच्चस्तरीय बैठक के बाद निर्णयों की घोषणा करते हुए पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि कौन सी सीट खाली करनी है, इस पर निर्णय अभी लिया जा रहा है, क्योंकि ऐसा करने का अंतिम दिन मंगलवार है। खड़गे की इस बैठक में गांधी भाई-बहन भी मौजूद थे।
पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आगे हिंदी में कहा कि पार्टी ने फैसला किया है कि राहुल को रायबरेली सी अपने पास ही रखनी चाहिए क्योंकि यह उनके और गांधी परिवार के लिए पीढ़ियों से बहुत करीबी रही है। निर्वाचन क्षेत्र के लोगों और कांग्रेस के लोगों को लगता है कि यह पार्टी के लिए भी अच्छा होगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्हें वायनाड के लोगों से भी प्यार मिला है और वहां के लोग चाहते हैं कि वह सीट बरकरार रखें। लेकिन नियम इसकी इजाजत कतई नहीं देते। इसलिए पार्टी ने फैसला किया है कि प्रियंका जी वायनाड से चुनाव लड़ेंगी।
उन्होंने हंसते हुए कहा , “प्रियंका गांधी ने कहा था ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ और यह लड़की अब वायनाड से चुनाव लड़ सकती है।” खड़गे ने रायबरेली, अमेठी और अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में कांग्रेस की सफलता के लिए प्रियंका गांधी को धन्यवाद दिया।
जब एक पत्रकार ने श्री खड़गे से मजाक में किए गए इस दावे के बारे में पूछा कि यदि राहुल गांधी कांग्रेस कार्यसमिति के निर्णय का पालन नहीं करेंगे तो वे अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करेंगे, तो पार्टी अध्यक्ष ने टालने का प्रयास किया लेकिन राहुल गांधी ने कहा कि “धमकी दी गई है”, जिससे और अधिक हंसी पैदा हो गई।
कठिन निर्णय:
कांग्रेस नेता ने कहा कि रायबरेली और वायनाड दोनों से उनका भावनात्मक जुड़ाव है और पिछले पांच वर्षों तक वहां से सांसद रहने के दौरान केरल निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से मिले प्यार के लिए उन्होंने आभार व्यक्त किया।
राहुल गांधी ने कहा कि,”प्रियंका वायनाड से चुनाव लड़ेंगी, मेरा रायबरेली से पुराना नाता है और मैं उनका प्रतिनिधित्व करके खुश हूं, लेकिन यह कोई आसान फैसला नहीं था। यह एक कठिन फैसला था। वायनाड के लोग मेरे साथ खड़े रहे और मेरा समर्थन किया। उन्होंने मुझे बहुत कठिन समय में लड़ने की ऊर्जा दी। मैं वायनाड के लोगों के लिए उपलब्ध रहूंगा।”
राहुल ने कहां कि मुझे पूरा यकीन है, कि प्रियंका गांधी चुनाव जीतेंगी और वह बहुत ही अच्छी प्रतिनिधि भी साबित होंगी। वायनाड के लोग इस बारे में इस प्रकार सोच सकते हैं।उनके पास अब दो सांसद हैं, एक मेरी बहन हैं और दूसरा मैं। मेरे दरवाजे जीवन भर आपके लिए खुले हैं और मैं वायनाड के हर व्यक्ति से प्यार करता हूं।”।
दोनों निर्वाचन क्षेत्रों से दो-दो सांसद’:
जब प्रियंका गांधी से प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा कि वह बहुत खुश हैं और वायनाड के लोगों को अपने भाई की कमी महसूस नहीं होने देंगी।
उन्होंने कहा, “जैसा कि उन्होंने कहा, वह मेरे साथ कई बार आएंगे। लेकिन मैं उतनी ही मेहनत करूंगी और एक अच्छी प्रतिनिधि बनने की कोशिश करूंगी। रायबरेली से मेरा बहुत पुराना नाता है और मैंने वहां 20 साल तक काम किया है। यह नाता नहीं टूट सकता। मैं रायबरेली में भैया की मदद करूंगी और हम दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में उपलब्ध रहेंगे।”
राहुल ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि दोनों निर्वाचन क्षेत्रों से दो-दो सांसद चुने जा रहे हैं।
प्रियंका गांधी का पदार्पण:
प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने को लेकर ‘वह चुनाव लड़ेंगी या नहीं लड़ेंगी’ का मुद्दा कम से कम 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद से ही चल रहा है, जब यह अनुमान लगाया गया था कि वह वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र में पीएम मोदी को चुनौती दे सकती हैं, ऐसे समय में जब कांग्रेस भाजपा के विजय रथ को रोकने के लिए संघर्ष कर रही थी।
ऐसा न होने के बाद, प्रियंका गांधी ने खुद कहा था कि वह 2022 में उत्तर प्रदेश चुनाव लड़ने से इनकार नहीं कर रही हैं, जब वह राज्य के लिए कांग्रेस महासचिव थीं। वास्तव में, उन्होंने संकेत दिया था कि वह मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार हो सकती हैं, लेकिन कुछ घंटों बाद उन्होंने कहा कि उनका मतलब मजाकिया अंदाज में था।
2024 के चुनावों से पहले, यह अटकलें लगभग पक्की लग रही थीं। बताया जा रहा था कि प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ेंगी और उनके भाई अमेठी जीतने के लिए लड़ेंगे।
सूत्रों की माने तो खड़गे ने प्रियंका और राहुल से निर्णय लेने को कहा था, लेकिन उन्होने पहले ही बता दिया था कि दोनों भाई- बहन चुनाव लड़ेगे।
लेकिन प्रियंका गांधी ने ऐसा न करने का फैसला किया। उनके करीबी सूत्रों ने कहा कि वह बीजेपी को कांग्रेस पर वंशवाद की राजनीति का आरोप लगाने का बिल्कुल भी मौका नहीं देना चाहती थीं, क्योंकि उनके भाई और मां पहले से ही संसद के सदस्य है।
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