आईए जानते हैं , आखिरकार क्यों प्रसिद्ध है दिल्ली का छतरपुर मंदिर !
Delhi Chhatarpur Temple: भारत की राजधानी दिल्ली में आद्या कात्यायिनी मंदिर बना हुआ है । ये मन्दिर छतरपुर के नाम से भी काफी प्रसिद्ध है। छतरपुर मंदिर दिल्ली के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों मे माना जाता है जिसे देखने के लिए काफी दूर-दूर से लोग यहां पर आते हैं तथा माता के दर्शन एवं आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। आद्या कात्यायिनी मंदिर या छतरपुर मंदिर दिल्ली के सबसे बड़े और सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में एक है। यह मंदिर गुंड़गांव-महरौली मार्ग के निकट छतरपुर में स्थित है।
यह मंदिर सिर्फ सफेद संगमरमर से बना हुआ है और इस मन्दिर कि सजावट काफी ज्यादा आकर्षक है। दक्षिण भारतीय शैली में बना यह मंदिर काफी विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है। मंदिर परिसर में खूबसूरत लॉन और बगीचे भी हैं। मूल रूप से यह मंदिर मां दुर्गा का मन्दिर कहलाता है। इसके अलावा यहां पर भोले नाथ बाबा ,विष्णु, देवी लक्ष्मी, हनुमान, भगवान गणेश तथा श्री राम आदि देवी-देवताओं के मंदिर भी बने हुए हैं।
दुर्गा पूजा और नवरात्रि के अवसर पर पूरे देश से यहां भक्त एकत्र होते हैं। यहां एक पेड़ है जहां श्रद्धालु धागे और रंग-बिरंगी चूड़ियां बांधते हैं। लोगों का मानना है कि ऐसा करने से मनोकामना पूर्ण होती है।छतरपुर मंदिर दिल्ली के बड़े और भव्य मंदिरों मे से एक है। विशाल क्षेत्र में फैला यह मंदिर अपनी प्रसिद्धि के कारण सभी के आकर्षण का प्रमुख केन्द्र रहा है। आद्या कात्यायिनी मंदिर या छतरपुर मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है जिसमें माता के भव्य रूप के दर्शन होते हैं।
स्थापना-
देश की राजधानी दिल्ली के छतरपुर मे स्थित श्री आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मंदिर का शिलान्यास सन् 1974 में करवाया गया था। इस मन्दिर कि स्थापना यानि कि नीव कर्नाटक के संत बाबा नागपाल जी ने करवाई थी । इससे पहले मंदिर स्थल पर सिर्फ एक कुटिया हुआ करती थी। आज उसी जगह 70 एकड़ पर माता का भव्य मंदिर बना हुआ है। मंदिर परिसर में ही धर्मशाला, स्कूल व छोटा अस्पताल सहित आई.आई.टी. का संचालन किया जाता है।
यह मंदिर माता के छठे स्वरूप माता कात्यायनी को समर्पित है। इसलिए इसका नाम भी कात्यायनी शक्तिपीठ भी रखा गया है। लगभग बीस छोटे-बड़े मंदिरों का यह स्थल दिल्ली में दूसरा सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है।छतरपुर मंदिर विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। यह पवित्र स्थल अपनी निर्माण कला के लिए भी विख्यात है।
मन्दिर कि निर्माण कला में सफेद संगमरमर द्वारा निर्मित शिल्प कला एवं नक्काशी के बेहतरीन नमूनों को देखा जा सकता है। संगमरमर से बनी जाली देखने में बहुत ही ख़ूबसूरत प्रतीत होती है। मन्दिर के परिसर में बहुत बड़ा दरवाजा लगा देख सकते हैं जिस पर एक बड़ा सा ताला लगा हुआ है यह सभी के आकर्षण का केन्द्र होता है।
दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित यह छतरपुर मंदिर ख़ूबसूरत बगीचों से घिरा हुआ है। मंदिर के परिसर में धर्मशाला, डिस्पेंसरी और स्कूल का संचालन भी होता है।
आद्या कात्यायिनी मंदिर का महत्व-
छतरपुर मंदिर मां दुर्गा के छठे स्वरूप आद्या कात्यायनी का स्थल है। देवी कात्यायनी के साथ के पौराणिक कथा जुड़ी है जिसके अनुसार प्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने माँ भगवती की कठोर उपासना करी थी। इसी तपस्या से काफी प्रसन्न होकर देवी ने उनके घर पर पुत्री रूप में जन्म लिया था तभी से वो मां कात्यायनी कहलाईं जाने लगी थी और इन्ही देवी ने राक्षस महिषासुर का वध भी किया था।
मान्यता अनुसार महर्षि कात्यायन के घर में आश्िर्र्वन कृष्ण चतुर्दशी को उत्पन्न हुई थीं तथा सप्तमी, अष्टमी तथा नवमी तक तीन दिन तक देवी ने कात्यायन ऋषि की पूजा स्वीकार करी थी और दशमी को महिषासुर का वध करके पृथ्वी को आतंक से मुक्त किया था। मंदिर में आने वाले भक्त की मां की दया से मानोकामना पूरी होती है।
छतरपुर मंदिर उत्सव-
मंदिर में वैसे तो हमेशा लोगों का आना जाना लगा ही रहता है परंतु नवरात्रि के पावन पर्व के समय इस मंदिर की रौनक देखते ही बनती है ।लाखों लोग मां के दर्शन करने के लिए आते है। और दूर-दूर से लोग बसों, कारों आदि में भारी संख्या में इस मंदिर में पहुंचते हैं। कई लोग नंगे पांव पैदल ही माता के दर्शनों के लिए छतरपुर मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं।
ये मन्दिर, क़ुतुब मीनार से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर ही बना हुआ है। बस के अतिरिक्त यहाँ पर मेट्रो रेल से भी पहुंच सकते हैं। यह मन्दिर महरौली गुडगांव सड़क पर स्थित है।
पूजा विधि-
जो भी साधक कुण्डलिनी जागृत करने की इच्छा से देवी अराधना को करते है उन सभी साधको को दुर्गा पूजा के छठे दिन मां कात्यायनी जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए। इससे
उस मनुष्य को अर्थ, कर्म, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है।
श्लोक-
माँ दुर्गा के छठे रूप को माँ कात्यायनी के नाम से ही पूजा जाता है। मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत सुंदर है। सिंह पर विराजमान ये माता शक्ति का स्वरूप हैं। मां की भक्ति द्वारा मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष फलों की प्राप्ति होती है। मां कत्यायनी की भक्ति प्राप्त करने के लिए भक्त को इस मंत्र का हमेशा जाप करना चाहिए –
•चन्द्रहासोज्जवलकरा शाईलवरवाहना।
•या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
छतरपुर मंदिर में देवी कात्यायनी के अतिरिक्त यहां राधा कृष्ण, शिव-पार्वती, गणेश आदि अन्य देवी देवताओं की भी पूजा अर्चना की जाती है। यहाँ पर एक प्राचीन पेड़ भी देखा जा सकता है जिस पर धागे बांध कर लोग अपनी मन्नतें मांगते हैं।