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Anju Bobby George birthday special: सिर्फ एक किडनी होने के बावजूद अंजू बॉबी जॉर्ज ने लॉन्ग जंप के क्षेत्र में खूब नाम कमाया , और रच दिया इतिहास
एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज लॉन्ग जंप के क्षेत्र में एक वह नाम हैं ।जिन्होंने कई उपलब्धियां हासिल कर पूरी दुनिया में भारत देश का नाम ऊंचा किया है ।वह आज बहुत सी महिला खिलाड़ियों के लिए आदर्श बन चुकी है । आइए खेल के क्षेत्र में उनके योगदान के बारे में जानते हैं ।
अंजू बॉबी जॉर्ज विश्व एथलेटिक्स कि पहली भारतीय महिला बनी है । जिन्हें पदक प्राप्त हुआ है ।अंजू ने और भी कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक पर कब्जा जमाकर पूरे देश और दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है ।अंजू बॉबी जॉर्ज का जन्म केरल में चंगनाश्शेरी तालुक के चीरांचिरा गांव में 19 अप्रैल साल 1977 को हुआ था । अंजू आज बहुत सी महिला खिलाड़ियों के लिए आदर्श मानी जाती हैं ।आइए आप सभी को बताते है एक किडनी होने के बावजूद खेल के क्षेत्र में अपने नाम का डंका बजाने वाली अंजू बॉबी जॉर्ज की कहानी
पिता ने सिखाए थेअंजू एथलेटिक्स के गुर
अंजू बॉबी जॉर्ज को शुरूआत में उनके पिता केटी मारकोस ने एथलेटिक्स के सारे गुर सिखाए थे । अंजू को उनका पहला प्रशिक्षण कोरूथोड स्कूल में मिला था ।अंजू बॉबी ने स्कूली शिक्षा सीकेएम कोरूथोड स्कूल से पूरी करने के बाद विमला कॉलेज, त्रिशूर से स्नातक कि पढाई पूरी करी थी ।अंजू ने
साल 1991 में स्कूल एथलेटिक्स सम्मेलन में 100 मीटर हर्डल व रिले दौड़ को जीत लिया था ।इसके अलावा लॉन्ग जंप और हाई जंप में अंजू बॉबी ने दूसरा स्थान हासिल किया था । अंजू की प्रतिभा नेशनल स्कूल गेम्स में hie सबकी नजरों में आ गई थी ।
नेशनल रिकॉर्ड बनाया
अंजू ने अपना सारा ध्यान लॉन्ग जंप में लगा दिया था । साल 1996 में अंजू ने दिल्ली जूनियर एशियन चैंपियनशिप में पदक अपने नाम कर लिया था । वही साल 1999 में अंजू ने बेंगलुरु फेडरेशन कप में ट्रिपल जंप का नेशनल रिकॉर्ड भी अपने नाम किया था ।इसी साल अंजू ने साउथ एशिया फेडरेशन गेम्स, नेपाल में सिल्वर मेडल भी जीत लिया था ।इसके बाद देश-दुनिया में अंजू का नाम होने लगा था ।
साल 2000 में एक किडनी होने का चला पता
अंजू को साल 2000 में इस बात का पता चला था कि उनके शरीर में सिर्फ एक ही किडनी है ।उस वक्त अंजू अपने करियर के बिल्कुल पीक पर थीं । अंजू को ये सच जानकर काफी धक्का लगा था लेकिन डॉक्टरों ने अंजू से कहा कि आप अपना खेलना जारी रख सकती हैं ।इसके बाद अंजू ने साल 2002 में मैनचेस्टर में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में खेलकर अंजू ने 6.49 की छलांग लगाकर कांस्य पदक भारत को दिलाया था । इसी साल दक्षिण कोरिया, बुसान में आयोजित एशियन गेम्स में भी अंजू ने गोल्ड मेडल जीता था ।
6.70 मीटर लंबी लगाई थी छलांग
अंजू बॉबी जॉर्ज ने साल 2003 में कुछ ऐसा कर के दिखाया था । जो अभी तक किसी भारतीय एथलीट ने नहीं किया था । उन्होंने पेरिस में हुई वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 6.70 मीटर लंबी छलांग लगाकर इतिहास में अपना नाम दर्ज कर दिया था ।वह वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली पहली एथलीट बनीं थी । इसके साथ ही अंजू को ब्रॉन्ज मेडल भी मिला था ।इसी साल एफ्रो एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल भी जीता था ।अंजू ने अपने कोच रॉबर्ट बॉबी जॉर्ज से ही शादी करी है ।अंजू उन्हें ही अपना प्रेरणा स्रोत भी मानती हैं ।
पद्मश्री से सम्मानित
अंजू को खेल के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजा जा चुका है । साल 2004 में उन्हें भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका था ।
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