Sunday, November 24, 2024

Satyajit Ray birth anniversary: लंदन में फिल्म देखते ही सत्यजीत रे के मन में आया था फिल्म बनाने का ख्याल! घर बैठे मिला था सत्यजीत रे को ऑस्कर

DIGITAL NEWS GURU ENTERTAINMENT DESK:

Satyajit Ray birth anniversary: लंदन में फिल्म देखते ही सत्यजीत रे के मन में आया था फिल्म बनाने का ख्याल! घर बैठे मिला था सत्यजीत रे को ऑस्कर

सत्यजीत रे ने अपने जीवनकाल में कुल 37 फिल्में बनाई थीं। इनमें से 32 ने राष्ट्रीय पुरस्कार जीते थे। वहीं 6 पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के थे। वहीं सत्यजीत रे को ऑस्कर देने के लिए विशेष तौर पर ऑस्कर पुरुस्कार कि पूरी कमेटी भारत आई थी।

सत्यजीत रे का जन्म 2 मई साल 1921 को कोलकाता में हुआ था। इनका पूरा नाम सत्यजित सुकुमार राय हुआ करता था। सत्यजीत रे के दादा उपेंद्र किशोर राय काफी प्रसिद्ध लेखक और चित्रकार हुआ करते थे। वहीं उनके पिताजी बांग्ला में बच्चों के लिए रोचक कविताएं लिखा करते थे। सत्यजीत राय ने कलकत्ता के बल्लीगुंग गवर्नमेंट हाई स्कूल कि प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करी थी और प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता से इकोनॉमिक्स में बी.ए. की पढ़ाई पूरी करी थी ।सत्यजीत रे की पहली फिल्म ‘पाथेर पांचाली’ ने भारतीय सिनेमा को वैश्विक सुर्खियों में ला दिया था। सत्यजीत रे बॉलीवुड सिनेमा का अब तक का सबसे बेहतरीन डायरेक्टर भी कहा जाता है।

फिल्मी जीवन की शुरुआत

सत्यजीत रे ने अपने पुरे जीवनकाल में कुल मिलाकर 37 फिल्में बनाई थीं, जिनकी वजह से वह पूरी दुनिया में छा गए थे। इनमें से 32 फिल्मों ने राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीते थे। वहीं 6 पुरस्कार सिर्फ सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के थे। अकादमी ऑफ मोशन पिक्चर्स एंड साइंसेज ने उन्हे लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से नवाजा था।

भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न सम्मान भी प्रदान किया था। सत्यजीत रे ने अपने करियर की शुरुआत कलकत्ता फिल्म सभा से की। बता दें कि सत्यजीत रे ने ज्यादतर फिल्में बंगाली में ही बनाई थी।सत्यजीत रे एक विदेशी विज्ञापन कंपनी के लिए काम किया करते थे। इसकी ट्रेनिंग के लिए वह लंदन में गए। वहां उन्होंने लगभग 100 फिल्में देखी और इसके बाद उन्होंने फिल्म डायरेक्टर बनने की ठानी। इसके बाद साल 1955 में पाथेर पांचाली फिल्म बनाकर उन्होंने करियर की शुरुआत की।

खुद एडिट करते थे अपनी फिल्में

सत्यजीत रे की पत्नी बिजोया रे ने अपनी आत्मकथा लिखी थी । जिसका नाम ‘मानिक एंड आई: माई लाइफ विद सत्यजीत रे’ था । इसमे सत्यजीत रे से जुडे़ कई किस्से उन्होंने साझा किए थे। उन्होंने एक जगह लिखा कि सत्यजीत रे की एक आदत थी कि सेट पर पहुंचने के बाद वह पैक-अप करने के बाद ही सेट से बाहर निकलते थे।

वहीं पटकथा लेखक जावेद सिद्दीकी बताते हैं कि एक हाथ में पेन और दूसरे हाथ में एक चिकन सैंडविच लिए वह अपनी कुर्सी पर बैठते थे। आठ घंटे की शिफ्ट में वह सिर्फ एक चिकन सैंडविच और कुल्हड़ में जमा हुआ मिष्ठी (मीठा) दही खाते थे। उसके बाद वह स्वाद बदलने के लिए एक सिगरेट पिया करते थे। कैमरामैन के होने के बावजूद वह खुद कैमरा चलाना पसंद करते थे। साथ ही अपनी फिल्में भी वह खुद ही एडिट करते थे।

भारत आकर दिया गया ऑस्कर

ऑस्कर पुरस्कार मिलना फिल्म क्षेत्र में एक बहुत बड़ी बात होती है। कई फिल्मी हस्तियां इसके लिए तरसती हुई भी दिखाई देती हैं। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि सत्यजीत रे को ऑनरेरी ऑस्कर देने के लिए खुद ऑस्कर कमेटी के अध्यक्ष इंडिया आए थे। दरअसल साल 1992 में सत्यजीत रे को ऑस्कर का ऑनरेरी अवॉर्ड फॉर लाइफटाइम अचीवमेंट देने की घोषणा की गई थी। लेकिन उस दौरान वह बहुत बीमार थे।

ऐसे में ऑस्कर के पदाधिकारियों ने फैसला लिया था कि यह अवॉर्ड उनके पास पहुंचाया जाएगा। ऑस्कर के पदाधिकारियों की टीम कोलकाता में सत्यजीत रे के घर पहुंची थी और उन्हें अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। इसके बाद 23 अप्रैल साल 1992 को दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनका निधन हो गया था।


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