कुलदीप कौर: हिंदी सिनेमा की पहली विलेन, जांबाज और निडर अभिनेत्री की कहानी
Digital News Guru Entertainment Desk:आज हम एक ऐसी एक्ट्रेस के बारे मे बात करने जा रहे है। जो बॉलीवुड की पहली विलेन थी। जिनका नाम ‘ कुलदीप कौर’ था।
कुलदीप कौर का जन्म कहां हुआ?
कुलदीप कौर का जन्म एक रॉयल परिवार मे हुआ था। 1927 मे ब्रिटिश इंडिया के लाहौर के अमृतसर के अटारी मे कुलदीप कौर का जन्म हुआ था। इनका पिता जमीदार थे। इनके पास हर सुख सुविधा थी। इनके पिता ने इनको बड़े लाड प्यार से पाला था। जब ये, 2 साल की थी तब ही इनके पिता का निधन हो गया था। ऐसे मे कुलदीप कौर के ताऊ जी ने उनकी और उनकी माँ की जिम्मेदारी ले ली। और फिर कुलदीप की देख भाल उनके ताऊ जी ने ही करी।
मात्र 14 साल मे हुई शादी
कुलदीप कौर की शादी मात्र 14 साल मे उनके ताऊ जी ने कर दी थी। कुलदीप कौर की शादी सिख सम्राज्य के महाराजा रंजीत सिंह की आर्मी के कमांडर जनरल शाम सिंह अटारी वाला के पोते मोहिंदर सिंह सिंधु से करवा दी। कुलदीप कौर अपने परिवार के साथ अमृतसर लाहौर के बीच ट्रंक रोड के पास बने पैलेस मे रहा करती थी। शादी के 2 साल बाद कुलदीप कौर ने एक बेटे को जन्म दिया।
कुलदीप कौर के पति मोहिंदर बेहद अय्याश किस्म के इंसान थे। उन्हे लैक्युरी कार बहुत शौक था। उनकी हवेली मे अमेरिकन और यूरोप की सबसे महँगी कारे थी। कपूरथला के राजा जगजीत सिंह उनके करीबी मित्र थे। मोहिंदर सिंह का ज्यादातर समय लाहौर और अमृतसर के क्लाबो और होटेल्स मे बीतता था। वहाँ मे वो और रईसों लोगो के साथ बैठ के शराब पीते थे। जुवा खेलते थे। उनकी मुलाकात फिल्मी बैकग्राउंड के लोगो से भी होती थी।
वो कई बार कुलदीप को भी इन क्लब पार्टी मे शामिल करते थे। मोहिंदर सिंह हमेशा अपनी पत्नी पर दवाब बनाते थे। की वो भी ग्लैमर अंदाज़ मे रहा करे। और पार्टी किया करे। और हाई क्लास सोसाइटी के लोगो से अपनी पहचान बनाओ। कुलदीप वैसे बड़ी शालीन महिला थी। लेकिन उन्होंने अपने पति के कहने पर उनके प्रकार से खुद को ढाल लिया।
कुलदीप भी देखने लगी थी हीरोइन बनने का सपना
मोहिंदर सिंह एक दिन कुलदीप का एक पार्टी मे ले गए। जहाँ पर हाई सोसाइटी के लोगो के साथ साथ कुछ फिल्मी हस्तियां भी शामिल हुई। उन लोगो के डिजाइनर कपड़े और तौर तरीके देख कर कुलदीप कौर प्रभावित होने लगी । और धीरे से वो भी हीरोइन बनने का सपना अपने मन मे देखने लगी। ।।
कैसे बनी हीरोइन, एक्टर ‘प्राण’ के प्यार मे थी पागल
कुलदीप कौर का मन पुरी तरह से हीरोइन बनने का हो गया था। एक दिन कुलदीप कौर और उनके पति एक पार्टी मे गये थे। उसी पार्टी मे कुलदीप की नज़र एक्टर ‘प्राण ‘के ऊपर गयी। प्राण 1940 मे आयी पंजाबी फिल्म यमला जट के हीरो बन कर बहुत फेमस हुए। बेहद हैंडसम प्राण को जब कुलदीप ने देखा तो देखते ही रह गयी।
