Saturday, September 21, 2024

Zail singh birth anniversary : पंजाब से अब तक के इकलौते राष्ट्रपति बने थे ज्ञानी जैल सिंह,इंदिरा गांधी के विश्वासपात्र थे जैल सिंह !

DIGITAL NEWS GURU POLITICAL DESK :- 

Zail singh birth anniversary : पंजाब से अब तक के इकलौते राष्ट्रपति बने थे ज्ञानी जैल सिंह,इंदिरा गांधी के विश्वासपात्र थे जैल सिंह !

ज्ञानी जैल सिंह (Zail singh) का जन्म 5 मई 1916 को फरीदकोट के गांव संधवा में हुआ था। पूरा गुरुग्रंथ साहिब याद करने के कारण उन्हें ज्ञानी की उपाधि मिली थी। देश के 7वें राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल विवादों से घिरा रहा।

अगर अब तक हुए राष्ट्रपतियों की बात की जाए तो पंजाब से केवल ज्ञानी जैल सिंह (Zail singh) सर्वोच्च पद पर सुशोभित हुए हैं। वह देश के 7वें राष्ट्रपति (कार्यकाल 1982 से 1987) रहे हैं। उनका जीवन और राजनीतिक यात्रा दिलचस्प और विवादों से परिपूर्ण रही। उनके नाम ‘जैल सिंह’ को लेकर भी दिलचस्प दांस्ता है।

पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह (Zail singh) का जन्म गाँव संधवा में हुआ था। उनके पिता का नाम किशन सिंह था तथा इनकी मां का नाम इंद कौर था। अपनी माता पिता कि चार संतानों में जैल सिंह (Zail singh) सबसे छोटे थे। पिता गांव में ही कारपेंटरी का काम करते थे। छोटी उम्र में ही जरनैल सिंह की माता का देहांत हो गया था, जिसके बाद उनका का पालन-पोषण उनकी मौसी ने किया। 15 वर्ष की आयु में ही वह ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ अकाली दल से जुड़ गए।

 

जबानी गुरुग्रंथ साहिब याद होने पर मिली थी ज्ञानी की उपाधि:

ज्ञानी जैल सिंह बचपन से ही काफी धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति हुआ करते थे, जैल सिंह ने विभिन्न धर्माे के ग्रंथों का गहन अध्ययन भी किया था, वह पूरी तरह से सिक्ख धर्म को मानने वाले थे। अमृतसर के शहीद सिख मिशनरी कालेज से गुरुग्रंथ साहिब का पाठ मुंह जबानी याद करने के कारण इन्हें ज्ञानी की उपाधि मिली थी।

 

यूं बने जरनैल से जैल सिंह (Zail singh):

ज्ञानी जैल सिंह (Zail singh) का वास्तविक नाम जरनैल सिंह हुआ करता था। साल 1938 में जरनैल सिंह ने प्रजा मंडल नामक राजनीतक दल का गठन भी किया था। ये दल भारतीय कांग्रेस के साथ अंग्रेजों के खिलाफ भी आंदोलन किया करता था। यह बात अंग्रेज व फरीदकोट रियासत को पंसद नहीं आई।

फरीदकोट रियासत के राजा ने उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज दिया और पांच साल की सजा सुनाई। जेल में रहने के दौरान विरोध स्वरूप उन्होंने अपना नाम जैल सिंह (जेल सिंह) रख लिया था।

वर्ष 1972 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने:

1962 में पंजाब विधानसभा का सदस्य चुने जाने पर उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया। 1966 में प्रदेश कांग्रेस के प्रधान बने और 1972 में पंजाब विधान सभा में पूर्ण बहुमत हासिल करके पंजाब के मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला। 1979 में लोक सभा सांसद बनने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार में उन्हें केंद्रीय गृह मंत्री बनाया गया।

1982 में राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी का कार्यकाल खत्म होने पर ज्ञानी जैल सिंह को सर्वसम्मति से देश के सातवें राष्ट्रपति के रूप में सेवा करने के लिए नामित किया गया था।उन्होंने 25 जुलाई, 1982 को उन्होंने इस पद की शपथ ली,जिनका कार्यकाल 25 जुलाई 1987 तक रहा।

विवादों से घिरा रहा था जैल सिंह (Zail singh) का कार्यकाल:

राष्ट्रपति के रूप में जैल सिंह (Zail singh) का कार्यकाल शुरु से लेकर अंत तक विवादों में घिरा रहा। उनके कार्यकाल में ही आपरेशन ब्लू स्टार, इंदिरा गांधी की हत्या और 1984 के सिख-विरोधी दंगे जैसी घटनाएं हुई। आपरेशन ब्लू स्टार से एक दिन पहले 31 मई, 1984 को, वह एक घंटे से अधिक समय तक उनसे मिले, लेकिन उन्होंने अपनी योजना के बारे में एक शब्द भी सांझा नहीं किया। आपरेशन के बाद उन पर सिखों ने पद से इस्तीफा देने का दबाव डाला।

उसी वर्ष 31 अक्टूबर को इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई, इसके अलावा साल 1986 में उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा पारित भारतीय डाकघर (संशोधन) विधेयक के संबंध में पाकेट वीटो का प्रयोग किया, प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाया। इसके लिए उनकी व्यापक रूप से उनकी आलोचना की गई। इसके साथ ही प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ मनमुटाव हो गया।

 

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विश्वासपात्र थे:

ज्ञानी जैल सिंह (Zail singh) को पूर्व प्रधानंत्री इंदिरा गांधी का सबसे विश्वासपात्र और बेहद करीबी इंसान माना जाता था। इसी कारण से इंदिरा गांधी ने उन्हें अपनी सरकार में जैल सिंह को गृहमंत्री बनाया था। उनकी करीबता का अंदाता जैल सिंह के राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने के बाद दिए गए बयानों से भी लगाया जा सकता था, जिसमें उन्होंने ये कहा था कि अगर मेरे नेता ने मुझसे कहा होता कि मुझे झाड़ू उठानी चाहिए और मुझे नौकर बनना चाहिए तो मैंने वैसा ही किया होता। उन्होंने मुझे राष्ट्रपति बनने के लिए भी चुना है।

 

25 दिसंबर 1994 को हुई मृत्यु:

ज्ञानी जैल सिंह (Zail singh) बेहद धार्मिक प्रवृत्ति के थे। राष्ट्रपति बनने के बाद भी जब कभी वह पंजाब या इसके आसपास होते थे तो वह आनंदपुर साहिब जाना नहीं भूलते थे। इसी तरह से वह लगातार तीर्थयात्राएं करते रहते थे। साल 1994 में तख्तश्री केशगढ़ जाते समय उनकी गाड़ी र्दुघटनाग्रस्त हो गई, उन्हें पीजीआई चंडीगढ़ उपचार के लिए ले जाया गया, जहां उनकी मृत्यु 25 दिसंबर साल 1994 को हो गई। दिल्ली में जिस जगह पर उनका दाह संस्कार किया गया, उसे एकता स्थल के नाम से जाना जाता है।YOU MAY ALSO READ :- आईपीएल 2024 में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु टीम ने की लीग में वापसी,चिन्नास्वामी में 4 विकेटों से गुजरात टाइटंस को हराया;मोहम्मद सिराज बने प्लेयर ऑफ द मैच।

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