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राजस्थान के अलवर जिले में आज बुधवार सुबह करीब 8:00 बजे इंक बनाने वाली कंपनी में लगी भीषण आग !
अलवर बाईपास में इंक बनाने की फैक्ट्री में भीषण आग लगने बाद धमाके साथ केमिकल से भरे ड्रम फटने से अफरा-तफरी का माहौल हो गया। एक वेयर हाउस और एक मैन्युफैक्चरिंग प्लांट पूरी तरह आग की चपेट में आ गया बड़े हादसे की आशंका के चलते प्रशासन ने फैक्ट्री के पास के गांव को खाली करवा दिया है।
अगर आग मुख्य मैन्युफैक्चरिंग प्लांट तक पहुंच जाती तो दो किलोमीटर का एरिया ब्लास्ट हो जाता। वहीं हाईवे पर यातायात सुचारू है। आग की उठती लपटों को चार से पांच किमी दूर तक देखा गया। चारों तरफ धुआं का गुबार उठ गया।
20 से ज्यादा दमकलें आग बुझाने में जुटी हुई है, वहीं स्थानीय युवा ने भी सहयोग किया:
हादसा भिवाड़ी (अलवर) में नेशनल हाईवे 48 में बीबीपुर गांव में इंक बनाने वाली फैक्ट्री सिजवर्क में बुधवार सुबह 8 बजे हुआ। फिलहाल आग इतनी भीषण है कि पूरी तरह काबू पाने में 12 घंटे से ज्यादा समय लग सकता है। घटना के समय कंपनी में थे 310 कर्मचारी
कंपनी के कर्मचारी ने बताया कि फैक्ट्री में 24 घंटे वर्किंग प्रोसेस होता है। यहां हर तरह की इंक बनाई जाती है, जिसमें थिनर का उपयोग किया जाता है। बुधवार सुबह 6 बजे शिफ्ट चेंज हो रही थी। कुछ कर्मचारी जा चुके थे और करीब 8:30 बजे ए शिफ्ट के कर्मचारी कंपनी में आ रहे थे।
कंपनी के अंदर करीब 310 कर्मचारी उस समय मौजूद थे। जिस हिस्से में आग लगी उस समय वहां कोई मौजूद नहीं था। सूचना मिलने पर सभी कर्मचारी बाहर निकल गए। आग किस कारण और कैसे लगी यह पता अभी तक नहीं चल पाया ।
400 से ज्यादा फेरे लगा चुकी 24 दमकलें:
दमकलें आठ घंटे में करीब 400 से ज्यादा फेरे लगा चुकी थी। कंपनी के एक हिस्से में जैसे तैसे आग पर काबू पा लिया वहीं वेयर हाउस और मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में आग लगातार धधक रही थी । कंपनी का स्टोर जलकर पूरी तरह से राख हो चुका है। कंपनी के अंदर का मंजर बहुत ही भयंकर नजर आ रहा । टीनशेड पूरी तरह से गलकर गिर चुके हैं। लोहे का स्ट्रक्चर गलकर नीचे गिर चुका है। अलवर मेगा हाईवे पर लगी भीड़
एडिशनल एसपी अतुल ने मुताबिक़ सूचना के बाद भिवाड़ी, टपूकड़ा और खुशखेड़ा की पुलिस मय पुलिस जाब्ते के साथ मौके पर पहुंचे। आग की भयावहता को देखते हुए लोगों को दूर हटाया गया है। कंपनी के आधे से ज्यादा क्षेत्र को आग ने अपने चपेट में ले लिया है। अलवर मेगा हाईवे होने के कारण यहां पर लोगों की भीड़ को इधर-उधर कर यातायात को सुचारू करवाया गया है। फिलहाल हादसे में जनहानि की बात सामने नहीं आई है।
कंपन से मकानों में हुआ नुकसान:
इधर, घटना से आसपास के कई घरों को काफी नुकसान हुआ है। कंपनी के पास ही बशीर खान के घर में लगे शीशे टूट गए। केमिकल के ड्रम के धमाके से पूरे घर में कंपन हुआ और सीसे बिखर कर गिर गए।
गांव को करवाया खाली:
टपूकड़ा एसडीएम रामकिशोर ने बताया कि आग के कारणों का पता नहीं चल पाया है। बीबीपुर गांव को खाली करवाकर बुजुर्ग, बच्चों और महिलाओं को दूसरी जगह भेजा गया है। फैक्ट्री के पास आबादी है, लेकिन अभी सभी सुरक्षित है। हादसे में अभी किसी तरह की जन हानि की बात सामने नहीं आई है। हालात पर पूरी तरह काबू पाने का प्रयास किया जा रहा है। धमाकों की आवाज से मचा हड़कंप
स्थानीय लोगों ने अनुसार, फैक्ट्री से करीब 300 मीटर दूर ही गांव की आबादी है। सुबह करीब 8 बजे फैक्ट्री के पीछे वाले हिस्से में आग लग गई। सिलेंडर फटने जैसी तेज धमाकों की आवाज से लोगों में अफरा-तफरी का माहौल हो गया। केमिकल से भरे ड्रम फटने के साथ ही घरों के आसपास आकर गिरने से हड़कंप मच गया। हादसे की आशंका के चलते परिवार के लोगों को फैक्ट्री से दूर अन्यत्र भेज दिया है। कंपनी के सभी कर्मचारी सुरक्षित, कोई जनहानि नहीं हुईं
आपातकालीन संकट से निपटने वाली टीम घटना स्थल पर मौजूद हैं। हम आग पर काबू पाने के लिए सरकारी अग्निशमन सेवाओं और आस-पास के उद्योगों की ओर से प्रदान की जा रही ।
कर्मचारियों और आस-पास रहने वाले लोगों की सुरक्षा और सेहत हमारे लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। फैक्ट्री को पूरी तरह से खाली कर दिया गया है। आग पर तेजी से काबू पाने और बुझाने के लिए हर उपाय किया जा रहा है। इस आग से अभी तक किसी के हताहत होने या घायल होने की सूचना नहीं है। कंपनी के सभी कर्मचारी सुरक्षित हैं।
आग लगने का कारण सामने नहीं आया है, जांच जारी है:
सिगवर्क में हम अपने कर्मचारियों, ग्राहकों और आसपास रहने वाले लोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को बहुत गंभीरता से लेते हैं। हमारा प्रत्येक प्रयास सभी हितधारकों को हर संभव तरीके से सहायता देने के लिए किया जाएगा। सन् 1994 से चल रही है फैक्ट्री
जानकारी के अनुसार 1991 में जमीन खरीदी गई थी। 1994 में मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत ने कंपनी का उद्घाटन किया था। उस समय कंपनी के मालिक स्वीटजरलैंड के विमल जालान थे। उस समय कंपनी का नाम सिक्पा था, लेकिन उसके दस साल बाद इसका नाम बदलकर पीबू इंक कर दिया गया। यह नाम 2 साल तक चला।
उसके बाद फिर कंपनी का नाम बदलकर सिजवर्क कर दिया गया, अभी कंपनी के मालिक कोई जापानी फर्म है, जिसके मालिक मिस्टर केलर है।केमिकल रिक्शन से आग पर काबू पाना मुश्किल जानकारी के अनुसार फैक्ट्री में पहले नोटों के लिए स्याही तैयार की जाती थी। फिलहाल अखबार के लिए स्याही बनाने का काम होता था। ड्रमों में थिनर केमिकल भरा हुआ था। पानी के साथ केमिकल रिक्शन होने से आग पर काबू पाना बहुत मुश्किल हो गया ।
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