तभी कुलदीप मौका मिलते ही प्राण के पास पहुँच गयी। और उनकी और उनकी फिल्मों की तारीफ करने लगी। कुलदीप इतनी सुंदर थी और बेबाक बाते करती थी। की ये कुछ देर की मुलाकात इनकी काफी आगे बढ़ गयी। और दोनों रिलेशन शिप मे आ गये। प्राण पहले से ही शादी शुदा होते हुए भी। इसके बावजूद भी वह कुलदीप के प्यार मे पड़ गये थे।
उस जमाने के एक निर्देशक कर्नल चंद ने प्रोविडेंट फंड के पैसे से एक फिल्म गर्दिश बनानी शुरू कर दी। और उनको उस फिल्म के लिए हीरोइन चाहिए थी। फिर एक दिन एक क्लब की पार्टी मे उनकी नज़र कुलदीप पर पड़ी। और उन्होंने इस फिल्म की हीरोइन का ऑफर दे डाला। और कुलदीप कौर ने तुरंत हाँ कर दी।
क्योंकि कुलदीप हीरोइन बनने का सपना देख रही थी। और वो सपना भी पुरा हो गया। इस फिल्म के लिए उनको 75 रुपए भी मिले थे। उस समय का ये बड़ा अमाउंट हुआ करता था।
लाहौर छोड़ के हमेशा के लिए मुंबई आ गयी थी कुलदीप कौर
1947 मे जब हिंदू और मुस्लिमों का झगडा हुआ। और भारत पाक मे बटवारा हुआ था। उस समय मुस्लिम सिख लोगो को और सिख मुस्लिम लोगो का कत्लेआम कर रहे थे। दंगो से बचने के लिए वो अपना शहर छोड़ के कही छिप गयी। दंगो के बीच मे कुलदीप ने अपने बच्चो और पति का साथ छोड़ के अपनी जान बचा के प्राण के साथ मुंबई आ गयी।
मुंबई अ कर उन्होंने अपने करियर की सुरवात की। एक दिन वो प्राण के साथ बॉम्बे टाकीज गयी और वहाँ पे प्राण ने उनको सवक वच से करवाई जो बॉम्बे टाकीज के प्रोपीटर थे।उनकी रेकमडेशन पर उनको हीरोइन नही बल्कि विलेन के रूप मे पसंद किया गया।
महज 33 साल मे हुई मौत
पाकिस्तान से तालुक होने के कारण वो कई बार पाकिस्तान आया जाया करती थी। एक समय ऐसा हुआ की कुछ लोगो ने उन पर पाकिस्तानी जासूस होने का आरोप लगाया। कुछ लोगो ने ये कहा की कुलदीप कौर भारत मे रहकर पाकिस्तान के लिए जासूसी करती है। पर ये आरोप कभी उन पर साबित नही हो सके।
एक फिल्म के सिलसिले कुलदीप कौर शिरडी गयी थी। तो उन्होंने शिरडी के साई मन्दिर मे जाके दर्शन किया। नंगे पैर चलते हुए उनके पैर मे बेर के पेड़ का काँटा लग गया था। उन्होंने वो काँटा निकला और दर्शन करने के बाद वापस फिल्मों की शूटिंग करने लगी। कुछ समय बाद उस जगह पर घाव बनने लगा।
उन्होंने इस चीज को इतना गंभीरता से नही लिया। और इसका इलाज नही करवाया। लेकिन जब उनकी हालत बिगड़ने लगी तब इनका इलाज शुरू हुआ। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। 3 फरवरी 1960 को मात्र 33 साल मे टिटनेस से उनकी मौत हो गयी थी।
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