Wednesday, November 27, 2024

Subrata Roy birth anniversary : सुब्रत रॉय के सहाराश्री बनने की कहानी कभी टीम इंडिया के स्पॉन्सर थे सुब्रत रॉय

Digital News Guru News Desk

Subrata Roy birth anniversary : सुब्रत रॉय के सहाराश्री बनने की कहानी कभी टीम इंडिया के स्पॉन्सर थे सुब्रत रॉय

Subrata Roy: सामान्य जिंदगी से बड़े कारोबारी बन जाने तक की उनकी जिंदगी के कई चैप्टर बेहद खास रहे हैं। कभी सहाराश्री कहलाने वाले सुब्रत रॉय (Subrata Roy) की जिंदगी की कहानी… 6 मई साल 2013 को देशभर से सैकड़ों लोग बसों में सवार होकर लखनऊ शहर के बाहरी इलाके में एक बड़े मैदान में इकट्ठा होने लगे थे। ये मैदान 30 फुटबॉल ग्राउंड से भी बड़ा था। ये सभी लोग एक मिशन पर थे। उनका नहीं बल्कि एक व्यक्ति का जो भारत का राष्ट्रगान गाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाना चाहता था। उस समय तक ये रिकॉर्ड पाकिस्तान के नाम था।

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सुबह करीब 10 बजे वहां लगे लाउडस्पीकर से अनाउंसमेंट होता है… ‘दुनिया के सबसे बड़े परिवार के अभिभावक माननीय सहाराश्री सुब्रत रॉय (Subrata Roy) तशरीफ ला रहे हैं। जोरदार नारा लगाते हैं… सहाराश्री जिंदाबाद… सहाराश्री जिंदाबाद।’ उस दिन मैदान में मौजूद लाखों लोगों ने एक जैसे कपड़े पहने हुए थे। ये सभी लोग पूरी एनर्जी के साथ सहाराश्री जिंदाबाद का नारा लगा रहे थे।

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तभी वहाँ स्टेज से सहारा इंडिया परिवार के मेन मुखिया सुब्रत रॉय (Subrata Roy) अपने दोनों हाथों को हिलाते और जोर-जोर से भारत माता की जयकार लगा रहे थे । वहाँ पर लगभग 1,21,653 लोग मिलकर अपने देश के राष्ट्रगान को गाया हुआ था ।

प्रतिभाशाली छात्र थे सुब्रत रॉय (Subrata Roy)

सुब्रत रॉय (Subrata Roy) का जन्म 10 जून, साल 1948 को हुआ था। इनके पिता का नाम सुधीर चंद्र रॉय और इनकी माता का नाम छवि रॉय था। बाद में इनका परिवार बेहतर अवसरों की तलाश में बिहार से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में शिफ्ट हो गया था। रॉय अपने माता-पिता और भाई-बहनों के साथ शहर के तुर्कमानपुर इलाके में रहते थे। बचपन में सुब्रत रॉय सहारा एक प्रतिभाशाली छात्र थे।

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उनकी स्कूली शिक्षा होली चाइल्ड स्कूल से हुई थी। उन्हें तकनीकी शिक्षा में बहुत रुचि थी और उन्होंने इस रुचि को आगे बढ़ाते हुए सरकारी तकनीकी संस्थान, गोरखपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल किया था।

 सुब्रत रॉय (Subrata Roy) सहाराश्री

सुब्रत ने अपने करियर की शुरुआत में एक नमकीन स्नैक्स बेचने से करी हुई थी । रॉय अपनी लैंब्रेटा स्कूटर पर जया प्रोडक्ट के नाम से एक स्नैक्स बेचा करते थे। साल 1978 में उन्होंने गोरखपुर में एक छोटे से ऑफिस से सहारा की नींव रखी थी । लाखों लोग इससे जुड़े गए और देखते ही देखते सुब्रत रॉय सहाराश्री बन गए। सभी लोग उन्हें इसी नाम से बुलाते थे।

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सुब्रत रॉय (Subrata Roy) मिले यह अवॉर्ड

साल 2013 में सहारा ने एक जगह बाढ़ प्रभावित उत्तराखंड में राहत प्रयासों में काफी मदद करी हुई थी। रोज एक लाख बोतल पीने के पानी की इसके साथ ही पैकेज्ड जूस,और खाने के पैकेज भी उपलब्ध कराए थे। कारगिल युद्ध में सहारा ने शहीदों के 127 परिवारों को आर्थिक सहायता दी थी। उनके योगदान के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी ने उनकी तारीफ की थी।

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2002 में बिजनेसमैन ऑफ द ईयर अवॉर्ड
2002 में बेस्ट इंडस्ट्रियलिस्ट अवॉर्ड
2010 में विशिष्ट राष्ट्रीय उड़ान सम्मान
2001 में राष्ट्रीय नागरिक पुरस्कार
2012 में रॉय भारत के टॉप 10 मोस्ट इन्फ्लूएंशियल बिजनेसमैन बन गए थे

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सुब्रत रॉय (Subrata Roy) का पतन

सहारा ग्रुप की कंपनी प्राइम सिटी के IPO से सुब्रत रॉय के पतन की शुरुआत हो गयी थी। रॉय पर दो कंपनियों में नियमों के खिलाफ लोगों से गलत तरीके से पैसे निवेश करवाने का आरोप लगा हुआ था। इसके लिए रॉय को जेल तक भी जाना पड़ा था।

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 सुब्रत रॉय (Subrata Roy) की मृत्यु

सुब्रत रॉय कार्डियोरेस्पिरेटरी अरेस्ट के कारण 14 नवंबर 2023 को रात 10.30 बजे उनका निधन हो गया। वे 12 नवंबर से कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल और मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (केडीएएच) में भर्ती थे।

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